नई दिल्ली : अमेरिका में कोरोना महामारी की वजह से लाखों लोग बेरोजगार हो गए हैं. इसके चलते राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच-1 बी वीजा पर पाबंदियों की घोषणा कर दी है. ट्रंप के इस फैसले से दुनियाभर से अमेरिका में नौकरी करने का सपना देखने वाले 2.4 लाख लोगों को धक्का लग सकता है, जिसमें भारत विशेष रूप से शामिल है.
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एच -1 बी, एल और अन्य अस्थायी वर्क परमिट वीजा को निलंबित करने को लेकर भारत में विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय आईटी क्षेत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करेगा, लेकिन इससे द्विपक्षीय संबंध प्रभावित नहीं होंगे.
उनका मानना है कि ट्रंप ने अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों के मद्देनजर यह की घोषणा की है. इतना ही नहीं यह फैसला अमेरिकी प्रोद्योगिक कंपनियों के प्रमुखों और अन्य व्यापारिक नेताओं के लिए भी खतरनाक हो सकता है.
बता दें कि ट्रंप ने सोमवार को एच -1 बी, एल और कुछ अन्य अस्थायी वर्क परमिट वीजा को अस्थायी रूप से निलंबित करते हुए एक घोषणा जारी की. इसमें कहा गया कि कोरोना वायरस से उबरने के दौरान हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि अमेरिका वर्करस को पहले काम मिले. व्हाइट हाउस के अनुसार यह निलंबन 31 दिसंबर तक प्रभावी रहेगा.
हालांकि यह अमेरिका में रह रहे ऐसे वीजा रखने वालों को प्रभावित नहीं करेगा, लेकिन इन वीजा को रखने वाले अन्य और अमेरिका से बाहर के लोग इस अवधि के दौरान वापस नहीं लौट पाएंगे.
गौरतलब है कि हर साल जारी होने वाले 85,000 एच -1 बी वीजा में से लगभग 70 प्रतिशत भारतीयों को प्राप्त होते हैं और भारतीय आईटी कंपनियां इसकी सबसे बड़ी लाभार्थी हैं.
इस मामले में बात करते हुए विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव पिनाक रंजन चक्रवर्ती ने ईटीवी भारत को बताया कि यह निर्णय भारतीय आईटी सेक्टर प्रभावित करेगा क्योंकि अब हमारे लोग वहां नहीं जा पाएंगे और इसलिए वहां काम करने वाली भारतीय कंपनियों सहित वहां की कंपनियों को स्थानीय लोगों को नौकरियां देनी होंगी.
चक्रवर्ती का मानना है कि इसके तत्काल प्रभाव से कंपनियों वित्तीय परिव्यय में वृद्धि होगी. इसके अलावा वह काम की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं होंगे, क्योंकि उनके पास ऐसे लोग होंगे, जो विशेष रूप से योग्य या ज्ञानवान नहीं हैं और यही एक कारण है कि मुझे लगता है कि इसका तत्काल प्रभाव पड़ेगा.
यूएस इंडिया पॉलिटिकल एक्शन कमेटी के संस्थापक सदस्य रॉबिन्दर सचदेव के अनुसार, ट्रंप की घोषणा का आईटी उद्योग पर कम से कम 20 प्रतिशत तक प्रभाव पड़ेगा.
हालांकि, सचदेव का मानना है कि भारतीय आईटी कंपनियों को अब सामंजस्य स्थापित करना होगा क्योंकि कोविड -19 महामारी ने बाकी दुनिया में उद्योग में जबरदस्त नए अवसर पैदा किए हैं.
उन्होंने कहा कि बिजनेस मॉडल को फिर से काम करने जा है, लोग घर से काम कर रहे हैं और कई अन्य कॉन्फ़िगरेशन किए जाने हैं. इसलिए, भारतीय आईटी उद्योग के पास बहुत उज्ज्वल भविष्य की गुंजाइश है, लेकिन इसे अनुकूलित करना होगा.
सचदेव ने आगे कहा कि 31 दिसंबर के बाद भी H-1B वीजा जारी करने की कोई निश्चितता नहीं है, लेकिन उम्मीद यह है कि भारतीय आईटी कंपनियों को अलग-अलग बिजनेस मॉडल के जरिए नए अनुबंध मिलने के साथ इसकी भरपाई की जा सकती है. हालांकि चक्रवर्ती और सचदेव दोनों की राय है कि ट्रंप के इस कदम का भारत-अमेरिका द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
चक्रवर्ती ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि इसका (द्विपक्षीय संबंधों पर) बहुत बड़ा प्रभाव पड़ेगा और (यह) फैसला राष्ट्रपति ट्रंप के चुनावी अभियान के प्रेरित है.
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इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि कोरोना महामारी ने बेरोजगारी को बहुत अधिक बढ़ा दिया है और बहुत सारे लोग बर्बाद हो गए हैं. इसलिए, मुझे लगता है कि यह स्पष्ट रूप से एक चुनाव से प्रेरित कदम है, ताकि वह (ट्रंप) अभियान शुरू कर सकें और कह सकें कि 'देखो, मैं नौकरियां पैदा कर रहा हूं. क्योंकि महामारी से पहले वह खुब आर्थिक फायदा ले रहे थे.
सचदेव का भी यही मानना है कि इन वीजा के निलंबन से द्विपक्षीय संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
उन्होंने कहा कि यह कुछ ऐसा है, जो नौकरशाही स्तर पर रहेगा और यह द्विपक्षीय संबंधों को बिल्कुल प्रभावित नहीं करेगा. हम जानते हैं कि यह ट्रंप द्वारा अपनी आंतरिक घरेलू नीतियों का एक कदम है.
भारत-अमेरिका आर्थिक संबंधों के संदर्भ में सचदेव का विचार है कि इस वर्ष आईटी उद्योग के लिए आंकड़ों के संदर्भ में इसका कुछ तो प्रभाव पड़ेगा जबकि चक्रवर्ती ने कहा कि यह सिर्फ एक प्रकार का दोष होगा.
चक्रवर्ती ने इस बात की भी कड़ी आलोचना की कि ट्रंप अमेरिकी व्यापारिक नेताओं सके बीच से आए हैं. मुझे लगता है, जल्दी या बाद में, व्यापार लॉबी प्रबल होने वाली है और उन्हें इसे (वीजा के निलंबन) को वापस लेना होगा. जैसा कि मैंने कहा, यह चुनाव से जुड़ा कदम है और मुझे लगता है कि यह अस्थायी होने जा रहा है.