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पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर पिछले 20 दिन में तीन बार हुई फायरिंग

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Published : Sep 16, 2020, 4:47 PM IST

Updated : Sep 16, 2020, 6:17 PM IST

पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच तनाव कम होता नहीं दिख रहा है. भारत-चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर पिछले 20 दिनों में कम से कम तीन बार फायरिंग की घटना हो चुकी है. पढ़ें विस्तार से...

पूर्वी लद्दाख
पूर्वी लद्दाख

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले 45 साल बिना गोलीबारी के बीत गए, लेकिन दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर पिछले 20 दिनों में पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कम से कम तीन बार गोलीबारी की घटनाएं सामने आई हैं.

सेना के सूत्रों ने कहा कि

पहली घटना तब हुई जब भारतीय सेना ने 29-31 अगस्त के बीच दक्षिणी किनारे के पैंगोंग झील के पास ऊंचाई पर कब्जे की चीनी कोशिश को नाकाम कर दिया.

दूसरी घटना सात सितंबर को मुखपारी की ऊंचाई के पास हुई.

इसके बाद तीसरी घटना आठ सितंबर को पैंगोंग झील के उत्तरी तट के पास हुई थी. दोनों पक्षों के सैनिकों ने 100 से अधिक राउंड फायरिंग की.

इस दौरान चीनी पक्ष बहुत ही आक्रामक तरीके से बर्ताव कर रहा था.

यह घटना ऐसे समय में हुई थी जब शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर मॉस्को में थे, जहां उन्होंने सीमा मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी.

चर्चा के अनुसार दोनों पक्ष कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता करने वाले थे, लेकिन अभी तक चीनी पक्ष की ओर से तारीख और समय की पुष्टि नहीं की गई है.

भारत और चीन ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर अप्रैल-मई से कई दौर की वार्ता की है, लेकिन अब तक इसका कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकला है.

यह भी पढ़ें- भारत-चीन तनाव के बीच भारतीय सेना ने तैयार कीं बोफोर्स तोपें

दोनों देश इस साल अप्रैल-मई से पौंगोंग झील के पास कोंगरूंग नाला, गोगरा और फिंगर क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा किए गए बदलाव के बाद गतिरोध बढ़ गया हैं.

भारतीय सेना ने अब लद्दाख सेक्टर में अपनी तैयारियों को कई गुना बढ़ा दिया है.

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर पिछले 45 साल बिना गोलीबारी के बीत गए, लेकिन दोनों देशों के बीच चल रहे सीमा विवाद को लेकर पिछले 20 दिनों में पूर्वी लद्दाख में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच कम से कम तीन बार गोलीबारी की घटनाएं सामने आई हैं.

सेना के सूत्रों ने कहा कि

पहली घटना तब हुई जब भारतीय सेना ने 29-31 अगस्त के बीच दक्षिणी किनारे के पैंगोंग झील के पास ऊंचाई पर कब्जे की चीनी कोशिश को नाकाम कर दिया.

दूसरी घटना सात सितंबर को मुखपारी की ऊंचाई के पास हुई.

इसके बाद तीसरी घटना आठ सितंबर को पैंगोंग झील के उत्तरी तट के पास हुई थी. दोनों पक्षों के सैनिकों ने 100 से अधिक राउंड फायरिंग की.

इस दौरान चीनी पक्ष बहुत ही आक्रामक तरीके से बर्ताव कर रहा था.

यह घटना ऐसे समय में हुई थी जब शंघाई सहयोग संगठन की बैठक के लिए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर मॉस्को में थे, जहां उन्होंने सीमा मुद्दों पर चर्चा के लिए अपने चीनी समकक्ष से मुलाकात की थी.

चर्चा के अनुसार दोनों पक्ष कोर कमांडर-स्तरीय वार्ता करने वाले थे, लेकिन अभी तक चीनी पक्ष की ओर से तारीख और समय की पुष्टि नहीं की गई है.

भारत और चीन ने सैन्य और कूटनीतिक दोनों स्तरों पर अप्रैल-मई से कई दौर की वार्ता की है, लेकिन अब तक इसका कोई महत्वपूर्ण परिणाम नहीं निकला है.

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दोनों देश इस साल अप्रैल-मई से पौंगोंग झील के पास कोंगरूंग नाला, गोगरा और फिंगर क्षेत्र में चीनी सेना द्वारा किए गए बदलाव के बाद गतिरोध बढ़ गया हैं.

भारतीय सेना ने अब लद्दाख सेक्टर में अपनी तैयारियों को कई गुना बढ़ा दिया है.

Last Updated : Sep 16, 2020, 6:17 PM IST
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