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महाराष्ट्र : स्कूल के शिक्षक और छात्रों के माता-पिता ने नदी पर बनाया पुल

महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में एक स्कूल के शिक्षकों ने बच्चों के अभिभावकों के साथ मिलकर नदी पर पुल बनाया है. शिक्षकों ने बातचीत में बताया कि बरसात में नदी उफान पर आ जाती है, जिससे बच्चों के नदी में बहने का खतरा रहता था. पढ़ें पूरी खबर...

प्रतिकात्मक फोटो
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Published : Sep 23, 2019, 5:51 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 5:35 PM IST

मुबंई: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पर्वतीय इलाके के एक दूरदराज के गांव में छात्रों को नदी से होकर स्कूल जाने में खतरे का सामना करना पड़ता था. लिहाजा स्कूल के शिक्षकों और छात्रों के माता-पिता ने मिलकर नदी पर बांस के पुल का निर्माण किया है.

इस बारे में एक शिक्षक ने बताया कि अजंता सतमाला पर्वत श्रृंखला में बसे निम चौकी खोरे गांव में स्थित प्राथमिक स्कूल की शुरुआत 2001 में हुई थी और लगभग 15 छात्र दो किलोमीटर की दूरी से आते हैं.

उन्होंने ने बताया कि मानसून के दौरान, स्कूल के पिछले हिस्से में बह रही नदी के पानी का स्तर तीन फुट तक बढ़ जाता है, जिससे बच्चों के उसमें बहने का खतरा बना रहता है.

पढ़ें-जाने किस वजह से बेहाल है बघाट का ऐतिहासिक किला

वहीं स्कूल के अध्यापक दत्ता देवरे ने कहा, 'मानसून के दिनों में छात्रों की कमी के कारण स्कूल में शायद ही पढ़ाई होती है. हमने हाल ही में औरंगाबाद जिला परिषद मुख्यालय में एक 'डिजाइन फॉर चेंज' कार्यक्रम शुरू किया था. यहां कई शिक्षकों ने पुल बनाने के लिए उस सीख को लागू करने का फैसला किया.

उन्होंने कहा, 'एक सहयोगी, संघपाल इंगले और मैंने उन माता-पिता से संपर्क किया जो मदद के लिए उत्सुक थे. हमने बांस इकट्ठा किया, तार खरीदे और एक सप्ताह में पुल का निर्माण कर दिया.'

मुबंई: महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में पर्वतीय इलाके के एक दूरदराज के गांव में छात्रों को नदी से होकर स्कूल जाने में खतरे का सामना करना पड़ता था. लिहाजा स्कूल के शिक्षकों और छात्रों के माता-पिता ने मिलकर नदी पर बांस के पुल का निर्माण किया है.

इस बारे में एक शिक्षक ने बताया कि अजंता सतमाला पर्वत श्रृंखला में बसे निम चौकी खोरे गांव में स्थित प्राथमिक स्कूल की शुरुआत 2001 में हुई थी और लगभग 15 छात्र दो किलोमीटर की दूरी से आते हैं.

उन्होंने ने बताया कि मानसून के दौरान, स्कूल के पिछले हिस्से में बह रही नदी के पानी का स्तर तीन फुट तक बढ़ जाता है, जिससे बच्चों के उसमें बहने का खतरा बना रहता है.

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वहीं स्कूल के अध्यापक दत्ता देवरे ने कहा, 'मानसून के दिनों में छात्रों की कमी के कारण स्कूल में शायद ही पढ़ाई होती है. हमने हाल ही में औरंगाबाद जिला परिषद मुख्यालय में एक 'डिजाइन फॉर चेंज' कार्यक्रम शुरू किया था. यहां कई शिक्षकों ने पुल बनाने के लिए उस सीख को लागू करने का फैसला किया.

उन्होंने कहा, 'एक सहयोगी, संघपाल इंगले और मैंने उन माता-पिता से संपर्क किया जो मदद के लिए उत्सुक थे. हमने बांस इकट्ठा किया, तार खरीदे और एक सप्ताह में पुल का निर्माण कर दिया.'

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.AURANGABAD BES8
MH-SCHOOL-BRIDGE
Teachers, parents build bridge on stream at remote Maha school
         Aurangabad, Sep 23 (PTI) Teachers and parents in a
remote village school in the mountains in Maharashtra's
Aurangabad district bonded together to build a bamboo bridge
on a stream that threatened the lives of students when in
spate.
         The primary school, located in Nim Chauki Khore
village nestled in the Ajanta Satmala mountain range, started
in 2001 and has around 15 students coming from as far as two
kilometres, said a teacher.
         During monsoons, water level in the stream running
past the school would rise to above three feet, leaving
children wading through in danger of getting swept away, a
teacher said.
         "In the monsoons, the school hardly functioned due to
lack of students. We had recently undergone a 'design for
change' programme at Aurangabad Zilla Parishad headquarters.
Several teachers here decided to implement that learning to
build a bridge," said Datta Deore, a teacher.
         "A colleague, Sanghapal Ingle, and I approached
parents who were more than keen to help. We collected bamboo,
bought binding wire and built a bridge in a week. It cost
around Rs 50, the price of the binding wire," he added.
         Pradeep Bagul, a student,, is all smiles because he
knows when the monsoons come in next year, his share of fun
and learning with peers at the nondescript school will not be
interrupted.
         "While crossing the stream in the monsoons, sometimes
our books used to get swept away. At times our uniform would
be soiled and dripping wet. All that will now be a thing of
the past," he said with a smile. PTI AW
BNM
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09231444
NNNN
Last Updated : Oct 1, 2019, 5:35 PM IST
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