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खुलासा : नौवीं पास आतंकी अबू युसूफ सोशल नेटवर्किंग में था माहिर

आतंकी अबू युसूफ उर्फ मुस्तकीम की गिरफ्तारी के बाद से लगातार उससे पूछताछ हो रही है. इस पूछताछ में हर रोज नए खुलासे हो रहे हैं. बताया जा रहा है कि अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम सोशल नेटवर्किंग सिस्टम में काफी माहिर था. पढ़ें पूरी खबर...

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सोशल नेटवर्किंग सिस्टम में माहिर है आतंकी अबू युसूफ, पूछताछ में नया खुलासा
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Published : Aug 29, 2020, 9:03 AM IST

बलरामपुर : दिल्ली के धौलाकुआं से गिरफ्तार किया गया इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविंस का आतंकी अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम और उसके आतंकी साजिश के बारे में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. अब पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि वह सोशल नेटवर्किंग सिस्टम में काफी माहिर इंसान था. यहीं से उसने मानव बम बनाने की ट्रेनिंग हासिल की थी.

बता दें, फिलहाल अबू यूसुफ पुलिस रिमांड पर दिल्ली में है. वहां यूपी एटीएस और दिल्ली स्पेशल सेल के अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं. इस पूछताछ में हर रोज नई बातें सामने आ रही हैं.

इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस के आतंकी मुस्तकीम के घर से यूपी एटीएस और दिल्ली स्पेशल सेल को छापेमारी के दौरान कई अहम सुराग मिले.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सूत्रों की मानें तो अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम से पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि वह सोशल नेटवर्किंग सिस्टम में काफी माहिर इंसान था. यहीं से उसने मानव बम बनाने की ट्रेनिंग हासिल की थी.

अपने सबसे छोटे बेटे अबू यूसुफ नाम से उसने यूट्यूब, टेलीग्राम, व्हाट्सएप, फेसबुक इत्यादि जगहों पर आईडी बनाकर अपने आकाओं से आतंक की तालीम लिया करता था.

करता था विदेश यात्राएं
मुस्तकीम की प्रारंभिक शिक्षा थाना कोतवाली उतरौला क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बढ़या भैंसाही गांव के एक मदरसे से हुई थी. जहां उसने दीनी तालीम की प्रारंभिक शिक्षा 'पारा' कक्षा तक हासिल की थी.

इसके बाद वह अपने चाचा जो कि सीआईडी में सिपाही थे, उनके यहां बहराइच पढ़ने के लिए चला गया. उसने वहां से प्रारंभिक शिक्षा ली और आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चला गया, लेकिन पढ़ाई में मन न लगने के कारण वह हाईस्कूल में दो बार फेल हुआ.

इसके बाद उसने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी और अपने गांव वापस आ गया. फिर बेंगलुरु, मुंबई जैसे शहरों की यात्रा कर उसने प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम सीखा और पासपोर्ट इत्यादि बनवाकर उसने विदेश यात्राएं शुरू की.

प्लास्टिक ऑफ पेरिस का था कारीगर
परिजनों की मानें तो पहली बार वह सऊदी अरब की यात्रा पर गया. जहां वह तकरीबन डेढ़ साल रहा. मुस्तकीम के परिजन बताते हैं कि वह प्लास्टर ऑफ पेरिस का बहुत अच्छा कारीगर था. उसने इसी काम के चलते सऊदी अरब, कतर, दुबई जैसे देशों की यात्रा की थी.

इसके बाद वह उत्तराखंड में काम करने लगा था. जहां उसकी ऊंचाई से गिरने के कारण बैक बोन में चोट लग गई और फिर वह अपने घर पर ही आकर छोटा-मोटा काम करने लगा.

नौवीं तक पढ़ा था मुस्तकीम
नौंवीं तक की पढ़ाई के लिए मुस्तकीम की नेटवर्किंग सिस्टम में काफी मजबूत पकड़ बताई जा रही है. आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद वह अपने परिजनों के साथ विदेश भागने की तैयारी में था. इसके लिए उसने अपनी पत्नी बच्चों सहित छह लोगों का पासपोर्ट तैयार करवा लिया था.

बलरामपुर : दिल्ली के धौलाकुआं से गिरफ्तार किया गया इस्लामिक स्टेट ऑफ खुरासान प्रोविंस का आतंकी अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम और उसके आतंकी साजिश के बारे में लगातार नए खुलासे हो रहे हैं. अब पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि वह सोशल नेटवर्किंग सिस्टम में काफी माहिर इंसान था. यहीं से उसने मानव बम बनाने की ट्रेनिंग हासिल की थी.

बता दें, फिलहाल अबू यूसुफ पुलिस रिमांड पर दिल्ली में है. वहां यूपी एटीएस और दिल्ली स्पेशल सेल के अधिकारी उससे पूछताछ कर रहे हैं. इस पूछताछ में हर रोज नई बातें सामने आ रही हैं.

इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रोविंस के आतंकी मुस्तकीम के घर से यूपी एटीएस और दिल्ली स्पेशल सेल को छापेमारी के दौरान कई अहम सुराग मिले.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

सूत्रों की मानें तो अबू यूसुफ उर्फ मुस्तकीम से पूछताछ के दौरान यह पता चला है कि वह सोशल नेटवर्किंग सिस्टम में काफी माहिर इंसान था. यहीं से उसने मानव बम बनाने की ट्रेनिंग हासिल की थी.

अपने सबसे छोटे बेटे अबू यूसुफ नाम से उसने यूट्यूब, टेलीग्राम, व्हाट्सएप, फेसबुक इत्यादि जगहों पर आईडी बनाकर अपने आकाओं से आतंक की तालीम लिया करता था.

करता था विदेश यात्राएं
मुस्तकीम की प्रारंभिक शिक्षा थाना कोतवाली उतरौला क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले बढ़या भैंसाही गांव के एक मदरसे से हुई थी. जहां उसने दीनी तालीम की प्रारंभिक शिक्षा 'पारा' कक्षा तक हासिल की थी.

इसके बाद वह अपने चाचा जो कि सीआईडी में सिपाही थे, उनके यहां बहराइच पढ़ने के लिए चला गया. उसने वहां से प्रारंभिक शिक्षा ली और आगे की पढ़ाई के लिए लखनऊ चला गया, लेकिन पढ़ाई में मन न लगने के कारण वह हाईस्कूल में दो बार फेल हुआ.

इसके बाद उसने पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी और अपने गांव वापस आ गया. फिर बेंगलुरु, मुंबई जैसे शहरों की यात्रा कर उसने प्लास्टर ऑफ पेरिस का काम सीखा और पासपोर्ट इत्यादि बनवाकर उसने विदेश यात्राएं शुरू की.

प्लास्टिक ऑफ पेरिस का था कारीगर
परिजनों की मानें तो पहली बार वह सऊदी अरब की यात्रा पर गया. जहां वह तकरीबन डेढ़ साल रहा. मुस्तकीम के परिजन बताते हैं कि वह प्लास्टर ऑफ पेरिस का बहुत अच्छा कारीगर था. उसने इसी काम के चलते सऊदी अरब, कतर, दुबई जैसे देशों की यात्रा की थी.

इसके बाद वह उत्तराखंड में काम करने लगा था. जहां उसकी ऊंचाई से गिरने के कारण बैक बोन में चोट लग गई और फिर वह अपने घर पर ही आकर छोटा-मोटा काम करने लगा.

नौवीं तक पढ़ा था मुस्तकीम
नौंवीं तक की पढ़ाई के लिए मुस्तकीम की नेटवर्किंग सिस्टम में काफी मजबूत पकड़ बताई जा रही है. आतंकी घटनाओं को अंजाम देने के बाद वह अपने परिजनों के साथ विदेश भागने की तैयारी में था. इसके लिए उसने अपनी पत्नी बच्चों सहित छह लोगों का पासपोर्ट तैयार करवा लिया था.

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