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जिनपिंग के भारत दौरे से मजबूत होंगे दोनों देशों के रिश्ते : राजनीतिक जानकार

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भारत के दो दिवसीय दौरे पर हैं. पहले दिन चीनी राष्ट्रपति ने भारतीय प्रधानमंत्री के साथ तमिलनाडु के ममल्लापुरम में तीन ऐतिहासिक स्थानों का भ्रमण किया. राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राष्ट्रपति जिनपिंग के इस दौरे से दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंध और रिश्ते मजबूत होंगे. पढ़ें पूरी खबर...

सुरेश बाफना
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Published : Oct 11, 2019, 10:52 PM IST

नई दिल्लीः चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के ममल्लापुरम में शी जिनपिंग से मुलाकात की. इसके बाद शनिवार को दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक होगी. इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना ने कहा कि इस बैठक से दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना ने कहा कि दोनों देशों के बीच का रिश्ता मुकाबला, सहयोग और टकराव का है और भारत-चीन को अपनी बेहतरी के लिये इन्हीं तीन बातों को ध्यान में रखकर बात करनी होगी.

सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के रिश्तों की शुरुआत 1988 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान हुई. इसमें बॉर्डर एवं सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों में आपसी सहमती बनी और यह निश्चय किया कि अब यह मामला दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझाएंगे.

ईटीवी भारत से बात करते राजनीतिक विशेषज्ञ

बाफना ने कहा कि सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच अभी तक ज्यादा बातचीत नहीं हुई है लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि पिछले 50 सालों में जो दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा रेखा है और वहां पर किसी भी तरह की कोई गोलीबारी नहीं हुई है.

उन्होंने आगे कहा कि दोनों देश यह चाहते हैं कि वह अपनी आपसी समस्याओं का समाधान बिना हिंसा के निकाले और उनके जो मुख्य मुद्दे हैं उनकी असलियत को समझते हुए आगे बढ़े.
बकौल सुरेश बाफना, मोदी सरकार आने के बाद चीन पाकिस्तान के बीच अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में दोनों देश के बीच रिश्ता गहरा हो गया है. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते के बीच पाकिस्तान हमेशा से रहा है और इसे चीन को समझना होगा.

ईटीवी भारत से बात करते राजनीतिक विशेषज्ञ

चीन-पाकिस्तान की एकता का उदाहरण देते हुए बाफना ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया. जो यह दिखाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना चाहते हैं.

सुरेश बाफना ने कहा कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है और इस पर चीन अंदरूनी स्तर पर किसी भी तरीके से भारत का साथ नहीं देना चाहता है.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जो संवेदनशील मुद्दे हैं उन पर चीन पीछे हटता रहा है चाहे वह कश्मीर का मुद्दा हो या मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का.

पढ़ेंः चेन्नई पहुंचे शी जिनपिंग, एयरपोर्ट पर जोरदार स्वागत

सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के बीच व्यापार असंतुलित है, उदाहरण के तौर पर भारत यदि चीन को 25 रुपए का निर्यात करता है तो वहीं चीन भारत को 75 रुपये का निर्यात करता है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लगभग 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा ट्रेड इन बैलेंस भारत के खिलाफ है.

उन्होंने बताया कि भारत के लिए चीन में फार्मा एवं आईटी सेक्टर में अच्छे अवसर उपलब्ध है. लेकिन चीन इन सेक्टर में प्रोटेक्टिव नीति अपना रहा है.

बाफना ने कहा कि आईटी और फार्मा सेक्टर में काम कर रहे भारतीयों को चीन में कार्य करने में काफी बाधाएं आती हैं और चीन इस क्षेत्र में भारत के साथ व्यापार करने में इच्छुक नजर नहीं आ रहा है. लेकिन इन सबके बीच दोनों देशों के बीच लगभग 100 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है और यह सराहनीय बात है.

पढ़ेंः मोदी-जिनपिंग के दौरे का खास इंतजाम, जानें पूरा कार्यक्रम

बकौल बाफना, दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच होने वाली बैठक से हम उम्मीद करते हैं कि आईटी एवं फार्मा सेक्टर में ट्रेड करने में जो दिक्कतें आ रही हैं उन पर जरूर कोई ना कोई हल निकलेगा.

नई दिल्लीः चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग दो दिवसीय भारत दौरे पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज तमिलनाडु के ममल्लापुरम में शी जिनपिंग से मुलाकात की. इसके बाद शनिवार को दोनों नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक होगी. इस पर राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना ने कहा कि इस बैठक से दोनों देशों के रिश्ते मजबूत होंगे.

ईटीवी भारत से बात करते हुए राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना ने कहा कि दोनों देशों के बीच का रिश्ता मुकाबला, सहयोग और टकराव का है और भारत-चीन को अपनी बेहतरी के लिये इन्हीं तीन बातों को ध्यान में रखकर बात करनी होगी.

सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के रिश्तों की शुरुआत 1988 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान हुई. इसमें बॉर्डर एवं सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों में आपसी सहमती बनी और यह निश्चय किया कि अब यह मामला दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझाएंगे.

ईटीवी भारत से बात करते राजनीतिक विशेषज्ञ

बाफना ने कहा कि सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच अभी तक ज्यादा बातचीत नहीं हुई है लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि पिछले 50 सालों में जो दोनों देशों के बीच वास्तविक सीमा रेखा है और वहां पर किसी भी तरह की कोई गोलीबारी नहीं हुई है.

उन्होंने आगे कहा कि दोनों देश यह चाहते हैं कि वह अपनी आपसी समस्याओं का समाधान बिना हिंसा के निकाले और उनके जो मुख्य मुद्दे हैं उनकी असलियत को समझते हुए आगे बढ़े.
बकौल सुरेश बाफना, मोदी सरकार आने के बाद चीन पाकिस्तान के बीच अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में दोनों देश के बीच रिश्ता गहरा हो गया है. उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते के बीच पाकिस्तान हमेशा से रहा है और इसे चीन को समझना होगा.

ईटीवी भारत से बात करते राजनीतिक विशेषज्ञ

चीन-पाकिस्तान की एकता का उदाहरण देते हुए बाफना ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा में कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया. जो यह दिखाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना चाहते हैं.

सुरेश बाफना ने कहा कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है और इस पर चीन अंदरूनी स्तर पर किसी भी तरीके से भारत का साथ नहीं देना चाहता है.

उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जो संवेदनशील मुद्दे हैं उन पर चीन पीछे हटता रहा है चाहे वह कश्मीर का मुद्दा हो या मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का.

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सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के बीच व्यापार असंतुलित है, उदाहरण के तौर पर भारत यदि चीन को 25 रुपए का निर्यात करता है तो वहीं चीन भारत को 75 रुपये का निर्यात करता है. उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लगभग 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा ट्रेड इन बैलेंस भारत के खिलाफ है.

उन्होंने बताया कि भारत के लिए चीन में फार्मा एवं आईटी सेक्टर में अच्छे अवसर उपलब्ध है. लेकिन चीन इन सेक्टर में प्रोटेक्टिव नीति अपना रहा है.

बाफना ने कहा कि आईटी और फार्मा सेक्टर में काम कर रहे भारतीयों को चीन में कार्य करने में काफी बाधाएं आती हैं और चीन इस क्षेत्र में भारत के साथ व्यापार करने में इच्छुक नजर नहीं आ रहा है. लेकिन इन सबके बीच दोनों देशों के बीच लगभग 100 बिलियन डॉलर का व्यापार हो रहा है और यह सराहनीय बात है.

पढ़ेंः मोदी-जिनपिंग के दौरे का खास इंतजाम, जानें पूरा कार्यक्रम

बकौल बाफना, दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच होने वाली बैठक से हम उम्मीद करते हैं कि आईटी एवं फार्मा सेक्टर में ट्रेड करने में जो दिक्कतें आ रही हैं उन पर जरूर कोई ना कोई हल निकलेगा.

Intro:नई दिल्ली। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच आज तमिलनाडु के महाबलीपुरम में मुलाकात होगी। इसपर ईटीवी भारत ने राजनीतिक विशेषज्ञ सुरेश बाफना से बात की जिन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच यह रिश्ता मुकाबले, सहयोग और टकराव का है और भारत-चीन को अपनी बेहतरी के लिये इन्हीं तीन बातों को ध्यान में रखकर करनी होगी।

सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के रिश्तों की शुरुआत 1988 में राजीव गांधी की सरकार के दौरान हुई जिसमें बॉर्डर एवं सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों में आपसी सहमती बनी और यह निश्चय किया कि अब यह मामला दोनों देश आपसी बातचीत से सुलझाएंगे।

उन्होंने कहा कि हालांकि सीमा विवाद पर दोनों देशों के बीच अभी तक ज्यादा बातचीत नहीं हुई है लेकिन यह गौर करने वाली बात है कि पिछले 50 सालों में जो दोनों देशों के बीच एक्चुअल लाइन ऑफ कंट्रोल है वहां पर किसी भी तरह की कोई गोलीबारी नहीं हुई है। बाफना ने कहा कि यह दर्शाता है कि दोनों देश यह चाहते हैं कि वह अपनी आपसी समस्याओं का समाधान बिना हिंसा के निकाले और उनके जो मुख्य मुद्दे हैं उनकी असलियत को समझते हुए आगे बढ़े।


Body:सुरेश बाफना ने कहा कि मोदी सरकार आने के बाद चीन पाकिस्तान के बीच अर्थव्यवस्था, आंतरिक सुरक्षा और डिफेंस के क्षेत्र में दोनों देश के बीच रिश्ता गहरा हो गया है। उन्होंने कहा कि भारत और चीन के रिश्ते के बीच पाकिस्तान हमेशा से रहा है और इसे चीन को समझना होगा। बाफना ने चीन-पाकिस्तान की एकता का उदाहरण देते हुए कहा कि यूएनएससी में कश्मीर से धारा 370 हटाए जाने पर चीन ने पाकिस्तान का साथ दिया। जो यह दिखाता है कि दोनों देश एक-दूसरे के साथ कंधे से कन्धा मिलाकर चलना चाहते हैं।

सुरेश बाफना ने कहा कि पाकिस्तान भारत में आतंकवाद को बढ़ावा देना चाहता है और इस पर चीन अंदरूनी स्तर पर किसी भी तरीके से भारत का साथ नहीं देना चाहता है। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी जो संवेदनशील मुद्दे हैं उन पर चीन पीछे हटता रहा है चाहे वह कश्मीर का मुद्दा हो या मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी घोषित करने का।


Conclusion:सुरेश बाफना ने कहा कि भारत-चीन के बीच ट्रेड इंबैलेंस है, उदाहरण के तौर पर भारत यदि चीन को 25 रुपए का निर्यात करता है तो वहीं चीन भारत को 75 रुपये का निर्यात करता है। उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच लगभग 50 बिलियन डॉलर से ज्यादा ट्रेड इन बैलेंस भारत के खिलाफ है।

उन्होंने बताया कि भारत के लिए चीन में फार्मा एवं आईटी सेक्टर में अच्छे अवसर उपलब्ध है लेकिन चीन इन सेक्टर में प्रोटेक्टिव नीति अपना रहा है। उन्होंने कहा कि आईटी और फार्मा सेक्टर में काम कर रहे भारतीयों को चीन में कार्य करने में काफी बाधाएं आती हैं और चीन इस क्षेत्र में भारत के साथ ट्रेड करने में इच्छुक नजर नहीं आ रहा है। लेकिन इन सबके बीच दोनों देशों के बीच लगभग 100 बिलियन डॉलर का ट्रेड हो रहा है और यह सराहनीय बात है। बाफना ने कहा कि दोनों देशों के प्रधानमंत्री के बीच होने वाली मीटिंग में हम उम्मीद करते हैं कि आईटी एवं फार्मा सेक्टर में ट्रेड करने में जो दिक्कतें आ रही हैं उन पर जरूर कोई ना कोई हल निकलेगा।
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