नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड बनाने के लिए पेड़ काटे जाने पर फिलहाल रोक लगा दी है . कोर्ट ने फिलहाल यथार्थ स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है. इस मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की विशेष पीठ ने पेड़ों को काटे जाने के खिलाफ एक विधि छात्र की याचिका पर सुनवाई करते हुए सोमवार को कहा कि अब पेड़ ना काटें.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को आश्वासन दिया कि इसके बाद कोई पेड़ नहीं काटा जाएगा.
साथ ही सार्वजनिक आदेश में गड़बड़ी करने और सरकार के अधिकारियों को उनके कर्तव्यों के पालन में बाधा डालने के आरोप में गिरफ्तार किए गए 29 प्रदर्शनकारियों को ठाणे जेल से रिहा कर दिया गया है.
कोर्ट ने आगे कहा कि प्रदर्शन करने वाले जिन कार्यकर्ताओं को अब तक रिहा नहीं किया गया है उन सभी को तुरंत रिहा किया जाए.
मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होगी.
कोर्ट के आदेश पर याचिकाकर्ता छात्र ऋृिषब राजन ने ईटीवी भारत से कहा कि फिलहाल कोर्ट ने यथार्थ स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.
वहीं, कोर्ट के फैसले पर महाराष्ट्र सरकार के अधिवक्ता ने कि बताया कि फिलहाल 33 हेक्टर क्षेत्र के पेड़ों को काट दिया गया है. उन्होंने बताया कि कोर्ट ने बाकी क्षेत्र पर यथार्थ स्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है.
बता दें कि उच्चतम न्यायालय ने मुंबई के आरे क्षेत्र में पेड़ों को गिराये जाने के खिलाफ सोमवार को तत्काल सुनवाई के लिए गठित की गई पीठ ने सुनवाई शुरू की. छात्रों की तरफ से संजय हेगड़े कोर्ट में बहस की. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा है कि आरे जंगल है ईको सेंसेटिव जोन है. छात्रों ने आरे जंगल में पेड़ों की कटाई रोके जाने की मांग की.
शीर्ष अदालत ने पेड़ों को गिराये जाने के खिलाफ रिषव रंजन नामक शख्स के प्रधान न्यायाधीश को लिखे पत्र के आधार पर रविवार को विशेष पीठ का गठन किया.
उच्चतम न्यायालय ने पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज करने का फैसला किया.
शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर तत्काल सुनवाई करने के बाबत नोटिस डाला गया है जिसके अनुसार, 'संज्ञान लिया जाए कि मामले में कल सात अक्टूबर, 2019 को सुबह 10 बजे सुनवाई के लिए विशेष पीठ का गठन किया गया है.
महाराष्ट्र राज्य के आरे वन्य क्षेत्र में पेड़ गिराये जाने के संबंध में रिषव रंजन के छह अक्टूबर, 2019 के पत्र के आधार पर यह निर्णय लिया गया है और इस पत्र को जनहित याचिका के तौर पर दर्ज किया गया है.'
पढ़ें- आरे जंगल मामला : सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, सुनवाई कल
पर्यावरण कार्यकर्ता उत्तरी मुंबई की आरे कॉलोनी में मुंबई मेट्रो रेल निगम लिमिटेड (एमएमआरसीएल) द्वारा पेड़ काटे जाने का विरोध कर रहे हैं.
बता दें कि मुंबई में मेट्रो की रेक का डिपो बनाने के लिए पेड़ काटे जा रहे हैं. बंबई उच्च न्यायालय ने पेड़ काटने के मुंबई नगर निगम के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं को शुक्रवार को खारिज कर दिया था. उच्च न्यायालय ने शनिवार को पेड़ों की कटाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था.