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केस लिस्टिंग में भेदभाव मामला: सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका

सर्वोच्च न्यायालय ने प्रभावशाली वकीलों द्वारा रजिस्ट्री में केस लिस्टिंग में पक्षपात करने मामले में दायर याचिका को खारिज कर दिया है. साथ ही याचिकाकर्ता रेपाक कंसल पर 100 रुपये का जुर्माना लगाया है.

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Published : Jul 6, 2020, 8:11 PM IST

supreme court
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नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता रेपाक कंसल द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री प्रभावशाली वकीलों की याचिका को प्राथमिकता देती है और बेवजह गलतियां ढूंढकर सामान्य वकीलों की याचिका को बाधित करती है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की तकनीकी गड़बड़ियों के कारण फोन कॉल पर आदेश की घोषणा करते हुए अदालत ने कहा कि कंसल को रजिस्ट्री के खिलाफ इस तरह के आरोप नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि वह बार के एक सदस्य हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता पर 100 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

शीर्ष अदालत ने 19 जून को इस में मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीठ ने अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद रजिस्ट्री मामलों में ऐसे आरोप लगाने के लिए फटकार लगाई थी.

पढ़ें- मेडिकल प्रवेश में ओबीसी आरक्षण का मामला, सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार

अधिवक्ता ने अपनी दलीलों में उन मामलों का हवाला दिया था जो सूचीबद्ध नहीं थे और उदाहरण दिया कि कैसे अर्नब गोस्वामी जैसे प्रभावशाली लोगों की दलीलों को कुछ मिनटों के भीतर सूचीबद्ध किया गया था.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने अधिवक्ता रेपाक कंसल द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री प्रभावशाली वकीलों की याचिका को प्राथमिकता देती है और बेवजह गलतियां ढूंढकर सामान्य वकीलों की याचिका को बाधित करती है.

वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग की तकनीकी गड़बड़ियों के कारण फोन कॉल पर आदेश की घोषणा करते हुए अदालत ने कहा कि कंसल को रजिस्ट्री के खिलाफ इस तरह के आरोप नहीं लगाने चाहिए, क्योंकि वह बार के एक सदस्य हैं. अदालत ने याचिकाकर्ता पर 100 रुपये का जुर्माना भी लगाया.

शीर्ष अदालत ने 19 जून को इस में मामले पर फैसला सुरक्षित रख लिया था. पीठ ने अधिवक्ता की दलीलों को सुनने के बाद रजिस्ट्री मामलों में ऐसे आरोप लगाने के लिए फटकार लगाई थी.

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अधिवक्ता ने अपनी दलीलों में उन मामलों का हवाला दिया था जो सूचीबद्ध नहीं थे और उदाहरण दिया कि कैसे अर्नब गोस्वामी जैसे प्रभावशाली लोगों की दलीलों को कुछ मिनटों के भीतर सूचीबद्ध किया गया था.

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