भारत और अमेरिका का यह संयुक्त त्रिकोणीय अभ्यास द्विपक्षीय संबंधों को और गहरा बनाने के संकेत देता है. अमेरिका और भारतीय नौसेनाएं मालाबार के नाम से 1992 से कई सैन्य अभ्यास कर चुकी हैं. इन संयुक्त अभ्यासों का प्राथमिक उद्देश्य एक-दूसरे के रणनीतिक और सुरक्षा दृष्टिकोणों को समझना है ताकि भविष्य में कोई विशेष अभियान चलाया जा सके.
इन अभ्यासों को अंजाम देने के कुछ विशेष कारण और भी हैं. भारतीय नौसेना तीन तरफ से महासागरों से घिरे उपमहाद्वीप पर आक्रमण करने वाले दुश्मनों का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए विशेष कौशल से लैस है.
अमेरिकी नौसेना, जो लगातार सबसे अग्रिम होने का लक्ष्य रखती है और प्रशांत और अटलांटिक क्षेत्रों पर पकड़ रखती है, भारतीय नौसेना की इस ताकत को भलीभांति जानती है. उन समुद्री परिस्थितियों में इस्तेमाल की जाने वाली रणनीतियां भारत के परिपेक्ष्य में उन लोगों से अलग होंगी. अमेरिकी नौसेना सभी भौगोलिक क्षेत्रों में समान रणनीतियों के साथ सफल नहीं हो सकती.
अमेरिकी नौसेना इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त अभ्यास करने के लिए उत्सुक है. पिछले 27 वर्षों में, हजारों अधिकारियों और चालक दल ने कई संयुक्त अभ्यास किये हैं.
दोनों देशों के लड़ाकू जेट, पनडुब्बी, और विभिन्न लड़ाकू जहाजों ने आपसी सहयोग से इन अभ्यासों को सफलतापूर्वक आयोजित किया है. सैन्य रणनीतियों के अलावा; समुद्री प्रदूषण पर संयुक्त अभ्यास, आपदाओं के दौरान पुनर्वास सहायता, समुद्री डाकुओं पर हमले और पीड़ितों को तेजी से सहायता प्रदान करने के लक्ष्य के साथ कानूनों का कार्यान्वयन किया गया है.
नौसेना अभ्यास मालाबार में जापान भी एक आधिकारिक भागीदार बन गया है. इसने अपने तटों की सुरक्षा में प्रमुख राष्ट्रों की सहायता के महत्व को महसूस किया. जापान ने मालाबार 2007 की मेजबानी की और 2015 में एक त्रिपक्षीय भागीदार बना था. ऑस्ट्रेलिया ने भी इसमें हिस्सा लिया था. वह अमेरिका-भारत की नौसेनाओं को अपनी नौसेना के लिए एक अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में मानता है.
मालाबार के परिणामस्वरूप, भारत, जापान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया के बीच सैन्य संबंध मजबूत हुए हैं. इंडो-पैसिफिक कमांड की स्थापना अमेरिकी सेना में इंडो-पैसिफिक कमांड की स्थापना भारत-प्रशांत क्षेत्र पर भारत की रणनीतियों पर ध्यान देते हुए की गयी थी.
अमेरिका चाहता है कि क्षेत्र की सुरक्षा के लिए पड़ोसी राष्ट्र सैन्य रूप से सुसज्जित हों. यह उन देशों को बेहतर ढंग से सुसज्जित करने के लिए आवश्यक तकनीक की आपूर्ति करने के लिए तैयार है. नतीजतन, भारत के साथ आईएनएस जलाश्व और पी-8 आई की आपूर्ति के लिए एक सौदा किया गया था.
दूसरी तरफ चीन, जो सर्वोच्च शक्ति बनने के लिए उत्साही है, मालाबार अभ्यासों से विचलित है. यह संयुक्त अभ्यास चीन के लिए एक बाधा बन गया है, जो हिन्द महासागर पर नजर गड़ाये हुए है.
हालांकि चीन एक बड़ा देश है, लेकिन इसकी छोटी तटरेखा है. अपने नौसैनिकों को भारत के करीब रखने के लिए इसने श्रीलंका में हंबनटोटा को चुना है. वह बांग्लादेश, म्यांमार, फिलीपींस और अफ्रीका के सैन्यबलों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए हुए है. बलूचिस्तान में ग्वादर बंदरगाह के निर्माण और चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) की स्थापना में मदद करने से, यह पाकिस्तान का सहयोगी बन गया, जो हमेशा से भारत विरोधी रहा है.
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चीन का मानना है कि मालाबार के माध्यम से अमेरिका 'सुपर पावर' बनने की उसकी उम्मीदों पर पानी फेर रहा है. अब तक, भारत ने रूस के साथ 'इंद्र' नाम की संयुक्त त्रिकोणीय सेवाओं के अभ्यास का आयोजन किया.
भारत और अमेरिका पहली बार एक संयुक्त त्रि-सेवा अभ्यास के लिए साथ आये हैं, जिसे 'टाइगर ट्रायम्फ' का नाम दिया गया है. 'टाइगर ट्रायम्फ' सैन्य अभ्यास में कुल 1,200 भारतीय और अमेरिकी कर्मी भाग ले रहे हैं, आंध्र प्रदेश के काकीनाडा और विशाखापत्तनम में 13 नवम्बर से शुरू हुआ यह अभ्यास 21 नवम्बर तक चलेगा.
अब तक, तीनों सेनाओं ने अलग-अलग संयुक्त अभ्यास किये हैं, लेकिन इस बार सामूहिक रूप से इस आयोजन में भाग ले रही हैं. विशेषज्ञ इसे अमेरिका के साथ भारत के रक्षा संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील के पत्थर के रूप में देख रहे हैं.