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सर्वेक्षण : 43 प्रतिशत लोगों का मत, बजट के बाद महंगाई नहीं होगी कम - राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन

गत वर्ष दिसंबर माह में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी थी, जो पांच साल में सबसे ज्यादा थी. शनिवार को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश किया. बजट पेश होने के बाद कराए गए एक सर्वेक्षण में 43 प्रतिशत से अधिक लोगों को लगता है कि बजट पेश होने के बाद भी महंगाई कम नहीं होगी. पढ़ें पूरी खबर...

effect budget on inflation
प्रतीकात्मक फोटो
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Published : Feb 2, 2020, 8:02 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 10:13 PM IST

नई दिल्ली : बढ़ती कीमतों व महंगाई के कारण आम जनता की बैचैनी को शांत करने में केंद्रीय बजट विफल रहा है. आईएएनएस-सीवोटर के सर्वेक्षण से पता चला कि उत्तरदाताओं में से 43 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि बजट के बाद कीमतें नहीं घटेंगी. सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 44.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगा कि बजट के बाद कीमतों में कमी आएगी, जबकि पिछले साल 43.43 प्रतिशत लोगों ने माना था कि कीमतों में कमी आएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार सब्जियों खासकर प्याज की वजह से कीमतों में तेज वृद्धि के बाद से पहले से ही आलोचनाओं के घेरे में है.

देखा जाए तो बढ़ती कीमतों ने देशभर के घरों के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है. दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी थी जो पांच साल में सबसे ज्यादा थी.

अपेक्षा से अधिक महंगाई ने केंद्रीय बैंक को सतर्क कर दिया है. हालांकि शायद अगली मौद्रिक नीति की बैठक में दरों में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया जा सकता है.

पढ़ें-आसान भाषा में समझें बजट 2020 की मुख्य बातें

इसके अलावा, थोक मुद्रास्फीति में डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों में भी तेजी देखी गई. यह नवंबर के 0.58 प्रतिशत के मुकाबले दिसंबर में उछलकर 2.59 प्रतिशत हो गया.

इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी के कगार पर ले जाने के लिए जिम्मेदार है.

(आईएएनएस इनपुट)

नई दिल्ली : बढ़ती कीमतों व महंगाई के कारण आम जनता की बैचैनी को शांत करने में केंद्रीय बजट विफल रहा है. आईएएनएस-सीवोटर के सर्वेक्षण से पता चला कि उत्तरदाताओं में से 43 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि बजट के बाद कीमतें नहीं घटेंगी. सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 44.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगा कि बजट के बाद कीमतों में कमी आएगी, जबकि पिछले साल 43.43 प्रतिशत लोगों ने माना था कि कीमतों में कमी आएगी.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुआई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार सब्जियों खासकर प्याज की वजह से कीमतों में तेज वृद्धि के बाद से पहले से ही आलोचनाओं के घेरे में है.

देखा जाए तो बढ़ती कीमतों ने देशभर के घरों के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है. दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी थी जो पांच साल में सबसे ज्यादा थी.

अपेक्षा से अधिक महंगाई ने केंद्रीय बैंक को सतर्क कर दिया है. हालांकि शायद अगली मौद्रिक नीति की बैठक में दरों में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया जा सकता है.

पढ़ें-आसान भाषा में समझें बजट 2020 की मुख्य बातें

इसके अलावा, थोक मुद्रास्फीति में डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों में भी तेजी देखी गई. यह नवंबर के 0.58 प्रतिशत के मुकाबले दिसंबर में उछलकर 2.59 प्रतिशत हो गया.

इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी के कगार पर ले जाने के लिए जिम्मेदार है.

(आईएएनएस इनपुट)

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43 प्रतिशत लोगों ने माना कि बजट के बाद महंगाई नहीं होगी कम



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नई दिल्ली, 2 फरवरी (आईएएनएस)| बढ़ती कीमतों व महंगाई के कारण आम जनता की बैचैनी को शांत करने में केंद्रीय बजट विफल रहा है। आईएएनएस-सीवीओटर सर्वेक्षण से पता चला कि उत्तरदाताओं में से 43 प्रतिशत से अधिक लोगों ने कहा कि बजट के बाद कीमतें नहीं घटेंगी। सर्वेक्षण से यह भी पता चला कि 44.4 प्रतिशत उत्तरदाताओं को लगा कि बजट के बाद कीमतों में कमी आएगी, जबकि पिछले साल 43.43 प्रतिशत लोगों ने माना था कि कीमतों में कमी आएगी।



नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार सब्जियों खासकर प्याज की वजह से कीमतों में तेज वृद्धि के बाद से पहले से ही आलोचनाओं के घेरे में है। बढ़ती कीमतों ने देशभर के घरों के बजट को बिगाड़ कर रख दिया है।



दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35 फीसदी थी जो पांच साल में सबसे ज्यादा थी।



अपेक्षा से अधिक महंगाई ने केंद्रीय बैंक को सतर्क कर दिया है। हालांकि शायद अगली मौद्रिक नीति की बैठक में दरों में वृद्धि नहीं करने का निर्णय लिया जा सकता है।



इसके अलावा, थोक मुद्रास्फीति में डब्ल्यूपीआई के आंकड़ों में भी तेजी देखी गई। यह नवंबर के 0.58 प्रतिशत के मुकाबले दिसंबर में उछलकर 2.59 प्रतिशत हो गया।



इससे पहले कांग्रेस ने कहा था कि मोदी सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था को मंदी के कगार पर ले जाने के लिए जिम्मेदार है।



--आईएएनएस


Conclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 10:13 PM IST
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