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देहरादून एयरपोर्ट विस्तार : हजारों पेड़ों की 'बली', केंद्र ने मांगा जवाब

देहरादून एयरपोर्ट विस्तार पर विरोध का असर केंद्र तक दिखा है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने इंडियन एयरपोर्ट अथॉरिटी से 10 हजार पेड़ काटने जाने के संबंध में जवाब मांगा है. साथ ही इसके विकल्प को लेकर भी सुझाव मांगा है.

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Published : Oct 31, 2020, 10:58 PM IST

Jollygrant Airport Dehradun
देहरादून एयरपोर्ट विस्तार

देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर शुरू से सवाल उठ रहे हैं. विरोध का असर अब दिल्ली में भी देखने को मिला है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण पर सवाल किया गया है और विकल्प तलाशने का सुझाव दिया गया है.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर राज्य सरकार बेहद उत्साहित थी. भाजपा सरकार ने प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उड़ानें भरने के नाम पर खूब पीठ भी थपथपाई, लेकिन जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए तकरीबन 10 हजार पेड़ काटने की जरूरत पड़ी, जिस पर आस-पास के लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का विरोध सरकार को झेलना पड़ा.

एयरपोर्ट विस्तारीकरण में 10 हजार पेड़ काटे जाने की गूंज केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय तक जा पहुंची. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से इस बारे में जवाब मांगा है. साथ ही एयरपोर्ट विस्तार पर अन्य विकल्पों पर भी सुझाव मांगे हैं.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट विस्तार पर उठ रहे सवाल

पढ़ें- पटेल जयंती 2020: पोखरी थाना रहा अव्वल, एकता दिवस पर इन्हें मिला सम्मान

इस पर उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण की लंबी लड़ाई लड़ने वाली संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन दून के सदस्य हिमांशु अरोड़ा ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा है कि केंद्रीय मंत्रालय ने इस विषय पर संज्ञान लिया है.

उन्होंने कहा है कि जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के आस-पास एक सघन वन क्षेत्र है, जहां पर वन्यजीवों का एक घना पारिस्थितिक तंत्र विकसित है. यहां पर कई किस्म के वन्य जीव जंतु निवास करते हैं. साथ ही यह राजाजी नेशनल पार्क से सटा हुआ क्षेत्र है. यहां पर हाथियों की आवाजाही अत्यधिक है. ऐसे में सरकार अगर जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 10 हजार पेड़ों को काटती है तो यह सब नष्ट हो जाएगा. सरकार को इस विषय की संवेदनशीलता समझनी चाहिए.

देहरादून : उत्तराखंड की राजधानी देहरादून के जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर शुरू से सवाल उठ रहे हैं. विरोध का असर अब दिल्ली में भी देखने को मिला है. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तारीकरण पर सवाल किया गया है और विकल्प तलाशने का सुझाव दिया गया है.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार को लेकर राज्य सरकार बेहद उत्साहित थी. भाजपा सरकार ने प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय मानकों की उड़ानें भरने के नाम पर खूब पीठ भी थपथपाई, लेकिन जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए तकरीबन 10 हजार पेड़ काटने की जरूरत पड़ी, जिस पर आस-पास के लोगों और पर्यावरण प्रेमियों का विरोध सरकार को झेलना पड़ा.

एयरपोर्ट विस्तारीकरण में 10 हजार पेड़ काटे जाने की गूंज केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय तक जा पहुंची. केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया से इस बारे में जवाब मांगा है. साथ ही एयरपोर्ट विस्तार पर अन्य विकल्पों पर भी सुझाव मांगे हैं.

जॉलीग्रांट एयरपोर्ट विस्तार पर उठ रहे सवाल

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इस पर उत्तराखंड में पर्यावरण संरक्षण की लंबी लड़ाई लड़ने वाली संस्था सिटीजन फॉर ग्रीन दून के सदस्य हिमांशु अरोड़ा ने खुशी जताई है. उन्होंने कहा है कि केंद्रीय मंत्रालय ने इस विषय पर संज्ञान लिया है.

उन्होंने कहा है कि जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के आस-पास एक सघन वन क्षेत्र है, जहां पर वन्यजीवों का एक घना पारिस्थितिक तंत्र विकसित है. यहां पर कई किस्म के वन्य जीव जंतु निवास करते हैं. साथ ही यह राजाजी नेशनल पार्क से सटा हुआ क्षेत्र है. यहां पर हाथियों की आवाजाही अत्यधिक है. ऐसे में सरकार अगर जॉलीग्रांट एयरपोर्ट के विस्तार के लिए 10 हजार पेड़ों को काटती है तो यह सब नष्ट हो जाएगा. सरकार को इस विषय की संवेदनशीलता समझनी चाहिए.

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