नई दिल्ली : तीन तलाक बिल राज्यसभा से पास होने के बाद कानून की शक्ल ले लेगा. हालांकि, सत्ता पक्ष के पास इस बिल को निर्विरोध पारित कराने के लिए पर्याप्त सांसद नहीं है.
तीन तलाक बिल का लोकसभा में कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और अन्य पार्टियों के हंगामें के बीच के बीच चल रहे हंगामे के बीच यह विधेयक लोकसभा ने पहले ही ध्वनिमत से पारित कर दिया था.
इस बार इस बिल को पारित करवाने के लिए सत्तारूढ़ भाजपा ने अपने सांसदों को एक व्हिप जारी किया है, जिसमें उन्हें सदन में अपनी उपस्थिति रहने को कहा गया है.
यह बिल मुस्लिम पुरुषों द्वारा तत्काल तलाक को अपराधिक बनाता है और इसमें दोषियों को जेल भेजने का प्रावधान भी शामिल किया गया है.
गौरतलब है कि यह पहला मसौदा कानून था, जिसे नरेंद्र मोदी सरकार ने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद संसद में पेश किया.
ये भी पढ़ें: RTI (संशोधन) विधेयक : राज्यसभा में बिल पास, विपक्ष का भारी विरोध बेअसर
इस बिल का कई विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध किया है लेकिन सरकार ने कहा है कि यह विधेयक लैंगिक समानता और न्याय की दिशा में एक अहम कदम है.
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस और द्रमुक जैसी पार्टियों ने मांग की है कि इसे जांच के लिए एक संसदीय समिति के पास भेजा जाए.
ये भी पढ़ें: लोकसभा में पास हुआ ट्रिपल तलाक बिल, 303 सांसदों का समर्थन
निचले सदन के विपरीत, जहां भाजपा नीत राजग को मजबूत बहुमत प्राप्त है, सत्तारूढ़ गठबंधन को राज्यसभा में एक कठिन कार्य का सामना करना पड़ेगा, जहां विपक्ष की तादाद ज्यादा है.
जेडी (यू) सहित भाजपा के कुछ सहयोगी दलों ने भी इस बिल के बारे में अपना विरोध जताया है.