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राजस्थान : कोटा से नौ स्पेशल ट्रेनें, छात्रों ने बताया किराया लेने का सच

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Published : May 6, 2020, 1:12 PM IST

पूरे देश में एक साथ कई राज्यों के श्रमिकों के लिए विशेष ट्रेन चलाई जा रही हैं. इसके साथ ही यह बहस भी शुरू हो गई कि टिकट का पैसा कौन देगा? इसके ठीक विपरीत कोटा से नौ ट्रेनें चलीं, जिसमें किसी भी छात्र को टिकट के पैसे देने की जरूरत नहीं पड़ी.

students train fare waived
डिजाइन फोटोडिजाइन फोटो

कोटा : पूरे देश में श्रमिकों के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन के किराए को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. कोटा से अभी तक नौ विशेष ट्रेनें बच्चों को लेकर बिहार और झारखंड जा चुकी है. इनमें बैठने वाले छात्रों से किसी तरह का कोई किराया नहीं लिया गया.

इन छात्रों का कहना है कि उन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था. इसके बाद उन्हें जिला कलेक्टर कोटा से एक एसएमएस मिला. वहीं उनका रिजर्वेशन हो गया. उन्हें किसी तरह का कोई किराया नहीं देना पड़ा.

जिले के अनुसार तय कर रखे हैं कोच
कोटा से बिहार और झारखंड गई ट्रेनों में जिलों के अनुसार को तय कर दिए गए हैं. साथ ही अलग-अलग डिवीजन बनाकर जिलों को विभाजित कर दिया है और उन्हीं के अनुसार ट्रेनें चलाई जा रही हैं.

देखें ईटवी भारत की रिपोर्ट

स्टेशन पर जब छात्र आते हैं तो उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. इसके बाद उन्हें कोच नंबर बताकर भेज दिया जाता है. कोचिंग संस्थान का स्टाफ ही बच्चों को सीट अलॉट कर देता है. सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए एक कोच में 54 छात्रों को ही बैठाया जा रहा है.

15 फीसदी किराया चुका रहे बिहार-झारखंड
कोटा से अब तक दो ट्रेनें झारखंड और सात ट्रेनें बिहार के लिए रवाना हुई हैं. अधिकांश छात्र अपने गृह जिलों तक पहुंच गए हैं. रेलवे ने 85 फीसदी किराए में छूट दी है. 15 फीसदी किराया राज्य सरकार दे रही है.

रेलवे सूत्रों के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक एक ट्रेन पर आने-जाने का खर्चा करीब 35-40 लाख रुपए हो रहा है.

पढ़ें-श्रमिक ट्रेन से सबसे ज्यादा मजदूर पहुंचे बिहार, बंगाल जाने वाले सबसे कम

कोटा : पूरे देश में श्रमिकों के लिए चलने वाली विशेष ट्रेन के किराए को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. कोटा से अभी तक नौ विशेष ट्रेनें बच्चों को लेकर बिहार और झारखंड जा चुकी है. इनमें बैठने वाले छात्रों से किसी तरह का कोई किराया नहीं लिया गया.

इन छात्रों का कहना है कि उन्होंने ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन करवाया था. इसके बाद उन्हें जिला कलेक्टर कोटा से एक एसएमएस मिला. वहीं उनका रिजर्वेशन हो गया. उन्हें किसी तरह का कोई किराया नहीं देना पड़ा.

जिले के अनुसार तय कर रखे हैं कोच
कोटा से बिहार और झारखंड गई ट्रेनों में जिलों के अनुसार को तय कर दिए गए हैं. साथ ही अलग-अलग डिवीजन बनाकर जिलों को विभाजित कर दिया है और उन्हीं के अनुसार ट्रेनें चलाई जा रही हैं.

देखें ईटवी भारत की रिपोर्ट

स्टेशन पर जब छात्र आते हैं तो उसकी स्क्रीनिंग की जाती है. इसके बाद उन्हें कोच नंबर बताकर भेज दिया जाता है. कोचिंग संस्थान का स्टाफ ही बच्चों को सीट अलॉट कर देता है. सोशल डिस्टेंसिंग रखते हुए एक कोच में 54 छात्रों को ही बैठाया जा रहा है.

15 फीसदी किराया चुका रहे बिहार-झारखंड
कोटा से अब तक दो ट्रेनें झारखंड और सात ट्रेनें बिहार के लिए रवाना हुई हैं. अधिकांश छात्र अपने गृह जिलों तक पहुंच गए हैं. रेलवे ने 85 फीसदी किराए में छूट दी है. 15 फीसदी किराया राज्य सरकार दे रही है.

रेलवे सूत्रों के अनुसार एक अनुमान के मुताबिक एक ट्रेन पर आने-जाने का खर्चा करीब 35-40 लाख रुपए हो रहा है.

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