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यूएन सैन्य जेंडर एडवोकेट सम्मान पाने वाली पहली भारतीय मेजर सुमन के परिवार से बातचीत - भारतीय सेना की अधिकारी सुमन गवानी

भारतीय सेना की अधिकारी सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सैन्य जेंडर एडवोकेट ऑफ द इयर के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. ऐसा पहली बार है जब किसी भारतीय शांति रक्षक को इस अवॉर्ड के लिए चुना गया है. सुमन के माता-पिता से ईटीवी भारत संवाददाता विनय पाण्डेय ने खास बातचीत की. पढ़ें पूरी खबर...

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Published : May 30, 2020, 8:16 PM IST

ऋषिकेश : उत्तराखंड के टिहरी की रहने वाली सुमन गवानी ने देश का नाम रोशन किया है. सुमन को संयुक्त राष्ट्र संघ में सैन्य जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड से नवाजा गया है. इस अवॉर्ड के मिलने की खुशी उनके माता-पिता सहित सभी देशवासियों में हैं. सुमन के माता-पिता से ईटीवी भारत संवाददाता विनय पाण्डेय ने खास बातचीत की.

टिहरी जनपद की मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र संघ में सैन्य जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड मिला है. यहअवॉर्ड मिलने पर सुमन के माता-पिता फूले नहीं समा रहे हैं.

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भारतीय सेना की अधिकारी सुमन गवानी

सुमन के पिता प्रेम सिंह गवानी ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को हर तरह की छूट दी और कभी भी बेटी-बेटे में फर्क नहीं समझा. इसी का नतीजा है कि उनकी बेटी को आज इतने बड़े अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही काफी होनहार थी.

पिता प्रेम सिंह ने बताया कि सुमन की पढ़ाई एक से पांचवीं तक शिशु मन्दिर स्कूल में हुई. कक्षा छह से लेकर 10 तक पढ़ाई उत्तरकाशी के एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई. सुमन ने 12वीं कक्षा तक विद्या मंदिर में पढ़ाई करने के बाद उत्तरकाशी से ही बीएससी की डिग्री ली.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इसके बाद सुमन ने देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज में दाखिला लिया. यहां से सुमन ने एमएससी की परीक्षा पास की.

मेजर सुमन की मां कविता बेटी के इस मुकाम पर पहुंचने पर काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि सुमन को संयुक्त राष्ट्र संघ में सैन्य जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड मिलने जा रहा है, जो उनके लिए गर्व की बात है.

सुमन के स्वभाव की बात करते हुए कहा कि वह शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में होनहार थी.

सुमन में आज भी किसी तरह का घमंड नहीं है. सुमन जब भी घर आती है उसी तरह घर में सारे काम करती है जैसे वह पहले किया करती थी.

इसके साथ ही उन्होंने देश के सभी माता-पिता को संदेश देते हुए कहा कि वह कभी भी बेटी और बेटे में कोई फर्क न समझें और उनको आजादी से जीने दें तभी उनकी बेटी आगे चलकर नाम रोशन करेगी.

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भारतीय सेना की अधिकारी सुमन गवानी

सुमन गवानी के माता-पिता को खुशी के साथ-साथ थोड़ा अफसोस भी है. उनका कहना है कि पूरे विश्व में कोरोना महामारी के कारण जिस तरह से लॉकडाउन किया गया है, इसके कारण उनकी बेटी को ऑनलाइन अवॉर्ड दिया जा रहा है. अगर यह लॉकडाउन नहीं होता तो उनकी बेटी अमेरिका पहुंचती और वहां यह अवॉर्ड हासिल करती.

बता दें, मेजर गवानी को यूएन के शांति मिशन में विशिष्ट योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया जा रहा है. पहली बार किसी भारतीय शांति दूत को यह पुरस्कार दिया जा रहा है.

दरअसल, पहले सम्मान न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दिया जाना था लेकिन कोरोना लॉकडाउन के चलते वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए यह कार्यक्रम संपन्न होगा.

सुमन दक्षिण सूडान में एक सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में संयुक्त राष्ट्र के मिशन पर तैनात रही हैं. हाल ही में उन्होंने अपना यह मिशन पूरा किया है.

सुमन के साथ ब्राजील सेना की एक कमांडर कर्ला मोंटेइरो डे कास्त्रो अराउजो को भी जेंडर एडवोकेट ऑफ द इयर अवार्ड से सम्मानित किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों को सम्मानित किया.

ऋषिकेश : उत्तराखंड के टिहरी की रहने वाली सुमन गवानी ने देश का नाम रोशन किया है. सुमन को संयुक्त राष्ट्र संघ में सैन्य जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड से नवाजा गया है. इस अवॉर्ड के मिलने की खुशी उनके माता-पिता सहित सभी देशवासियों में हैं. सुमन के माता-पिता से ईटीवी भारत संवाददाता विनय पाण्डेय ने खास बातचीत की.

टिहरी जनपद की मेजर सुमन गवानी को संयुक्त राष्ट्र संघ में सैन्य जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड मिला है. यहअवॉर्ड मिलने पर सुमन के माता-पिता फूले नहीं समा रहे हैं.

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भारतीय सेना की अधिकारी सुमन गवानी

सुमन के पिता प्रेम सिंह गवानी ने बताया कि उन्होंने अपनी बेटी को हर तरह की छूट दी और कभी भी बेटी-बेटे में फर्क नहीं समझा. इसी का नतीजा है कि उनकी बेटी को आज इतने बड़े अवॉर्ड से नवाजा गया है. उन्होंने बताया कि उनकी बेटी बचपन से ही काफी होनहार थी.

पिता प्रेम सिंह ने बताया कि सुमन की पढ़ाई एक से पांचवीं तक शिशु मन्दिर स्कूल में हुई. कक्षा छह से लेकर 10 तक पढ़ाई उत्तरकाशी के एक कॉन्वेंट स्कूल में हुई. सुमन ने 12वीं कक्षा तक विद्या मंदिर में पढ़ाई करने के बाद उत्तरकाशी से ही बीएससी की डिग्री ली.

देखें ईटीवी भारत की रिपोर्ट

इसके बाद सुमन ने देहरादून के डीएवी पीजी कॉलेज में दाखिला लिया. यहां से सुमन ने एमएससी की परीक्षा पास की.

मेजर सुमन की मां कविता बेटी के इस मुकाम पर पहुंचने पर काफी खुश हैं. उन्होंने कहा कि सुमन को संयुक्त राष्ट्र संघ में सैन्य जेंडर एडवोकेट अवॉर्ड मिलने जा रहा है, जो उनके लिए गर्व की बात है.

सुमन के स्वभाव की बात करते हुए कहा कि वह शुरू से ही पढ़ाई-लिखाई में होनहार थी.

सुमन में आज भी किसी तरह का घमंड नहीं है. सुमन जब भी घर आती है उसी तरह घर में सारे काम करती है जैसे वह पहले किया करती थी.

इसके साथ ही उन्होंने देश के सभी माता-पिता को संदेश देते हुए कहा कि वह कभी भी बेटी और बेटे में कोई फर्क न समझें और उनको आजादी से जीने दें तभी उनकी बेटी आगे चलकर नाम रोशन करेगी.

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भारतीय सेना की अधिकारी सुमन गवानी

सुमन गवानी के माता-पिता को खुशी के साथ-साथ थोड़ा अफसोस भी है. उनका कहना है कि पूरे विश्व में कोरोना महामारी के कारण जिस तरह से लॉकडाउन किया गया है, इसके कारण उनकी बेटी को ऑनलाइन अवॉर्ड दिया जा रहा है. अगर यह लॉकडाउन नहीं होता तो उनकी बेटी अमेरिका पहुंचती और वहां यह अवॉर्ड हासिल करती.

बता दें, मेजर गवानी को यूएन के शांति मिशन में विशिष्ट योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित सम्मान दिया जा रहा है. पहली बार किसी भारतीय शांति दूत को यह पुरस्कार दिया जा रहा है.

दरअसल, पहले सम्मान न्यूयार्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में दिया जाना था लेकिन कोरोना लॉकडाउन के चलते वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए यह कार्यक्रम संपन्न होगा.

सुमन दक्षिण सूडान में एक सैन्य पर्यवेक्षक के रूप में संयुक्त राष्ट्र के मिशन पर तैनात रही हैं. हाल ही में उन्होंने अपना यह मिशन पूरा किया है.

सुमन के साथ ब्राजील सेना की एक कमांडर कर्ला मोंटेइरो डे कास्त्रो अराउजो को भी जेंडर एडवोकेट ऑफ द इयर अवार्ड से सम्मानित किया गया है.

संयुक्त राष्ट्र शांति सैनिकों के अंतरराष्ट्रीय दिवस पर यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए दोनों को सम्मानित किया.

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