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लॉकडाउन : गरीबों को राहत की मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचे स्वामी अग्निवेश - जस्टिस एन वी रमन्ना

जस्टिस एन.वी. रमन्ना की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्वामी अग्निवेश की एक जनहित याचिका पर सुनवाई की. सुनवाई के दौरान अग्निवेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्वेस ने आरोप लगाया कि लॉकडाउन के कारण गरीबों को भोजन नहीं मिल पा रहा है जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष अदालत में इसे स्व-रोजगार पैदा करने वाली याचिका बताया.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Apr 15, 2020, 7:53 PM IST

नई दिल्ली : जस्टिस एन.वी. रमन्ना की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्वामी अग्निवेश की एक जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. इस याचिका में गरीबों, बेघरों और पिछड़े वर्ग के लोगों को, जिन्हें लॉकडाउन के कारण भोजन नहीं मिल पा रहा है, तत्कालीन राहत देने की मांग की गई है.

स्वामी अग्निवेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि लॉकडाउन ने बहुत बड़ा संकट पैदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में, जो दावा किया है, उसमें से कुछ नहीं किया गया है और पुलिस इसका पालन नहीं कर रही है.

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि उनके पास इस विशेष जनहित याचिका के लिए अधिकार है और अदालत को इस मामले में सुनवाई नहीं करनी चाहिए. ये स्व-रोजगार पैदा करने वाली याचिकाएं हैं. अदालत को ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए.

पढ़ें- कोरोना का इलाज : वैकल्पिक औषधियों की संभावना पर विचार से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लोगों की समस्या को दूर करने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं. इस तरह की याचिकाएं पहले से ही कोर्ट में लंबित हैं.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वातानुकूलित कार्यालय में बैठकर बिना किसी जमीनी स्तर की जानकारी या ज्ञान के जनहित याचिका तैयार करना जनसेवा नहीं है.

नई दिल्ली : जस्टिस एन.वी. रमन्ना की अगुआई वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्वामी अग्निवेश की एक जनहित याचिका पर बुधवार को सुनवाई की. इस याचिका में गरीबों, बेघरों और पिछड़े वर्ग के लोगों को, जिन्हें लॉकडाउन के कारण भोजन नहीं मिल पा रहा है, तत्कालीन राहत देने की मांग की गई है.

स्वामी अग्निवेश की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्वेस ने कहा कि लॉकडाउन ने बहुत बड़ा संकट पैदा कर दिया है. उन्होंने कहा कि केंद्र ने अपने हलफनामे में, जो दावा किया है, उसमें से कुछ नहीं किया गया है और पुलिस इसका पालन नहीं कर रही है.

वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में कहा कि उनके पास इस विशेष जनहित याचिका के लिए अधिकार है और अदालत को इस मामले में सुनवाई नहीं करनी चाहिए. ये स्व-रोजगार पैदा करने वाली याचिकाएं हैं. अदालत को ऐसी याचिकाओं पर विचार नहीं करना चाहिए.

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उन्होंने कहा कि केंद्र द्वारा लोगों की समस्या को दूर करने के लिए हर मुमकिन प्रयास किए जा रहे हैं. इस तरह की याचिकाएं पहले से ही कोर्ट में लंबित हैं.

सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि वातानुकूलित कार्यालय में बैठकर बिना किसी जमीनी स्तर की जानकारी या ज्ञान के जनहित याचिका तैयार करना जनसेवा नहीं है.

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