नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर को मिला राज्य का दर्जा आज खत्म हो गया और इसके साथ ही उसे औपचारिक रूप से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांट दिया गया.
जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों के नए उपराज्यपाल (एलजी) क्रमश: गिरीश चंद्र मुर्मू और आर के माथुर आज पदभार ग्रहण करेंगे. इस सिलसिले में श्रीनगर और लेह में दो अलग-अलग शपथ ग्रहण समारोहों का आयोजन किया जाएगा.
जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल, मुर्मू और माथुर दोनों को शपथ दिलाएंगी.
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून, 2019 के अनुसार दोनों केंद्र शासित प्रदेशों के लिए नियुक्ति आज (31 अक्टूबर) होगी और ये केंद्र शासित प्रदेश आधी रात (बुधवार-गुरुवार) को अस्तित्व में आ गए.
ऐसे कई उदाहरण हैं जब किसी केंद्र शासित प्रदेश को राज्य में बदला गया हो या एक राज्य को दो राज्यों में बांटा गया हो, लेकिन ऐसा पहली बार है कि एक राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदल दिया गया.
इसके साथ ही देश में राज्यों की संख्या 28 और केंद्र शासित प्रदेशों की संख्या सात हो गई.
नरेंद्र मोदी सरकार ने अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला किया था, जिसे संसद ने अपनी मंजूरी दी.
भाजपा ने अपने चुनाव घोषणा पत्र में जम्मू-कश्मीर को दिया गया विशेष राज्य का दर्जा खत्म करने की बात कही थी और मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के 90 दिनों के भीतर ही इस वादे को पूरा कर दिया. इस बारे में पांच अगस्त को फैसला किया गया.
कश्मीर के शासक महाराजा हरि सिंह ने 72 साल पहले 26 अक्टूबर, 1947 को भारत के साथ विलय संधि की थी, जिसके बाद यह रियासत भारत का अभिन्न हिस्सा बन गई.
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दोनों केंद्र शासित प्रदेश देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल की जयंती के दिन अस्तित्व में आएंगे, जिन्हें देश की 560 से अधिक रियासतों का भारत संघ में विलय का श्रेय है.
देश में आज (31 अक्टूबर) का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया जाता है. इस दिन मोदी और अमित शाह दोनों क्रमश: केवडिया (गुजरात) और नई दिल्ली में अगल-अलग कार्यक्रमों में शामिल होंगे.
कानून के मुताबिक संघ शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश होगा.