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पंजाब : हाईकोर्ट की शरण में टोल प्लाजा कंपनियां, नुकसान के भरपाई की मांग

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Published : Jan 29, 2021, 11:10 PM IST

टोल प्लाजा कंपनियों ने किसानों द्वारा किए जा रहे प्रदर्शन की वजह से हो रहे नुकसान की भरपाई के लिए हाईकोर्ट से अपील की है. हाईकोर्ट ने कंपनियों की अपील पर एनएचआई और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है.

toll plaza
toll plaza

चंडीगढ़ : टोल प्लाजा कंपनियों ने हाईकोर्ट से अपील की है कि या तो नुकसान की भरपाई करवाई जाए या स्टाफ को सुरक्षित करने के उपाय हों. हाईकोर्ट ने कंपनियों की अपील पर एनएचआई और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है. अब तक दो टोल प्लाजा कंपनियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट के सीनियर वकील ने कहा आगे जाकर आम लोगों को ही करनी पड़ेगी नुकसान की भरपाई.

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार पंजाब और हरियाणा के टोल प्लाजा पर बैठे हैं और किसानों ने टोल फ्री कर रखे हैं. हरियाणा के कई टोल प्लाजा का संचालन भले ही शुरू हो गया है लेकिन पंजाब के नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के टोल प्लाजा पर किसान बैठे हैं. जिससे टोल प्लाजा कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है. करोड़ों के नुकसान का हवाला देते हुए अब तक जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेस-वे कंपनी और महसूस पानीपत जालंधर एनएच 1 टोलवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हाई कोर्ट का रुख कर चुकी हैं. दोनों कंपनियों ने हाईकोर्ट से अपील की है कि किसानों को टोल प्लाजा का संचालन शुरू करवाया जाए.

चंडीगढ़ में टोल प्लाजा संचालक कर रहे नुकसान की भरपाई की मांग

किसान बैठे हैं टोल प्लाजा पर

टोल प्लाजा पर बैठे किसानों का कहना है कि अभी तक जो लोग टोल प्लाजा पर बैठे हैं उन्हें पार्टी नहीं बनाया है. अगर पार्टी बनाएंगे तो इसका जवाब हाईकोर्ट ने जरूर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा कंपनियों को हाई कोर्ट जाने की बजाय सरकार के पास जाना चाहिए और उन पर दबाव बनाना चाहिए कि वह भी किसानों की मांगों को मानें. उन्होंने कहा कि हमारा अधिकार है कि हम प्रदर्शन कर सकते हैं और ऐसे में जिन्हें जहां पर जो सही लग रहा है वह वहां पर बैठकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं. टोल कंपनियों ने करोड़ों के नुकसान की भरपाई की अपील करते हुए अपने स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है. हाईकोर्ट ने जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेसवे कंपनी की याचिका पर 24 फरवरी के लिए और मेसर्स पानीपत जालंधर एंड प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर पंजाब सरकार को 6 अप्रैल के लिए नोटिस जारी किया है.

जनता को ही भुगतनी पड़ेगा नुकसान
हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट चेतन मित्तल ने दोनों याचिकाओं के बारे में बताया कि जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेसवे कंपनी ने पंजाब क्षेत्र में दप्पर टोल प्लाजा पर 9 अक्टूबर से अपेक्षित फीस न जमा करने पर लगभग करोड़ों रुपए के नुकसान के बारे में हाई कोर्ट को बताया है. हाई कोर्ट को बताया गया कि कंपनी को अंबाला चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन का निर्माण संचालन और रखरखाव करने का अधिकार लाइसेंस और अधिकार प्रदान किया गया है. उस अधिकार के तहत उनके पास 20 साल की अवधि है और 10 दिसंबर 2008 से संचालन करने का अधिकार उनके पास है. याचिका दाखिल करने वाली कंपनी ने न सिर्फ हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को एक पत्र भेजा है. उसने कंपनी की संपत्ति और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया था. हालांकि सभी अनुरोध के बावजूद किसी ने कुछ नहीं किया.

रोजाना 65 लाख तक की वसूली
पंजाब के स्टेट टोल प्लाजा की बात करें तो 23 टोल प्लाजा है और 21 नेशनल टोल प्लाजा हैं. स्टेट टोल प्लाजा की हर दिन लगभग 62 से 65 लाख पर कलेक्शन होती है. यही कारण है कि कंपनी को भारी नुकसान हो रहा है. सीनियर वकील ने कहा कि कंपनियों के एनएचआई के साथ एमओयू साइन होते है. फिलहाल भले ही लोग टोल प्लाजा न देने के चलते राहत महसूस करते होंगे लेकिन जब मामला हाईकोर्ट और आर्बिट्रेशन में चला जाता है तो सारे नुकसान की भरपाई आगे जाकर आम जनता से ही की जाएगी.

जब तक धरना तब तक है समस्या
हरियाणा के कई टोल प्लाजा से किसानों को स्थानीय लोग उठा रहे हैं जबकि पंजाब की बात करें तो टोल प्लाजा पर धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है. वापस नहीं लेती तब तक धरना जारी रहेगा और टोल प्लाजा को फ्री ही रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि नुकसान के जिम्मेदार हम नहीं है बल्कि केंद्र सरकार है क्योंकि किसान मजबूरी में बैठे हैं.

यह भी पढ़ें-किसानों का जीवन बर्बाद कर रही सरकार, वापस लेने होंगे कानून : राहुल

किसानों ने कहा कि उनको मालूम है की भरपाई आम आदमी से ही करवाई जाएगी लेकिन हम यह विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

चंडीगढ़ : टोल प्लाजा कंपनियों ने हाईकोर्ट से अपील की है कि या तो नुकसान की भरपाई करवाई जाए या स्टाफ को सुरक्षित करने के उपाय हों. हाईकोर्ट ने कंपनियों की अपील पर एनएचआई और पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है. अब तक दो टोल प्लाजा कंपनियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. हाईकोर्ट के सीनियर वकील ने कहा आगे जाकर आम लोगों को ही करनी पड़ेगी नुकसान की भरपाई.

केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ किसान लगातार पंजाब और हरियाणा के टोल प्लाजा पर बैठे हैं और किसानों ने टोल फ्री कर रखे हैं. हरियाणा के कई टोल प्लाजा का संचालन भले ही शुरू हो गया है लेकिन पंजाब के नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के टोल प्लाजा पर किसान बैठे हैं. जिससे टोल प्लाजा कंपनियों को भारी नुकसान हो रहा है. करोड़ों के नुकसान का हवाला देते हुए अब तक जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेस-वे कंपनी और महसूस पानीपत जालंधर एनएच 1 टोलवे प्राइवेट लिमिटेड कंपनी हाई कोर्ट का रुख कर चुकी हैं. दोनों कंपनियों ने हाईकोर्ट से अपील की है कि किसानों को टोल प्लाजा का संचालन शुरू करवाया जाए.

चंडीगढ़ में टोल प्लाजा संचालक कर रहे नुकसान की भरपाई की मांग

किसान बैठे हैं टोल प्लाजा पर

टोल प्लाजा पर बैठे किसानों का कहना है कि अभी तक जो लोग टोल प्लाजा पर बैठे हैं उन्हें पार्टी नहीं बनाया है. अगर पार्टी बनाएंगे तो इसका जवाब हाईकोर्ट ने जरूर दिया जाएगा. उन्होंने कहा कि टोल प्लाजा कंपनियों को हाई कोर्ट जाने की बजाय सरकार के पास जाना चाहिए और उन पर दबाव बनाना चाहिए कि वह भी किसानों की मांगों को मानें. उन्होंने कहा कि हमारा अधिकार है कि हम प्रदर्शन कर सकते हैं और ऐसे में जिन्हें जहां पर जो सही लग रहा है वह वहां पर बैठकर किसानों का समर्थन कर रहे हैं. टोल कंपनियों ने करोड़ों के नुकसान की भरपाई की अपील करते हुए अपने स्टाफ की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग की है. हाईकोर्ट ने जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेसवे कंपनी की याचिका पर 24 फरवरी के लिए और मेसर्स पानीपत जालंधर एंड प्राइवेट लिमिटेड की याचिका पर पंजाब सरकार को 6 अप्रैल के लिए नोटिस जारी किया है.

जनता को ही भुगतनी पड़ेगा नुकसान
हाईकोर्ट के सीनियर एडवोकेट चेतन मित्तल ने दोनों याचिकाओं के बारे में बताया कि जीएमआर अंबाला चंडीगढ़ एक्सप्रेसवे कंपनी ने पंजाब क्षेत्र में दप्पर टोल प्लाजा पर 9 अक्टूबर से अपेक्षित फीस न जमा करने पर लगभग करोड़ों रुपए के नुकसान के बारे में हाई कोर्ट को बताया है. हाई कोर्ट को बताया गया कि कंपनी को अंबाला चंडीगढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग फोरलेन का निर्माण संचालन और रखरखाव करने का अधिकार लाइसेंस और अधिकार प्रदान किया गया है. उस अधिकार के तहत उनके पास 20 साल की अवधि है और 10 दिसंबर 2008 से संचालन करने का अधिकार उनके पास है. याचिका दाखिल करने वाली कंपनी ने न सिर्फ हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया को एक पत्र भेजा है. उसने कंपनी की संपत्ति और कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए पुलिस सुरक्षा प्रदान करने का अनुरोध किया था. हालांकि सभी अनुरोध के बावजूद किसी ने कुछ नहीं किया.

रोजाना 65 लाख तक की वसूली
पंजाब के स्टेट टोल प्लाजा की बात करें तो 23 टोल प्लाजा है और 21 नेशनल टोल प्लाजा हैं. स्टेट टोल प्लाजा की हर दिन लगभग 62 से 65 लाख पर कलेक्शन होती है. यही कारण है कि कंपनी को भारी नुकसान हो रहा है. सीनियर वकील ने कहा कि कंपनियों के एनएचआई के साथ एमओयू साइन होते है. फिलहाल भले ही लोग टोल प्लाजा न देने के चलते राहत महसूस करते होंगे लेकिन जब मामला हाईकोर्ट और आर्बिट्रेशन में चला जाता है तो सारे नुकसान की भरपाई आगे जाकर आम जनता से ही की जाएगी.

जब तक धरना तब तक है समस्या
हरियाणा के कई टोल प्लाजा से किसानों को स्थानीय लोग उठा रहे हैं जबकि पंजाब की बात करें तो टोल प्लाजा पर धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है. वापस नहीं लेती तब तक धरना जारी रहेगा और टोल प्लाजा को फ्री ही रखा जाएगा. उन्होंने कहा कि नुकसान के जिम्मेदार हम नहीं है बल्कि केंद्र सरकार है क्योंकि किसान मजबूरी में बैठे हैं.

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किसानों ने कहा कि उनको मालूम है की भरपाई आम आदमी से ही करवाई जाएगी लेकिन हम यह विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे.

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