ETV Bharat / bharat

असम : इंटरनेट बैन का प्रभाव, कुछ के लिए सुकून तो कई हैरान-परेशान

असम में नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शन के कारण राज्य सरकार ने इंटरनेट सेवा पर रोक लगा दी थी. इस कारण कुछ छात्र प्रतियोगी परीक्षा का आवेदन करने से चूक गए. वहीं कुछ छात्रों ने मजाकिया लहजे में बताया कि उन्हें इससे काफी सुकून मिला. जानें विस्तार से...

etv bharat
प्रतीकात्मक चित्र
author img

By

Published : Dec 21, 2019, 4:33 PM IST

गुवाहाटी : गुवाहाटी विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र रूप ज्योति सरमा को प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन करना था, लेकिन शहर में इंटरनेट बंद रहने के कारण वह अंतिम तिथि को भी आवेदन नहीं कर पाए.

गणेशगुरी इलाके में किराये के मकान में रह रहे 24 वर्षीय सरमा पास के बारपेटा जिले के रहने वाले हैं और ऐसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उन्हें ऑनलाइन ट्यूटोरियल पर निर्भर रहना पड़ता है.

ज्योति ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा, 'इंटरनेट पर पाबंदी के दौरान हम छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.'

उन्होंने बताया, 'मुझे एक परीक्षा के लिए आवेदन करना था, लेकिन मैं अंतिम दिन भी आवेदन करने से चूक गया.'

सरमा बीते गुरुवार को एईआई मैदान में प्रदर्शन कर रहे युवाओं के समूह में शामिल थे, जहां ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेता एवं कलाकारों ने 11 दिसंबर को असम में लागू इंटरनेट पाबंदी की निंदा की थी.

असम में मोबाइल इंटरनेट सेवा शुक्रवार सुबह हुई बहाल
इंटरनेट बंद को चुनौती देते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं.

अधिकारियों ने बताया कि विवादित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई थी.

पाबंदी के कारण कई लोगों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पैसे के हस्तांतरण में परेशानी आई.

सरमा ने कहा कि उनके माता पिता ने इंटरनेट बंद होने से पहले ही उन्हें पैसे भेज दिए थे, लेकिन उनके अधिकतर दोस्त इस मामले में खुशकिस्मत नहीं रहे. उन्होंने बताया, 'मेरे दोस्तों को गुवाहाटी से अपने-अपने घर जाना पड़ा क्योंकि उनके पास पैसे कम पड़ गए थे और एटीएम में भी पैसे नहीं थे.'

इसे भी पढे़ं- असम : CM बोले- हमारी भाषा, पहचान को कोई खतरा नहीं

इंटरनेट पाबंदी और कर्फ्यू का सिर्फ शिक्षा पर ही असर नहीं पड़ा बल्कि ऑनलाइन कैब सेवा की गैरमौजूदगी में लोगों को आने-जाने के लिए ऑटो रिक्शा चालकों को अधिक पैसे देने पड़े. मंगलवार को कर्फ्यू हटा लिया गया.

गुवाहाटी कॉलेज के छात्र 19 वर्षीय ध्रुवज्योति बर्मन ने कहा, 'गुवाहाटी में ऑटो रिक्शा महंगी सेवा है. इंटरनेट पाबंदी के दौरान उन्होंने कैब से भी अधिक कीमत वसूली. कैब ड्राइवरों को भी कर्फ्यू जैसी स्थिति में हमारी ही तरह मुश्किलों का सामना करना पड़ा.'

इसे भी पढे़ं- CAA का विरोध जारी : असम में इंटरनेमट सेवाएं 16 तक बैन, कई जगह कर्फ्यू में ढील

बर्मन ने मजाकिया अंदाज में कहा, इंटरनेट पाबंदी कई माता-पिता के लिए राहत लेकर आई क्योंकि काफी तादाद में छात्रों को ऑनलाइन गेम्स जैसे कि पबजी और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया की लत होती है.

चिन्मय डेका के लिए इंटरनेट नहीं होने का मतलब 'सुकून भरी नींद' लेना है.

गुवाहाटी : गुवाहाटी विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र रूप ज्योति सरमा को प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन करना था, लेकिन शहर में इंटरनेट बंद रहने के कारण वह अंतिम तिथि को भी आवेदन नहीं कर पाए.

गणेशगुरी इलाके में किराये के मकान में रह रहे 24 वर्षीय सरमा पास के बारपेटा जिले के रहने वाले हैं और ऐसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उन्हें ऑनलाइन ट्यूटोरियल पर निर्भर रहना पड़ता है.

ज्योति ने अफसोस जाहिर करते हुए कहा, 'इंटरनेट पर पाबंदी के दौरान हम छात्रों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा.'

उन्होंने बताया, 'मुझे एक परीक्षा के लिए आवेदन करना था, लेकिन मैं अंतिम दिन भी आवेदन करने से चूक गया.'

सरमा बीते गुरुवार को एईआई मैदान में प्रदर्शन कर रहे युवाओं के समूह में शामिल थे, जहां ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेता एवं कलाकारों ने 11 दिसंबर को असम में लागू इंटरनेट पाबंदी की निंदा की थी.

असम में मोबाइल इंटरनेट सेवा शुक्रवार सुबह हुई बहाल
इंटरनेट बंद को चुनौती देते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं.

अधिकारियों ने बताया कि विवादित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई थी.

पाबंदी के कारण कई लोगों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से पैसे के हस्तांतरण में परेशानी आई.

सरमा ने कहा कि उनके माता पिता ने इंटरनेट बंद होने से पहले ही उन्हें पैसे भेज दिए थे, लेकिन उनके अधिकतर दोस्त इस मामले में खुशकिस्मत नहीं रहे. उन्होंने बताया, 'मेरे दोस्तों को गुवाहाटी से अपने-अपने घर जाना पड़ा क्योंकि उनके पास पैसे कम पड़ गए थे और एटीएम में भी पैसे नहीं थे.'

इसे भी पढे़ं- असम : CM बोले- हमारी भाषा, पहचान को कोई खतरा नहीं

इंटरनेट पाबंदी और कर्फ्यू का सिर्फ शिक्षा पर ही असर नहीं पड़ा बल्कि ऑनलाइन कैब सेवा की गैरमौजूदगी में लोगों को आने-जाने के लिए ऑटो रिक्शा चालकों को अधिक पैसे देने पड़े. मंगलवार को कर्फ्यू हटा लिया गया.

गुवाहाटी कॉलेज के छात्र 19 वर्षीय ध्रुवज्योति बर्मन ने कहा, 'गुवाहाटी में ऑटो रिक्शा महंगी सेवा है. इंटरनेट पाबंदी के दौरान उन्होंने कैब से भी अधिक कीमत वसूली. कैब ड्राइवरों को भी कर्फ्यू जैसी स्थिति में हमारी ही तरह मुश्किलों का सामना करना पड़ा.'

इसे भी पढे़ं- CAA का विरोध जारी : असम में इंटरनेमट सेवाएं 16 तक बैन, कई जगह कर्फ्यू में ढील

बर्मन ने मजाकिया अंदाज में कहा, इंटरनेट पाबंदी कई माता-पिता के लिए राहत लेकर आई क्योंकि काफी तादाद में छात्रों को ऑनलाइन गेम्स जैसे कि पबजी और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया की लत होती है.

चिन्मय डेका के लिए इंटरनेट नहीं होने का मतलब 'सुकून भरी नींद' लेना है.

Intro:Body:

असम में इंटरनेट बंद रहने से छात्र परीक्षा के लिए आवेदन करने से चूके

 



गुवाहाटी, 21 दिसंबर (भाषा) गुवाहाटी विश्वविद्यालय में स्नातक के छात्र रूप ज्योति सरमा को प्रतियोगी परीक्षा के लिए आवेदन करना था लेकिन शहर में इंटरनेट बंद रहने के कारण वह अंतिम तिथि को भी आवेदन नहीं कर पाए.



गणेशगुरी इलाके में किराए के मकान में रह रहे 24 वर्षीय सरमा पास के बारपेटा जिले के रहने वाले हैं और ऐसी परीक्षाओं की तैयारी के लिए उन्हें ऑनलाइन ट्यूटोरियल पर निर्भर रहना पड़ता है.



उन्होंने अफसोस जाहिर करते हुए कहा, 'इंटरनेट पर पाबंदी के दौरान हम छात्रों को काफी मुश्किल का सामना करना पड़ा.'



उन्होंने बताया, 'मुझे एक परीक्षा के लिए आवेदन करना था लेकिन मैं अंतिम दिन भी आवेदन करने से चूक गया.'



सरमा बृहस्पतिवार को एईआई मैदान में प्रदर्शन कर रहे युवाओं के समूह में शामिल थे जहां ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन के नेता एवं कलाकारों ने 11 दिसंबर को असम में लागू इंटरनेट पाबंदी की निंदा की थी. ?



असम में मोबाइल इंटरनेट सेवा शुक्रवार सुबह बहाल हो गई.



इंटरनेट बंद को चुनौती देते हुए गुवाहाटी उच्च न्यायालय में जनहित याचिकाएं दायर की गई थीं.



अधिकारियों ने बताया कि विवादित नागरिकता (संशोधन) अधिनियम के विरोध में हिंसक प्रदर्शनों के मद्देनजर कानून व्यवस्था बनाए रखने और अफवाहों को फैलने से रोकने के लिए इंटरनेट पर पाबंदी लगाई गई थी.



पाबंदी के कारण कई लोगों को इलेक्ट्रोनिक रूप से पैसे के हस्तांतरण में परेशानी आई.



सरमा ने कहा कि उनके माता पिता ने इंटरनेट बंद होने से पहले ही उन्हें पैसे भेज दिए थे लेकिन उनके अधिकतर दोस्त इस मामले में खुशकिस्मत नहीं रहे.



उन्होंने बताया, 'मेरे दोस्तों को गुवाहाटी से अपने-अपने घर जाना पड़ा क्योंकि उनके पास पैसे कम पड़ गए थे और एटीएम में भी पैसे नहीं थे.'



इंटरनेट पाबंदी और कर्फ्यू का सिर्फ शिक्षा पर ही असर नहीं पड़ा बल्कि ऑनलाइन कैब सेवा की गैरमौजूदगी में लोगों को आने-जाने के लिए ऑटो रिक्शा चालकों को अधिक पैसे देने पड़े. मंगलवार को कर्फ्यू हटा लिया गया.



गुवाहाटी कॉलेज के छात्र 19 वर्षीय ध्रुवज्योति बर्मन ने कहा, 'गुवाहाटी में ऑटोरिक्शा महंगी सेवा है. इंटरनेट पाबंदी के दौरान उन्होंने कैब से भी अधिक कीमत वसूली. इन ड्राइवरों को भी कर्फ्यू जैसी स्थिति में हमारी ही तरह मुश्किल का सामना करना पड़ा.'



बर्मन ने मजाकिया अंदाज में कहा, इंटरनेट पाबंदी कई माता-पिता के लिए राहत लेकर आई क्योंकि काफी तादाद में छात्रों को ऑनलाइन गेम्स जैसे कि पबजी और टिकटॉक जैसे सोशल मीडिया की लत होती है.



चिन्मय डेका के लिए इंटरनेट नहीं होने का मतलब 'सुकून भरी नींद' लेना है.


Conclusion:
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.