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J-K पाबंदी : SC का फैसला- एक हफ्ते के अंदर आदेशों की समीक्षा करे सरकार - जम्मू कश्मीर प्रतिबंध सुप्रीम कोर्ट

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जम्मू कश्मीर लॉकडाउन पर फैसला
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Published : Jan 9, 2020, 6:37 PM IST

Updated : Jan 10, 2020, 11:15 AM IST

10:36 January 10

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

समीक्षा का आदेश

  • पाबंदी वाले आदेशों की समीक्षा सात दिन में हो.
  • सात दिन में धारा 144, इंटरनेट पाबंदी की समीक्षा हो.
  • सरकार पाबंदी से जुड़े सभी फैसले सार्वजनिक करे.
  • कमेटी सात दिन के अंदर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी.
  • पाबंदी पर आदेशों की समीक्षा के लिए कमेटी बनेगी.

सेवाएं तुरंत बहाल हों

  • सरकार ई-बैंकिंग सुविधा तुरंत बहाल करे.
  • कश्मीर में बैंकिंग, व्यापारिक सेवाएं तुरंत बहाल हों.
  • सरकारी वेबसाइट तक तक पहुंचने का जरिया पुख्ता हो.

जरूरी होने पर बैन हो इंटरनेट

  • जरूरी होने पर ही धारा 144 लगाएं.
  • लगातार धारा 144 लागू करना शक्ति का दुरुपयोग है.
  • बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट बैन हो.
  • इंटरनेट भी लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है.
  • इंटरनेट बैन पर दलीलों से कोर्ट सहमत नहीं.
  • लंबे वक्त के लिए इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगा सकते हैं.
  • बिना कारण पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगा सकते हैं.

अधिकारों की रक्षा करना हमारा काम

  • पाबंदियों के लिए पुख्ता कारण होना जरूरी है.
  • लोगों की आजादी और सुरक्षा में तालमेल बनाए रखना हमारा काम है.
  • नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी जरूरी है.
  • राजनीति में दखल देना हमारा काम नहीं है. 
  • कश्मीर में हिंसा का इतिहास काफी लंबा रहा है.

10:13 January 10

14 लोगों की याचिकाओं पर फैसला

इस मामले में कुल 14 लोगों ने सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी.

याचिकाकर्ताओं में लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, जामिया मिल्लिया के छात्र मोहम्मद अलीम, दिल्ली के अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा, आईएस से राजनेता बने शाह फैसल, पूर्व एमएचए नियुक्त वार्ताकार राधा कुमार, जम्मू कश्मीर के रिटायर जज मुजफ्फर इकबाल खान, अधिवक्ता शोएब कुरैशी, नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन,  कश्मीर टाईम्स की एडिटर अनुराधा भासीन, कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और विनीत ढांडा ने याचिका दायर की है.

18:36 January 09

SC का कश्मीर लॉकडाउन पर फैसला

नई दिल्ली : कश्मीर लॉकडाउन मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. दरअसल, पांच अगस्त, 2019  के बाद से जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में प्रतिबंध की खबरें सामने आती रही हैं.

केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव करने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों और इंटरनेट नाकाबंदी को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

इससे पहले विगत 27 नवंबर को जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन जजों की बेंच ने कश्मीर लॉक डाउन की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कोर्ट ने कश्मीर से प्रकाशित होने वाले अखबार की संपादक अनुराधा भसीन, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आज़ाद और कुछ अन्य की याचिका पर सुनवाई की.

इन मामलों में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, जबकि जम्मू-कश्मीर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वृंदा ग्रोवर ने पैरवी की थी.

सुनवाई के दौरान जस्टिस रमन्ना ने एक बार फिर कहा था कि अदालत लोगों के मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हटाने के 5 अगस्त के फैसले के बाद इंटरनेट सेवाओं के साथ-साथ टेलीफोन सेवाओं व अन्य लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती दी गई है.

इन याचिकाओं में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दिशानिर्देश देने की गुहार लगाई है.

10:36 January 10

सुप्रीम कोर्ट का फैसला

समीक्षा का आदेश

  • पाबंदी वाले आदेशों की समीक्षा सात दिन में हो.
  • सात दिन में धारा 144, इंटरनेट पाबंदी की समीक्षा हो.
  • सरकार पाबंदी से जुड़े सभी फैसले सार्वजनिक करे.
  • कमेटी सात दिन के अंदर रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेगी.
  • पाबंदी पर आदेशों की समीक्षा के लिए कमेटी बनेगी.

सेवाएं तुरंत बहाल हों

  • सरकार ई-बैंकिंग सुविधा तुरंत बहाल करे.
  • कश्मीर में बैंकिंग, व्यापारिक सेवाएं तुरंत बहाल हों.
  • सरकारी वेबसाइट तक तक पहुंचने का जरिया पुख्ता हो.

जरूरी होने पर बैन हो इंटरनेट

  • जरूरी होने पर ही धारा 144 लगाएं.
  • लगातार धारा 144 लागू करना शक्ति का दुरुपयोग है.
  • बेहद जरूरी हालात में ही इंटरनेट बैन हो.
  • इंटरनेट भी लोगों की अभिव्यक्ति का अधिकार है.
  • इंटरनेट बैन पर दलीलों से कोर्ट सहमत नहीं.
  • लंबे वक्त के लिए इंटरनेट पर पाबंदी नहीं लगा सकते हैं.
  • बिना कारण पूरी तरह इंटरनेट पर रोक नहीं लगा सकते हैं.

अधिकारों की रक्षा करना हमारा काम

  • पाबंदियों के लिए पुख्ता कारण होना जरूरी है.
  • लोगों की आजादी और सुरक्षा में तालमेल बनाए रखना हमारा काम है.
  • नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करना भी जरूरी है.
  • राजनीति में दखल देना हमारा काम नहीं है. 
  • कश्मीर में हिंसा का इतिहास काफी लंबा रहा है.

10:13 January 10

14 लोगों की याचिकाओं पर फैसला

इस मामले में कुल 14 लोगों ने सरकार के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की थी.

याचिकाकर्ताओं में लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी, जामिया मिल्लिया के छात्र मोहम्मद अलीम, दिल्ली के अधिवक्ता मनोहर लाल शर्मा, आईएस से राजनेता बने शाह फैसल, पूर्व एमएचए नियुक्त वार्ताकार राधा कुमार, जम्मू कश्मीर के रिटायर जज मुजफ्फर इकबाल खान, अधिवक्ता शोएब कुरैशी, नेशनल कांफ्रेंस के नेता मोहम्मद अकबर लोन,  कश्मीर टाईम्स की एडिटर अनुराधा भासीन, कांग्रेस नेता तहसीन पूनावाला और विनीत ढांडा ने याचिका दायर की है.

18:36 January 09

SC का कश्मीर लॉकडाउन पर फैसला

नई दिल्ली : कश्मीर लॉकडाउन मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसला सुनाया. दरअसल, पांच अगस्त, 2019  के बाद से जम्मू-कश्मीर के कई इलाकों में प्रतिबंध की खबरें सामने आती रही हैं.

केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 के प्रावधानों में बदलाव करने के बाद जम्मू-कश्मीर में लगाए गए प्रतिबंधों और इंटरनेट नाकाबंदी को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया.

इससे पहले विगत 27 नवंबर को जस्टिस एनवी रमन्ना, जस्टिस आर सुभाष रेड्डी और जस्टिस बीआर गवई की तीन जजों की बेंच ने कश्मीर लॉक डाउन की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के एक समूह पर फैसला सुरक्षित रख लिया था.

कोर्ट ने कश्मीर से प्रकाशित होने वाले अखबार की संपादक अनुराधा भसीन, कांग्रेस के राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आज़ाद और कुछ अन्य की याचिका पर सुनवाई की.

इन मामलों में केंद्र सरकार की ओर से अटार्नी जनरल के के वेणुगोपाल, जबकि जम्मू-कश्मीर की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पैरवी की थी. याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल और वृंदा ग्रोवर ने पैरवी की थी.

सुनवाई के दौरान जस्टिस रमन्ना ने एक बार फिर कहा था कि अदालत लोगों के मौलिक अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन बनाने की कोशिश करेगी. 

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हटाने के 5 अगस्त के फैसले के बाद इंटरनेट सेवाओं के साथ-साथ टेलीफोन सेवाओं व अन्य लगाए गए प्रतिबंधों को चुनौती दी गई है.

इन याचिकाओं में कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई अन्य लोगों ने सुप्रीम कोर्ट से दिशानिर्देश देने की गुहार लगाई है.

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Last Updated : Jan 10, 2020, 11:15 AM IST
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