नई दिल्ली : केन्द्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने उच्चतम न्यायालय को बताया कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी ए जी पेरारीवलन की सजा माफी के संबंध में तमिलनाडु के राज्यपाल को फैसला करना है.
सीबीआई ने 20 नवंबर को दाखिल किये गये अपने हलफनामे में कहा कि मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे पेरारीवलन सीबीआई के नेतृत्व वाली मल्टी डिसिप्लिनरी मॉनिटरिंग एजेंसी (एमडीएमए) द्वारा की जा रही है और जांच का विषय नहीं है. एमडीएमए जैन आयोग की रिपोर्ट के आधार पर बड़ी साजिश के पहलू की जांच कर रही है.
शीर्ष अदालत 46 वर्षीय पेरारीवलन की एक याचिका पर सुनवाई कर रही है, जिसमें उसने एमडीएमए की जांच पूरी होने तक मामले में उसकी आजीवन कारावास की सजा को निलंबित करने का अनुरोध किया है.
उच्चतम न्यायालय ने राजीव गांधी हत्या मामले में दोषी की सजा माफी की याचिका तमिलनाडु के राज्यपाल के पास दो साल से अधिक समय से लंबित रहने पर तीन नवंबर को नाराजगी जाहिर की थी.
सीबीआई ने अपने 24 पृष्ठ के हलफनामे में कहा कि यह तमिलनाडु के महामहिम राज्यपाल को फैसला करना है कि माफी दी जानी है या नहीं. जहां तक राहत की बात है कि वर्तमान मामले में सीबीआई की कोई भूमिका नहीं है.
जांच एजेंसी ने कहा कि शीर्ष अदालत 14 मार्च 2018 को पेरारीवलन के उस आवेदन को खारिज कर चुकी है, जिसमें उसने मामले में दोषी ठहराये जाने के शीर्ष अदालत के 11 मई, 1999 के फैसले को वापस लिये जाने का अनुरोध किया था.
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उसने कहा कि याचिकाकर्ता का यह दावा कि वह निर्दोष है और उसे राजीव गांधी की हत्या की साजिश के बारे में जानकारी नहीं थी, न तो स्वीकार्य है और न ही विचारणीय है.
शीर्ष अदालत ने इससे पहले याचिकाकर्ता पेरारीवलन के वकील से पूछा था कि क्या अदालत अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर राज्यपाल से अनुच्छेद 161 के तहत दाखिल माफी याचिका पर फैसला लेने का अनुरोध कर सकती है.
अनुच्छेद 161 राज्यपाल को किसी भी आपराधिक मामले में अपराधी को माफी देने का अधिकार देता है. शीर्ष अदालत ने कहा था कि हम इस क्षेत्र में अपने अधिकार क्षेत्र का इस्तेमाल नहीं करना चाहते हैं, लेकिन हम इस बात से खुश नहीं हैं कि सरकार द्वारा की गई एक सिफारिश दो साल से लंबित है.
तमिलनाडु के श्रीपेरंबदूर में 21 मई 1991 को एक महिला आत्मघाती हमलावर ने एक चुनाव रैली के दौरान विस्फोट किया था, जिसमें राजीव गांधी मारे गये थे.