नई दिल्ली : किसानों के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने राज्य सभा में जमकर हंगामा किया. कई सांसद ने कृषि विधेयकों पर चर्चा के बाद वोटिंग के दौरान वेल में जमा हो गए और जमकर नारेबाजी की.
विधेयक का विरोध कर रहे तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने रुल बुक की प्रति फाड़कर अपना विरोध दर्ज कराया. आक्रामक दिख रहे तृणमूल सांसद ने सभापति के समक्ष लगे माइक को भी तोड़ डाला.
सदन में बिल के विरोध के दौरान डेरेक ओ ब्रायन मार्शल से भी भिड़ते दिखे.
इससे पहले बिल पर चर्चा के दौरान तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने कहा, 'पीएम ने कहा विपक्ष किसानों को गुमराह कर रहा है. केंद्र ने कहा 2022 तक किसानों की दोगुनी आय होगी, लेकिन, वर्तमान दरों पर, किसान की आय 2028 से पहले दोगुनी नहीं होगी.' उन्होंने सरकार की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हुए कहा, 'वादे करने के लिए आपकी विश्वसनीयता कम है'
अन्य दलों का भी विरोध-
शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने दोनों विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की. उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए. सरकार को पंजाब और हरियाणा के किसानों के असंतोष पर गौर करना चाहिए तथा वहां जो चिंगारी बन रही है, उसे आग में नहीं बदलने देना चाहिए.
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार को इन विधेयकों को लाने के पहले विभिन्न पक्षों से बातचीत करनी चाहिए थी.
आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा कि दोनों विधेयक पूरी तरह से किसानों के खिलाफ हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार विभिन्न कानूनों के जरिए राज्यों के अधिकार अपने हाथ में लेना चाहती है.
सिंह ने राज्यों को उनके जीएसटी बकाए का भुगतान किए जाने की मांग करते हुए आरोप लगाया कि यह सरकार आश्वासन और वादे करती है लेकिन उन्हें पूरा नहीं करती है. उन्होंने कहा कि सरकार ने किसानों की आय दोगुनी करने का वादा किया, एमएसपी डेढ़ गुना करने का वादा किया, युवाओं को रोजगार लेने का वादा किया लेकिन किसी भी वादे को पूरा नहीं किया. उन्होंने कहा कि देश भर के किसान इसके विरोध में सड़कों पर हैं और उनकी पार्टी पूरे देश में इसका विरोध करेगी.
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने दोनों विधेयकों को किसानों के हित में बताया और कहा कि इससे उन्हें बेहतर बाजार मिल सकेगा. उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान किसानों की ओर है और उनकी स्थिति में सुधार के लिए वह प्रयासरत है.
गौरतलब है कि संसद के मानसून सत्र के सातवें दिन- 20 सितंबर को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विधेयकों को सदन में पेश किया.
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लोक सभा से पारित हो चुके कृषि विधेयकों को राज्य सभा के पटल पर रखने के बाद राज्य सभा में कहा कि पेश किए गए दोनों बिल ऐतिहासिक हैं और किसानों के जीवन में बदलाव लाएंगे.
केंद्रीय कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि किसान देश में कहीं भी अपनी उपज का स्वतंत्र रूप से व्यापार कर सकेंगे. उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि यह विधेयक न्यूनतम समर्थन मूल्य से संबंधित नहीं हैं. यह जारी रहेगा.