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अंतरराष्ट्रीय रामायण उत्सव का उद्धघाटन करेंगे अमित शाह

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 17 सितंबर को दिल्ली के कमानी सभागार में अंतरराष्ट्रीय रामायण उत्सव के 5 वें संस्करण का उद्घाटन करेंगे. इस उत्सव का आयोजन पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा शुरू किया गया था जिसके पहले संस्करण का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.

अमित शाह ( फाइल फोटो)
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Published : Sep 13, 2019, 8:16 PM IST

Updated : Sep 30, 2019, 12:14 PM IST

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 17 सितंबर को दिल्ली के कमानी सभागार में अंतर्राष्ट्रीय रामायण उत्सव के 5 वें संस्करण का उद्घाटन करेंगे. इस उत्सव में थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, इंडोनेशिया, कंबोडिया, श्रीलंका, मॉरीशस, बांग्लादेश और फिजी सहित कुल आठ देशों के समूह भाग ले रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, सभी आठ देशों के कलाकारों को लखनऊ और पुणे में भी प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा. उत्सव के बाद वो अयोध्या भी जाएंगे और राम लला की पूजा-अर्चना करेंगे.

जानकारी देते विनय सहस्रबुद्धि

सांसद राज्यसभा और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR ) अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धि, ने कहा कि एक समय था जब रामायण केवल भारतीय चेतना और सदाचार का हिस्सा थी. लेकिन अब यह कई देशों के सांस्कृति का हिस्सा बन गया है.

उन्होंने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय उत्सव के पीछे पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का दिमाग था. यह उनके निर्देशों पर इसका आयोजन किया गया.

बता दें कि ICCR ने 2015 में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय रामायण उत्सव आयोजित किया था. इसके पहले स्ंस्करण में का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. उस समय सात देशों के समूहों ने उत्सव में भाग लिया था.

यह उत्सव उस समय विशेष बन जाता है जब विदेशों से आए कलाकार हर रात मंच पर महाकाव्य की सांस्कृतिक व्याख्याओं का प्रदर्शन करते हैं.

पढ़ें- तमिलनाडु के नामक्कल में बना राज्य का पहला भारत माता का मंदिर, देखें वीडियो

दरअसल, रामयाण सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण घटना है और यह उत्सव महाकाव्य के विभिन्न संस्करणों को देखने का मौका देता है. जिसे पारंपरिक रूप से हर देश द्वारा अपने तरीके से प्रसारित किया गया है.

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 17 सितंबर को दिल्ली के कमानी सभागार में अंतर्राष्ट्रीय रामायण उत्सव के 5 वें संस्करण का उद्घाटन करेंगे. इस उत्सव में थाईलैंड, त्रिनिदाद और टोबैगो, इंडोनेशिया, कंबोडिया, श्रीलंका, मॉरीशस, बांग्लादेश और फिजी सहित कुल आठ देशों के समूह भाग ले रहे हैं.

अंतरराष्ट्रीय रामायण महोत्सव केवल दिल्ली तक सीमित नहीं रहेगा, सभी आठ देशों के कलाकारों को लखनऊ और पुणे में भी प्रदर्शन करने का अवसर मिलेगा. उत्सव के बाद वो अयोध्या भी जाएंगे और राम लला की पूजा-अर्चना करेंगे.

जानकारी देते विनय सहस्रबुद्धि

सांसद राज्यसभा और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (ICCR ) अध्यक्ष विनय सहस्रबुद्धि, ने कहा कि एक समय था जब रामायण केवल भारतीय चेतना और सदाचार का हिस्सा थी. लेकिन अब यह कई देशों के सांस्कृति का हिस्सा बन गया है.

उन्होंने कहा कि इस अंतर्राष्ट्रीय उत्सव के पीछे पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का दिमाग था. यह उनके निर्देशों पर इसका आयोजन किया गया.

बता दें कि ICCR ने 2015 में अपना पहला अंतर्राष्ट्रीय रामायण उत्सव आयोजित किया था. इसके पहले स्ंस्करण में का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था. उस समय सात देशों के समूहों ने उत्सव में भाग लिया था.

यह उत्सव उस समय विशेष बन जाता है जब विदेशों से आए कलाकार हर रात मंच पर महाकाव्य की सांस्कृतिक व्याख्याओं का प्रदर्शन करते हैं.

पढ़ें- तमिलनाडु के नामक्कल में बना राज्य का पहला भारत माता का मंदिर, देखें वीडियो

दरअसल, रामयाण सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण घटना है और यह उत्सव महाकाव्य के विभिन्न संस्करणों को देखने का मौका देता है. जिसे पारंपरिक रूप से हर देश द्वारा अपने तरीके से प्रसारित किया गया है.

Intro:Union Home Minister Amit Shah will inaugurate the 5th edition of the International Ramayana festival on September 17 at Delhi's Kamani auditorium.


Body:Groups from total eight countries including Thailand, Trinidad & Tobago, Indonesia, Combodia, Sri Lanka, Mauritius, Bangladesh and Fiji are participating in the festival.

The International Ramayana Festival will not be limited to Delhi only, artists from all eight countries will also get an opportunity to perform in Lucknow and Pune as well. Post which they will also visit Ayodhya and offer prayers to Ram lala.

Vinay Sahasrabuddhi, MP Rajya Sabha and ICCR (Indian Council for Cultural Relations) President claimed, 'once of upon a time, Ramayana was only part of Indian consciousness and ethos. But over centuries, it has become part of cultural mileu of many countries.'



Conclusion:Former External Affairs Sushma Swaraj was the brain behind this international festival. It was on her instructions, ICCR organised the first international Ramayana festival in 2015.

Prime Minister inaugurated the first edition of the festival in which eminent groups from 7 countries took part.

The festival becomes special as artists showcase cultural interpretations of the epic on stage every night. It is culturally significant event as it provides an opportunity to witness different versions of an epic that has been traditionally transmitted by each country in its own way.
Last Updated : Sep 30, 2019, 12:14 PM IST
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