नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने आज कई निजी कंपनियों द्वारा दायर याचिका पर अपना फैसला सुनाया. कोर्ट ने कहा कि कर्मचारियों और नियोक्ताओं (कंपनियों) के बीच विवाद का समाधान बातचीत से होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान निजी कंपनियां अपने कर्मचारियों को कितना वेतन देंगी, इस पर वह आपस में चर्चा कर सकते हैं. फिलहाल, ऐसी कंपनियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी.
बता दें कि याचिका में 54 दिनों की लॉकडाउन अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूरा वेतन देने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई थी.
याचिका पर सुनवाई के करते हुए शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से इस बारे में जारी अधिसूचना की वैधता पर हलफनामा मांगा है. इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि फिलहाल किसी उद्योग पर दंडात्मक कार्रवाई न की जाए और उद्योग और मजदूर संगठन मिलकर इस समस्या का समाधान निकालने की कोशिश करें.
कोर्ट ने कहा कि अगर 54 दिन की अवधि के वेतन पर सहमति न बने तो श्रम विभाग की मदद ले. इस मामले में अगली सुनवाई जुलाई के आखिरी हफ्ते में फिर होगी.
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को 29 मार्च के अपने आदेश की वैधानिकता पर जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का समय और दिया है, जिसमें सरकार ने मजदूरी के अनिवार्य भुगतान का आदेश दिया था.
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सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने कहा था कि जब लॉकडाउन शुरू हुआ था तो कर्मचारियों के काम वाली जगह को छोड़कर अपने गृह राज्यों की ओर पलायन करने से रोकने की मंशा के तहत अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन यह मामला कर्मचारियों और कंपनी के बीच का है और सरकार इसमें दखल नहीं देगी.
न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की. इस पीठ में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह शामिल हैं.