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कृषि कानून 2020 : सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका खारिज

सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया है. याचिका में अधिनियमों को लागू करने और फेसबुक, व्हाट्सएप, पोस्टर, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक संचार आदि पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी जो या तो समर्थित था या कृत्यों के खिलाफ था.

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Published : Oct 27, 2020, 1:26 PM IST

Updated : Oct 27, 2020, 3:59 PM IST

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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सभी राज्यों से कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही गई थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ, हिंदू धर्म परिषद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने केंद्र और राज्यों को किसानों के कृत्यों के लिए पार्टियों और संगठनों द्वारा आंदोलन के खिलाफ सख्त दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए निर्देश दिए थे.

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 पर हाल ही में बनाए गए किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ आंदोलन चल रहा है.

याचिका में अधिनियमों को लागू करने और फेसबुक, व्हाट्सएप, पोस्टर, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक संचार आदि पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी जो या तो समर्थित था या कृत्यों के खिलाफ था अदालत ने आज माना कि याचिकाकर्ता इस तरह से अदालत का रुख नहीं कर सकता है, उसे अदालत के समक्ष एक विशेष मामला लाना होगा.

बता दें कि केंद्र सरकार संसद के बीते मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 बिल लोकसभा में पास पारित किए थे.

क्या हैं कृषि कानून 2020 ?

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020

नए कृषि कानून के मुताबिक किसान अपनी फसलें अपने मनचाही जगह पर बेच सकते हैं. यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है. इसका मतलब यह है कि एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं. साथ ही फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके अलावा किसान अपनी फसल ऑनलाईन भी बेच सकेंगें. साथ ही अच्छा दाम मिलेगा.

मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020

इसके तहत देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. इससे फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को नुकसान की पूरी भरपाई करनी होगी. किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे, जिससे किसान की आए बढ़ने की उम्मीद है.

पढ़ें -किसानों को सशक्त बनायेंगे पारित कृषि विधेयक: नीति आयोग

आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020

आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है. नए काूनू के मुताबिक अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लागू किया जाएगा. इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है. इससे प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

किसानों का विरोध क्यों?

देशभर के किसान इस कानून का विरोध कर रहे हैं. दरअसल, किसानों को डर है कि नए कानून से एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है. वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है. इसलिए किसानों में डर है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा, तो कोई मंडी नहीं आएगा.

साथ ही उनको यह भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी. गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें सभी राज्यों से कृषि कानूनों को लागू करने की बात कही गई थी. भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली पीठ, हिंदू धर्म परिषद द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसने केंद्र और राज्यों को किसानों के कृत्यों के लिए पार्टियों और संगठनों द्वारा आंदोलन के खिलाफ सख्त दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए निर्देश दिए थे.

मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 और किसान उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अधिनियम, 2020 पर हाल ही में बनाए गए किसानों (सशक्तिकरण और संरक्षण) समझौते के खिलाफ आंदोलन चल रहा है.

याचिका में अधिनियमों को लागू करने और फेसबुक, व्हाट्सएप, पोस्टर, किसी भी इलेक्ट्रॉनिक संचार आदि पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी जो या तो समर्थित था या कृत्यों के खिलाफ था अदालत ने आज माना कि याचिकाकर्ता इस तरह से अदालत का रुख नहीं कर सकता है, उसे अदालत के समक्ष एक विशेष मामला लाना होगा.

बता दें कि केंद्र सरकार संसद के बीते मानसून सत्र में किसानों से संबंधित कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा प्रदान करना) विधेयक, 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक और आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक, 2020 बिल लोकसभा में पास पारित किए थे.

क्या हैं कृषि कानून 2020 ?

कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020

नए कृषि कानून के मुताबिक किसान अपनी फसलें अपने मनचाही जगह पर बेच सकते हैं. यहां पर कोई भी दखल अंदाजी नहीं कर सकता है. इसका मतलब यह है कि एग्रीकल्चर मार्केंटिंग प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपीएमसी) के बाहर भी फसलों को बेच- खरीद सकते हैं. साथ ही फसल की ब्रिकी पर कोई टैक्स नहीं लगेगा. इसके अलावा किसान अपनी फसल ऑनलाईन भी बेच सकेंगें. साथ ही अच्छा दाम मिलेगा.

मूल्य आश्वासन एंव कृषि सेवाओं पर किसान (सशक्तिकरण एंव संरक्षण) अनुबंध विधेयक 2020

इसके तहत देशभर में कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग को लेकर व्यवस्था बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. इससे फसल खराब होने पर कॉन्ट्रेक्टर को नुकसान की पूरी भरपाई करनी होगी. किसान अपने दाम पर कंपनियों को फसल बेच सकेंगे, जिससे किसान की आए बढ़ने की उम्मीद है.

पढ़ें -किसानों को सशक्त बनायेंगे पारित कृषि विधेयक: नीति आयोग

आवश्यक वस्तु संशोधन बिल 2020

आवश्यक वस्तु अधिनियम को 1955 में बनाया गया था। खाद्य तेल, दाल, तिल आलू, प्याज जैसे कृषि उत्पादों पर से स्टॉक लिमिट हटा ली गई है. नए काूनू के मुताबिक अति आवश्यक होने पर ही स्टॉक लिमिट को लागू किया जाएगा. इसमें राष्ट्रीय आपदा, सूखा पड़ जाना शामिल है. इससे प्रोसेसर या वैल्यू चेन पार्टिसिपेंट्स के लिए ऐसी कोई स्टॉक लिमिट लागू नहीं होगी. उत्पादन स्टोरेज और डिस्ट्रीब्यूशन पर सरकारी नियंत्रण खत्म होगा.

किसानों का विरोध क्यों?

देशभर के किसान इस कानून का विरोध कर रहे हैं. दरअसल, किसानों को डर है कि नए कानून से एपीएमसी मंडिया समाप्त हो जाएंगी. कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में कहा गया है कि किसान एपीएमसी मंडियों के बाहर बिना टैक्स का भुगतान किए किसी को भी बेच सकता है. वहीं कई राज्यों में इस पर टैक्स का भुगतान करना होता है. इसलिए किसानों में डर है कि बिना किसी अन्य भुगतान के कारोबार होगा, तो कोई मंडी नहीं आएगा.

साथ ही उनको यह भी डर है कि सरकार एमएसपी पर फसलों की खरीद बंद कर देगी. गौरतलब है कि कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन सुविधा) विधेयक 2020 में इस बात का कोई जिक्र नहीं किया गया है फसलों की खरीद एमएसपी से नीचे के भाव पर नहीं होगी.

Last Updated : Oct 27, 2020, 3:59 PM IST
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