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कृषि मंत्री तोमर बोले- किसानों को दिया प्रस्ताव 'बरकरार', पर अभी कोई बातचीत निर्धारित नहीं

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव 'अब भी बरकरार' है. बातचीत के रास्ते खुले हैं. सरकार अपनी बात पर कायम है.

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Published : Feb 3, 2021, 7:53 PM IST

Tomar
Tomar

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसी तरह की अनौपचारिक वार्ता नहीं कर रहा है. उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आस-पास अवरोधक मजबूत किए जाने तथा इंटरनेट पर रोक लगाने को स्थानीय प्रशासन से संबंधित कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया.

प्रदर्शन में शामिल 41 यूनियनों और केंद्र के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को बेनतीजा रही थी. केंद्र ने यूनियनों से कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के सरकार के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है. सरकार अगले दौर की वार्ता कब करेगी और क्या वह यूनियनों के साथ अनौपचारिक तौर पर बातचीत कर रही है, यह पूछे जाने पर तोमर ने ना में जवाब दिया. तोमर ने कहा, 'नहीं. जब औपचारिक वार्ता होगी तब हम अवगत कराएंगे.

सरकार पर प्रताड़ना का आरोप

प्रदर्शनकारी यूनियनों ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा 'प्रताड़ना' रोके जाने और हिरासत में लिए गए किसानों को रिहा किए जाने तक सरकार के साथ औपचारिक बात नहीं होगी. इस बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि उन्हें पुलिस आयुक्त से बात करनी चाहिए. मैं कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. यह मेरा काम नहीं है. किसान नेताओं और केंद्र के बीच 22 जनवरी के बाद से वार्ता नहीं हुई है. वहीं सरकार ने दोहराया है कि उसका प्रस्ताव अब भी कायम है और वार्ता के द्वार खुले हैं.

औपचारिक वार्ता नहीं हो रही

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी एक बयान में कहा था कि वार्ता के लिए उसे कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है. एसकेएम ने मंगलवार को कहा कि जब तक किसानों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन की 'प्रताड़ना' बंद नहीं होती, सरकार के साथ कोई 'औपचारिक' वार्ता नहीं होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव 'अब भी बरकरार' है तथा बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है.

बंद कर दी गई हैं सड़कें

प्रदर्शनकारियों का आवागमन रोकने के लिए पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर मुख्य राजमार्ग के किनारे सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगा दी हैं. दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग के एक अन्य हिस्से पर सीमेंट की अस्थायी दीवार बनाने से वह हिस्सा भी आंशिक रूप से बाधित हो गया है.

यह भी पढ़ें-लोकतंत्र सूचकांक में फिसला भारत, पहुंचा 53वें स्थान पर

दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां किसान दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

नई दिल्ली : केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बुधवार को कहा कि केंद्र प्रदर्शनकारी किसानों के साथ किसी तरह की अनौपचारिक वार्ता नहीं कर रहा है. उन्होंने प्रदर्शन स्थल के आस-पास अवरोधक मजबूत किए जाने तथा इंटरनेट पर रोक लगाने को स्थानीय प्रशासन से संबंधित कानून-व्यवस्था का मुद्दा बताया.

प्रदर्शन में शामिल 41 यूनियनों और केंद्र के बीच 11वें दौर की वार्ता 22 जनवरी को बेनतीजा रही थी. केंद्र ने यूनियनों से कृषि कानूनों को 18 महीने के लिए स्थगित करने के सरकार के प्रस्ताव पर फिर से विचार करने को कहा है. सरकार अगले दौर की वार्ता कब करेगी और क्या वह यूनियनों के साथ अनौपचारिक तौर पर बातचीत कर रही है, यह पूछे जाने पर तोमर ने ना में जवाब दिया. तोमर ने कहा, 'नहीं. जब औपचारिक वार्ता होगी तब हम अवगत कराएंगे.

सरकार पर प्रताड़ना का आरोप

प्रदर्शनकारी यूनियनों ने कहा है कि पुलिस और प्रशासन द्वारा 'प्रताड़ना' रोके जाने और हिरासत में लिए गए किसानों को रिहा किए जाने तक सरकार के साथ औपचारिक बात नहीं होगी. इस बारे में पूछे जाने पर मंत्री ने कहा कि उन्हें पुलिस आयुक्त से बात करनी चाहिए. मैं कानून-व्यवस्था के मुद्दे पर टिप्पणी नहीं करना चाहता. यह मेरा काम नहीं है. किसान नेताओं और केंद्र के बीच 22 जनवरी के बाद से वार्ता नहीं हुई है. वहीं सरकार ने दोहराया है कि उसका प्रस्ताव अब भी कायम है और वार्ता के द्वार खुले हैं.

औपचारिक वार्ता नहीं हो रही

संयुक्त किसान मोर्चा ने भी एक बयान में कहा था कि वार्ता के लिए उसे कोई औपचारिक प्रस्ताव नहीं मिला है. एसकेएम ने मंगलवार को कहा कि जब तक किसानों के खिलाफ पुलिस और प्रशासन की 'प्रताड़ना' बंद नहीं होती, सरकार के साथ कोई 'औपचारिक' वार्ता नहीं होगी. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से कहा था कि कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को उनकी सरकार की ओर से दिया गया प्रस्ताव 'अब भी बरकरार' है तथा बातचीत में सिर्फ एक फोन कॉल की दूरी है.

बंद कर दी गई हैं सड़कें

प्रदर्शनकारियों का आवागमन रोकने के लिए पुलिस की निगरानी में मजदूरों ने दिल्ली में सिंघू बॉर्डर पर मुख्य राजमार्ग के किनारे सीमेंट के अवरोधकों की दो कतारों के बीच लोहे की छड़ें लगा दी हैं. दिल्ली-हरियाणा राजमार्ग के एक अन्य हिस्से पर सीमेंट की अस्थायी दीवार बनाने से वह हिस्सा भी आंशिक रूप से बाधित हो गया है.

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दिल्ली-गाजीपुर सीमा पर भी सुरक्षा बढ़ा दी गई है, जहां किसान दो महीने से ज्यादा समय से कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं.

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