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चंदे के पैसे से खरीदा मोबाइल और पढ़ाई के लिए चढ़ते हैं पहाड़

भूमिका और भरत कर्नाटक के उडुपी जिले के बायंदूर तालुक के इदुर कुंजवाड़ी गांव के हैं, उनके घर पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या है, इसलिए दोनों छात्र ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने के लिए प्रत्येक दिन 300 मीटर की दूरी तय कर पहाड़ियों पर चढ़ते है.

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Published : Aug 29, 2020, 5:54 PM IST

two students have to climb hill
ऑनलाइन पढ़ाई

बेंगलुरु : कहते हैं इंसान में जिद हो तो दुनिया में कुछ भी हासिल किया जा सकता है. इस बात को भूमिका और भरत सच साबित करने में जुटे हुए हैं. दोनों छात्र ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने के लिए हर दिन 300 मीटर की दूरी तय कर पहाड़ियों पर चढ़ते हैं.

भूमिका और भरत कर्नाटक के उडुपी जिले के बायंदूर तालुक के इदुर कुंजवाड़ी गांव के हैं, उनके घर पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या है, इसलिए उन्हें अपने घर से 300 मीटर की चढ़ाई करनी होती है. भूमिका और भरत दोनों कुंजवाग्दी सरकारी स्कूल में कक्षा 5 में पढ़ रहे थे, तब वह दोनों नवोदय प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और स्कूल में प्रवेश लिए था.

ऑनलाइन पढ़ाई

माता-पिता ने बच्चों की शिक्षा के लिए पहाड़ी पर एक छोटी सी झोपड़ी बनाई है. हर दिन सुबह 9 बजे बच्चे मोबाइल, चार्जर, किताब और बैटरी को लेकर 300 मीटर दूर पहाड़ी पर बनी झोपड़ी में पढ़ाई करने जाते हैं. छात्रों के माता-पिता एक गरीब परिवार से हैं और उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा के लिए मोबाइल खरीदने के लिए 50 हजार रुपये उधार लिए हैं.

पढ़ें : अब सीएस उम्मीदवारों को मिलेगी वित्तीय सहायता

बेंगलुरु : कहते हैं इंसान में जिद हो तो दुनिया में कुछ भी हासिल किया जा सकता है. इस बात को भूमिका और भरत सच साबित करने में जुटे हुए हैं. दोनों छात्र ऑनलाइन कक्षा में शामिल होने के लिए हर दिन 300 मीटर की दूरी तय कर पहाड़ियों पर चढ़ते हैं.

भूमिका और भरत कर्नाटक के उडुपी जिले के बायंदूर तालुक के इदुर कुंजवाड़ी गांव के हैं, उनके घर पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या है, इसलिए उन्हें अपने घर से 300 मीटर की चढ़ाई करनी होती है. भूमिका और भरत दोनों कुंजवाग्दी सरकारी स्कूल में कक्षा 5 में पढ़ रहे थे, तब वह दोनों नवोदय प्रवेश परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे और स्कूल में प्रवेश लिए था.

ऑनलाइन पढ़ाई

माता-पिता ने बच्चों की शिक्षा के लिए पहाड़ी पर एक छोटी सी झोपड़ी बनाई है. हर दिन सुबह 9 बजे बच्चे मोबाइल, चार्जर, किताब और बैटरी को लेकर 300 मीटर दूर पहाड़ी पर बनी झोपड़ी में पढ़ाई करने जाते हैं. छात्रों के माता-पिता एक गरीब परिवार से हैं और उन्होंने ऑनलाइन शिक्षा के लिए मोबाइल खरीदने के लिए 50 हजार रुपये उधार लिए हैं.

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