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'बिहार, बंगाल, राजस्थान में अभी भी प्रचलित है बाल विवाह' - undefined

नई दिल्ली: भारत में बाल विवाह की दर में भले ही कमी आई हो लेकिन कुछ राज्यों जैसे बिहार, बंगाल और राजस्थान में अभी भी यह हानिकारक प्रथा जारी है और इन राज्यों में करीब 40 फीसदी की दर से बाल विवाह का प्रचलन है. यूनीसेफ ने यह जानकारी दी है.

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Published : Feb 13, 2019, 12:10 AM IST

नई दिल्ली: भारत में बाल विवाह की दर में भले ही कमी आई हो लेकिन कुछ राज्यों जैसे बिहार, बंगाल और राजस्थान में अभी भी यह हानिकारक प्रथा जारी है और इन राज्यों में करीब 40 फीसदी की दर से बाल विवाह का प्रचलन है. यूनीसेफ ने यह जानकारी दी है.

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) द्वारा सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट 'फैक्टशीट चाइल्ड मैरिजेस 2019' में कहा गया कि तमिलनाडु और केरल में हालांकि बाल विवाह का प्रचलन 20 फीसदी से कम है लेकिन यह प्रथा आदिवासी समुदायों में और अनुसूचित जातियों सहित कुछ विशेष जातियों के बीच प्रचलित है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह से लड़कियों के जीवन, कल्याण और भविष्य को नुकसान पहुंचता है. 2030 तक अपने 18वें जन्मदिन से पहले 15 करोड़ से अधिक लड़कियों की शादी हो चुकी होगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बालिका शिक्षा की दरों में सुधार, किशोरियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा किए गए निवेश व कल्याणकारक कार्यक्रम और बाल विवाह की अवैधता के साथ ही सार्वजनिक रूप से मजबूत संदेश देने जैसे कदम के चलते बाल विवाह की दर में कमी देखने को मिली है.

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इसने यह भी दिखाया है कि 2005-2006 में जहां 47 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी, वहीं 2015-2016 में यह 27 फीसदी दर्ज हुई.

यूनिसेफ ने एक बयान में कहा, 'बदलाव सभी राज्यों में समान है, जिसमें गिरावट की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है लेकिन कुछ जिलों में बाल विवाह का प्रचलन उच्च स्तर पर बना हुआ है. फोकस उन भौगोलिक क्षेत्रों पर है जहां बाल विवाह का प्रचलन उच्च (50 प्रतिशत) और मध्यम (20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच) है.'

रिपोर्ट में पता चला है कि दुनिया भर में करीब 65 करोड़ लड़कियों की शादी उनके 18वें जन्मदिन से पहले हुई थी और विश्व स्तर पर बचपन में शादी कर दी जाने वाली लड़कियों की कुल संख्या प्रति वर्ष करीब 1.2 करोड़ है.

इसने कहा, 'दक्षिण एशिया 40 फीसदी से अधिक दर (कुल वैश्विक दर का 28.5 करोड़ या 44 प्रतिशत) के साथ बाल वधुओं का सबसे बड़ा घर है. इसके बाद उप-सहारा अफ्रीका (वैश्विक दर 18 प्रतिशत या 11.5 करोड़) है.'

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लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में बाल विवाह की स्थिति में बदलाव नहीं आया है. बाल विवाह की उच्च दर के मामले में 25 साल पहले जैसे हालात अभी भी हैं.

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में बाल विवाह की प्रथा में कमी आई है.

पिछले एक दशक में, जिन महिलाओं की शादी बचपन में हुई थी, उनके अनुपात में 15 प्रतिशत की कमी आई है. लगभग 2.5 करोड़ बाल विवाह होने से रोके गए हैं.

दक्षिण एशिया में, एक लड़की के बचपन में शादी कर दिए जाने के में एक तिहाई से भी अधिक गिरावट आई है, जो कि एक दशक पहले लगभग 50 प्रतिशत थी और अब वर्तमान में 30 प्रतिशत है.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि धीमी प्रगति और बढ़ती जनसंख्या दोनों के कारण बाल विवाह का वैश्विक बोझ दक्षिण एशिया से उप-सहारा अफ्रीका में स्थानांतरित हो रहा है. उप-सहारा अफ्रीका में 25 साल पहले सात में से एक लड़की की शादी के मुकाबले हाल ही में विवाहित बाल वधुओं का आंकड़ा करीब तीन में से एक हो गया है.

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नई दिल्ली: भारत में बाल विवाह की दर में भले ही कमी आई हो लेकिन कुछ राज्यों जैसे बिहार, बंगाल और राजस्थान में अभी भी यह हानिकारक प्रथा जारी है और इन राज्यों में करीब 40 फीसदी की दर से बाल विवाह का प्रचलन है. यूनीसेफ ने यह जानकारी दी है.

संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय बाल आपातकालीन कोष (यूनिसेफ) द्वारा सोमवार को जारी एक नई रिपोर्ट 'फैक्टशीट चाइल्ड मैरिजेस 2019' में कहा गया कि तमिलनाडु और केरल में हालांकि बाल विवाह का प्रचलन 20 फीसदी से कम है लेकिन यह प्रथा आदिवासी समुदायों में और अनुसूचित जातियों सहित कुछ विशेष जातियों के बीच प्रचलित है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बाल विवाह से लड़कियों के जीवन, कल्याण और भविष्य को नुकसान पहुंचता है. 2030 तक अपने 18वें जन्मदिन से पहले 15 करोड़ से अधिक लड़कियों की शादी हो चुकी होगी.

रिपोर्ट में कहा गया है कि बालिका शिक्षा की दरों में सुधार, किशोरियों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा किए गए निवेश व कल्याणकारक कार्यक्रम और बाल विवाह की अवैधता के साथ ही सार्वजनिक रूप से मजबूत संदेश देने जैसे कदम के चलते बाल विवाह की दर में कमी देखने को मिली है.

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इसने यह भी दिखाया है कि 2005-2006 में जहां 47 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल की उम्र से पहले हो गई थी, वहीं 2015-2016 में यह 27 फीसदी दर्ज हुई.

यूनिसेफ ने एक बयान में कहा, 'बदलाव सभी राज्यों में समान है, जिसमें गिरावट की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है लेकिन कुछ जिलों में बाल विवाह का प्रचलन उच्च स्तर पर बना हुआ है. फोकस उन भौगोलिक क्षेत्रों पर है जहां बाल विवाह का प्रचलन उच्च (50 प्रतिशत) और मध्यम (20 प्रतिशत से 50 प्रतिशत के बीच) है.'

रिपोर्ट में पता चला है कि दुनिया भर में करीब 65 करोड़ लड़कियों की शादी उनके 18वें जन्मदिन से पहले हुई थी और विश्व स्तर पर बचपन में शादी कर दी जाने वाली लड़कियों की कुल संख्या प्रति वर्ष करीब 1.2 करोड़ है.

इसने कहा, 'दक्षिण एशिया 40 फीसदी से अधिक दर (कुल वैश्विक दर का 28.5 करोड़ या 44 प्रतिशत) के साथ बाल वधुओं का सबसे बड़ा घर है. इसके बाद उप-सहारा अफ्रीका (वैश्विक दर 18 प्रतिशत या 11.5 करोड़) है.'

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लैटिन अमेरिका और कैरिबियन में बाल विवाह की स्थिति में बदलाव नहीं आया है. बाल विवाह की उच्च दर के मामले में 25 साल पहले जैसे हालात अभी भी हैं.

हालांकि, रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दुनिया भर में बाल विवाह की प्रथा में कमी आई है.

पिछले एक दशक में, जिन महिलाओं की शादी बचपन में हुई थी, उनके अनुपात में 15 प्रतिशत की कमी आई है. लगभग 2.5 करोड़ बाल विवाह होने से रोके गए हैं.

दक्षिण एशिया में, एक लड़की के बचपन में शादी कर दिए जाने के में एक तिहाई से भी अधिक गिरावट आई है, जो कि एक दशक पहले लगभग 50 प्रतिशत थी और अब वर्तमान में 30 प्रतिशत है.

रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि धीमी प्रगति और बढ़ती जनसंख्या दोनों के कारण बाल विवाह का वैश्विक बोझ दक्षिण एशिया से उप-सहारा अफ्रीका में स्थानांतरित हो रहा है. उप-सहारा अफ्रीका में 25 साल पहले सात में से एक लड़की की शादी के मुकाबले हाल ही में विवाहित बाल वधुओं का आंकड़ा करीब तीन में से एक हो गया है.

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unicef report on child marriage in bihar wb rajasthan


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