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सुरजेवाला ने श्रमिकों के मामले में सुप्रीम कोर्ट से की हस्तक्षेप की मांग

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से देश में फंसे कामगारों स्थिति को लेकर उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दाखिल की है. इस अर्जी में उन्होंने कहा है कि कामगारों की दुश्वारियों को कम करने के लिए न्यायालय को कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में अवगत कराना चाहते हैं, जिन पर केंद्र विचार कर सकता है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : May 27, 2020, 9:30 PM IST

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से देश में फंसे कामगारों की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय है. वह मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं और उन्होंने इस संबंध में बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दाखिल की.

न्यायालय ने मंगलवार को ही इन कामगारों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा है. यह मामला 28 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा कि वह जगह-जगह फंसे या लंबी यात्रा तय कर रहे कामगारों की दुश्वारियों को कम करने के लिए न्यायालय को कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में अवगत कराना चाहते हैं, जिन पर केंद्र विचार कर सकता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा अंतिम रूप दिए गए इस आवेदन में कहा गया है कि इन कामगारों की समस्याओं पर विचार करने के लिए विपक्षी दलों के साथ मिलकर कोई संयुक्त समिति गठित करने में केंद्र सरकार के विफल रहने की वजह से आवेदक (सुरजेवाला) और विपक्षी दल या किसी भी सांसद द्वारा बताए गए उपायों पर सरकार विचार करने में असफल रही है.

सुरजेवाला ने सुझाव दिया है कि केंद्र को तत्काल जिला और ग्राम स्तर पर इन कामगारों के लिए स्वागत और सुविधा केंद्र स्थापित करने चाहिए और उन्हें उनके पैतृक जिलों तथा गांवों तक जाने की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने मंगलवार को इन कामगारों की दयनीय स्थिति और उनके समक्ष पेश आ रही कठिनाइयों का संज्ञान लेते हुए कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को इन कामगारों के लिए नि:शुल्क भोजन और आवास के साथ ही पर्याप्त परिवहन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.

पढ़ें- एअर इंडिया प्रकरण : पूर्व आदेश में संशोधन से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

पीठ ने कोविड-19 महामारी के संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन की वजह से महानगरों से पैदल और साइकिल पर अपने अपने घर की ओर जा रहे इन कामगारों की दयनीय स्थिति के बारे में मीडिया की तमाम खबरों का स्वत: ही संज्ञान लिया. पीठ ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से 28 मई तक जवाब मांगा है.

नई दिल्ली : कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला ने कहा है कि कोविड-19 लॉकडाउन की वजह से देश में फंसे कामगारों की स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण और दयनीय है. वह मामले में हस्तक्षेप करना चाहते हैं और उन्होंने इस संबंध में बुधवार को उच्चतम न्यायालय में एक अर्जी दाखिल की.

न्यायालय ने मंगलवार को ही इन कामगारों की स्थिति का स्वत: संज्ञान लेते हुए केंद्र और सभी राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से जवाब मांगा है. यह मामला 28 मई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है.

कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता सुरजेवाला ने कहा कि वह जगह-जगह फंसे या लंबी यात्रा तय कर रहे कामगारों की दुश्वारियों को कम करने के लिए न्यायालय को कुछ महत्वपूर्ण उपायों के बारे में अवगत कराना चाहते हैं, जिन पर केंद्र विचार कर सकता है.

वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी द्वारा अंतिम रूप दिए गए इस आवेदन में कहा गया है कि इन कामगारों की समस्याओं पर विचार करने के लिए विपक्षी दलों के साथ मिलकर कोई संयुक्त समिति गठित करने में केंद्र सरकार के विफल रहने की वजह से आवेदक (सुरजेवाला) और विपक्षी दल या किसी भी सांसद द्वारा बताए गए उपायों पर सरकार विचार करने में असफल रही है.

सुरजेवाला ने सुझाव दिया है कि केंद्र को तत्काल जिला और ग्राम स्तर पर इन कामगारों के लिए स्वागत और सुविधा केंद्र स्थापित करने चाहिए और उन्हें उनके पैतृक जिलों तथा गांवों तक जाने की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.

न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने मंगलवार को इन कामगारों की दयनीय स्थिति और उनके समक्ष पेश आ रही कठिनाइयों का संज्ञान लेते हुए कहा था कि केंद्र और राज्य सरकारों को इन कामगारों के लिए नि:शुल्क भोजन और आवास के साथ ही पर्याप्त परिवहन की सुविधा उपलब्ध करानी चाहिए.

पढ़ें- एअर इंडिया प्रकरण : पूर्व आदेश में संशोधन से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

पीठ ने कोविड-19 महामारी के संक्रमण के दौरान लागू लॉकडाउन की वजह से महानगरों से पैदल और साइकिल पर अपने अपने घर की ओर जा रहे इन कामगारों की दयनीय स्थिति के बारे में मीडिया की तमाम खबरों का स्वत: ही संज्ञान लिया. पीठ ने इस स्थिति को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए केंद्र और राज्य सरकारों तथा केंद्र शासित प्रदेशों से 28 मई तक जवाब मांगा है.

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