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केंद्र को नई संसद और सचिवालय निर्माण पर जवाब देने का आदेश - सेंट्रल विस्टा परियोजना लुटियंस दिल्ली में आने वाली है

न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्रीय विस्टा परियोजना के लिए भूमि का उपयोग, जिसके तहत नई इमारतों को पुनर्निर्मित किया जाना है.

सुप्रीम कोर्ट
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Published : Aug 25, 2020, 9:41 PM IST

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह 10 दिनों के भीतर नई संसद और सचिवालय के निर्माण से संबंधित याचिका पर जवाब दे और इस बीच याचिकाकर्ताओं की अपील सुनने का फैसला किया है.

न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्रीय विस्टा परियोजना के लिए भूमि का उपयोग, जिसके तहत नई इमारतों को पुनर्निर्मित किया जाना है. इसमें याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए अन्य दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी.

इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने कहा था कि वह भूमि उपयोग, नगरपालिका कानून, पर्यावरण मंजूरी और अन्य संबंधित मुद्दों की जांच की जाएगी. अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो परियोजना को रोक दिया जाएगा और अन्य जांच की आवश्यकता नहीं होगी.

राजीव सूरी ने शीर्ष अदालत को बताया कि डीडीए के पास भूमि उपयोग में कोई बदलाव लाने का अधिकार नहीं है. केंद्र की अधिसूचना के कानूनी पहलू के बारे में बताते हुए सूरी ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बिल्डिंग्स यानी संसद और सचिवालय सभी हेरिटेज बिल्डिंग हैं.

सीपीडब्ल्यूडी ने शुरू में अदालत के सामने कहा था कि नई संसद और सचिवालय की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा इमारतें असुरक्षित हैं.

सेंट्रल विस्टा परियोजना लुटियंस दिल्ली में आने वाली है और यह लगभग 20,000 करोड़ रुपये की है.

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वह 10 दिनों के भीतर नई संसद और सचिवालय के निर्माण से संबंधित याचिका पर जवाब दे और इस बीच याचिकाकर्ताओं की अपील सुनने का फैसला किया है.

न्यायमूर्ति एएम खानविल्कर की अगुवाई वाली पीठ राजीव सूरी द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें केंद्रीय विस्टा परियोजना के लिए भूमि का उपयोग, जिसके तहत नई इमारतों को पुनर्निर्मित किया जाना है. इसमें याचिकाकर्ता द्वारा उठाए गए अन्य दस्तावेजों की भी जांच की जाएगी.

इससे पहले की सुनवाई में अदालत ने कहा था कि वह भूमि उपयोग, नगरपालिका कानून, पर्यावरण मंजूरी और अन्य संबंधित मुद्दों की जांच की जाएगी. अगर कोई गड़बड़ी पाई गई तो परियोजना को रोक दिया जाएगा और अन्य जांच की आवश्यकता नहीं होगी.

राजीव सूरी ने शीर्ष अदालत को बताया कि डीडीए के पास भूमि उपयोग में कोई बदलाव लाने का अधिकार नहीं है. केंद्र की अधिसूचना के कानूनी पहलू के बारे में बताते हुए सूरी ने कहा कि सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत बिल्डिंग्स यानी संसद और सचिवालय सभी हेरिटेज बिल्डिंग हैं.

सीपीडब्ल्यूडी ने शुरू में अदालत के सामने कहा था कि नई संसद और सचिवालय की जरूरत है, क्योंकि मौजूदा इमारतें असुरक्षित हैं.

सेंट्रल विस्टा परियोजना लुटियंस दिल्ली में आने वाली है और यह लगभग 20,000 करोड़ रुपये की है.

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