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आंध्र प्रदेश : रेत खनन के दौरान मिला चोल राजवंश में बना मंदिर

सैकड़ों साल पहले चोल राजवंश के काल में परशुराम द्वारा बनाया गया मंदिर मिला है. मंदिर चोलों के समय पेन्ना नदी के तट पर बनाया गया था. स्थानीय युवा पुरातत्व विभाग की अनुमति से मंदिर और चट्टान को बहाल करने और फिर से बनाने के लिए काम कर रहे हैं. पढ़ें विस्तार से...

ancient temple
प्रचीन मंदिर
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Published : Jun 17, 2020, 7:14 PM IST

अमरावती : आंध्रप्रदेश के नेल्लोर में पेरुमलापाडु गांव के पास पेन्ना नदी में रेत खनन के दौरान एक मंदिर मिला है, जो चोल राजवंश के काल में परशुराम ने बनाया था. यह मंदिर लगभग दो सौ एकड़ में स्थित है.

देखें वीडियो

ग्रामीणों का कहना है कि सैंकड़ों साल पुराना यह नागेश्वरस्वामी मंदिर पेन्ना नदी के तट पर स्थित था, जो रेत में धंस गया था. यह मंदिर अब रेत खनन होने के चलते सामने आ गया है. वहीं गांव में प्राचीन मंदिरों को दर्शाने के लिए लोगों ने मुलावीरत के एक और मंदिर का निर्माण करने के बारे में सोचा है.

पढ़ें :- महानदी में डूबा 500 साल पुराना मंदिर मिला

मंदिर मिलने के बाद ग्रामीणों ने स्थानीय अधिकारियों को सूचित किया. ग्रामीणों के अनुसार भगवान शिव ने 300 साल पहले इस मंदिर को नागेश्वरस्वामी मंदिर का नाम दिया था और यहां पर एक गांव था, जिसे 50 साल इस क्षेत्र में ज्यादा रेत होने की वजह से खाली कर दिया गया था. यहां के ग्रामीण पेरुमलुपडू गांव में बस गए.

अमरावती : आंध्रप्रदेश के नेल्लोर में पेरुमलापाडु गांव के पास पेन्ना नदी में रेत खनन के दौरान एक मंदिर मिला है, जो चोल राजवंश के काल में परशुराम ने बनाया था. यह मंदिर लगभग दो सौ एकड़ में स्थित है.

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ग्रामीणों का कहना है कि सैंकड़ों साल पुराना यह नागेश्वरस्वामी मंदिर पेन्ना नदी के तट पर स्थित था, जो रेत में धंस गया था. यह मंदिर अब रेत खनन होने के चलते सामने आ गया है. वहीं गांव में प्राचीन मंदिरों को दर्शाने के लिए लोगों ने मुलावीरत के एक और मंदिर का निर्माण करने के बारे में सोचा है.

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मंदिर मिलने के बाद ग्रामीणों ने स्थानीय अधिकारियों को सूचित किया. ग्रामीणों के अनुसार भगवान शिव ने 300 साल पहले इस मंदिर को नागेश्वरस्वामी मंदिर का नाम दिया था और यहां पर एक गांव था, जिसे 50 साल इस क्षेत्र में ज्यादा रेत होने की वजह से खाली कर दिया गया था. यहां के ग्रामीण पेरुमलुपडू गांव में बस गए.

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