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बीते दिनों अभिव्यक्ति की आजादी के अधिकार का सबसे ज्यादा दुरुपयोग : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने तबलीगी जमात के मुद्दे पर मीडिया की कथित अभिप्रेरित रिपोर्टिंग पर केंद्र सरकार की खिंचाई की है. न्यायालय ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है.

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Published : Oct 8, 2020, 2:22 PM IST

Updated : Oct 9, 2020, 6:12 AM IST

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का 'सबसे अधिक दुरुपयोग' हुआ है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने जमीयत उलेमा ए हिंद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी की. इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि कोविड-19 के दौरान हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम पर मीडिया का एक वर्ग सांप्रदायिक विद्वेष फैला रहा था.

पीठ ने इस मुद्दे पर केन्द्र के कपटपूर्ण हलफनामे के लिए उसकी खिंचाई की.

न्यायालय ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है.

पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब जमात की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि याचिकाकर्ता बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा को कुचलना चाहते हैं.

इस पर पीठ ने कहा कि वह अपने हफनामे में कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसे की आप जो चाहें वह तर्क देने के लिए स्वतंत्र है.

यह भी पढ़ें- तबलीगी जमात: तीन जोन के सीजेएम सुनेंगे आपराधिक मामले, 8 हफ्ते में तय करने का निर्देश

पीठ इस बात से नाराज हो गई कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव के बजाए एक अतिरिक्त सचिव ने हलफनामा दाखिल किया जिसमें तबलीगी जमात मामले में मीडिया रिपोर्टिंग के संबंध में गैरजरूरी और अतर्कसंगत बातें लिखी हैं.

पीठ ने कहा कि आप इस न्यायालय के साथ ऐसा सुलूक नहीं कर सकते जिस तरह से आप इस मामले में कर रहे हैं.

न्यायालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को इस तरह के मामलों में मीडिया की अभिप्रेरित रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देने का निर्देश दिया है.

नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का 'सबसे अधिक दुरुपयोग' हुआ है. प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामासुब्रमणियन की पीठ ने जमीयत उलेमा ए हिंद और अन्य की याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी की. इन याचिकाओं में आरोप लगाया गया कि कोविड-19 के दौरान हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम पर मीडिया का एक वर्ग सांप्रदायिक विद्वेष फैला रहा था.

पीठ ने इस मुद्दे पर केन्द्र के कपटपूर्ण हलफनामे के लिए उसकी खिंचाई की.

न्यायालय ने कहा कि हाल के दिनों में बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सबसे अधिक दुरुपयोग हुआ है.

पीठ ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब जमात की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में कहा है कि याचिकाकर्ता बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रा को कुचलना चाहते हैं.

इस पर पीठ ने कहा कि वह अपने हफनामे में कुछ भी कहने के लिए स्वतंत्र हैं, जैसे की आप जो चाहें वह तर्क देने के लिए स्वतंत्र है.

यह भी पढ़ें- तबलीगी जमात: तीन जोन के सीजेएम सुनेंगे आपराधिक मामले, 8 हफ्ते में तय करने का निर्देश

पीठ इस बात से नाराज हो गई कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव के बजाए एक अतिरिक्त सचिव ने हलफनामा दाखिल किया जिसमें तबलीगी जमात मामले में मीडिया रिपोर्टिंग के संबंध में गैरजरूरी और अतर्कसंगत बातें लिखी हैं.

पीठ ने कहा कि आप इस न्यायालय के साथ ऐसा सुलूक नहीं कर सकते जिस तरह से आप इस मामले में कर रहे हैं.

न्यायालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के सचिव को इस तरह के मामलों में मीडिया की अभिप्रेरित रिपोर्टिंग को रोकने के लिए पूर्व में उठाए गए कदमों का विस्तृत ब्योरा देने का निर्देश दिया है.

Last Updated : Oct 9, 2020, 6:12 AM IST
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