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कोरोना-लॉकडाउन : भारत में 24.7 करोड़ बच्चों की शिक्षा प्रभावित - lockdown due to covid 19

भारत में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में नामांकित 24.7 करोड़ बच्चों की पढ़ाई पर असर डाला है. इस बात का खुलासा यूनिसेफ द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में किया गया. पढ़ें पूरी खबर...

यूनिसेफ
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Published : Jun 24, 2020, 8:55 AM IST

Updated : Jun 24, 2020, 8:10 PM IST

नई दिल्ली : यूनिसेफ द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में नामांकित 24.7 करोड़ बच्चों की पढ़ाई पर असर डाला है. इसके अलावा 2.8 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो आंगनवाड़ी केंद्रों के प्री स्कूल में शिक्षा ले रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में कम से कम 600 मिलियन बच्चों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से खतरा पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्कूल बंद होने से प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में नामांकित 24.7 करोड़ बच्चों को महामारी ने प्रभावित किया है.

वहीं इसने लगभग 2.8 करोड़ ऐसे बच्चों को प्रभावित किया है, जो आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित है.

हालांकि, रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा को जारी रखने के लिए उठाए गए अहम कदमों पर भी प्रकाश डाला गया है. इसमें वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप, टीवी चैनल, रेडियो और पॉडकास्ट जैसे कई ई-प्लेटफार्म शामिल हैं. साथ ही इसमें दीक्षा मंच, स्वयंप्रभा टीवी चैनल, ई-पाठशाला और मुक्त शैक्षिक संसाधनों का भी जिक्र किया गया है.

कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के मद्देनजर हाल ही में नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने कक्षा एक से 12 के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया है. इसमें घर पर शिक्षा का मार्गदर्शन करने के लिए सुझाई गई गतिविधियां शामिल हैं.

यूनिसेफ की रिपोर्ट ने कहा कि भारत में लगभग एक चौथाई घरों (24 प्रतिशत) में इंटरनेट की पहुंच है. इससे बड़ी संख्या में बच्चों के सीखने के अवसरों में कमी होने की आशंका है.

पढ़ें- जागते रहो : आइडेंटिटी क्लोनिंग के जरिए बदमाश दे रहे अपराधों को अंजाम

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के लगभग दो करोड़ बच्चे पीड़ित हैं. चार करोड़ से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और 15-49 वर्ष की आयु की आधी से अधिक भारतीय महिलाएं एनीमिक हैं.

जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा हाल ही में लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित किए गए अध्ययन के अनुसार, नियमित स्वास्थ्य सेवा स्तरों में कमी आई है. वहीं जीवन-रक्षक प्रतिरक्षण गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है.

नई दिल्ली : यूनिसेफ द्वारा तैयार की गई एक रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन ने प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में नामांकित 24.7 करोड़ बच्चों की पढ़ाई पर असर डाला है. इसके अलावा 2.8 करोड़ बच्चे ऐसे हैं, जो आंगनवाड़ी केंद्रों के प्री स्कूल में शिक्षा ले रहे थे.

रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण एशिया में कम से कम 600 मिलियन बच्चों को कोविड-19 महामारी के प्रभाव से खतरा पैदा हो गया है. संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में स्कूल बंद होने से प्रारंभिक और माध्यमिक शिक्षा में नामांकित 24.7 करोड़ बच्चों को महामारी ने प्रभावित किया है.

वहीं इसने लगभग 2.8 करोड़ ऐसे बच्चों को प्रभावित किया है, जो आंगनवाड़ी केंद्रों में नामांकित है.

हालांकि, रिपोर्ट में केंद्र और राज्य सरकार द्वारा बच्चों की शिक्षा को जारी रखने के लिए उठाए गए अहम कदमों पर भी प्रकाश डाला गया है. इसमें वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप, टीवी चैनल, रेडियो और पॉडकास्ट जैसे कई ई-प्लेटफार्म शामिल हैं. साथ ही इसमें दीक्षा मंच, स्वयंप्रभा टीवी चैनल, ई-पाठशाला और मुक्त शैक्षिक संसाधनों का भी जिक्र किया गया है.

कोविड-19 के कारण हुए लॉकडाउन के मद्देनजर हाल ही में नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग ने कक्षा एक से 12 के लिए वैकल्पिक शैक्षणिक कैलेंडर तैयार किया है. इसमें घर पर शिक्षा का मार्गदर्शन करने के लिए सुझाई गई गतिविधियां शामिल हैं.

यूनिसेफ की रिपोर्ट ने कहा कि भारत में लगभग एक चौथाई घरों (24 प्रतिशत) में इंटरनेट की पहुंच है. इससे बड़ी संख्या में बच्चों के सीखने के अवसरों में कमी होने की आशंका है.

पढ़ें- जागते रहो : आइडेंटिटी क्लोनिंग के जरिए बदमाश दे रहे अपराधों को अंजाम

संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में पांच साल से कम उम्र के लगभग दो करोड़ बच्चे पीड़ित हैं. चार करोड़ से अधिक बच्चे कुपोषित हैं और 15-49 वर्ष की आयु की आधी से अधिक भारतीय महिलाएं एनीमिक हैं.

जॉन्स हॉपकिन्स ब्लूमबर्ग स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ द्वारा हाल ही में लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल में प्रकाशित किए गए अध्ययन के अनुसार, नियमित स्वास्थ्य सेवा स्तरों में कमी आई है. वहीं जीवन-रक्षक प्रतिरक्षण गतिविधियों में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है.

Last Updated : Jun 24, 2020, 8:10 PM IST
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