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रुड़की : देवांश की मेहनत रंग लाई, बनाया अनोखा इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन - electronic dustbin invented by rudki student

उत्तराखंड में रुड़की के होनहार छात्र देवांश भारद्वाज ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है, जिससे डस्टबिन कूड़ा भर जाने के बाद स्वयं सफाई कर्मी को कॉल कर देगा.

student of uttarakhand devansh-bhardwaj-created-smart-electronic-dustbin
अनोखा स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन
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Published : Feb 1, 2020, 9:19 PM IST

Updated : Feb 28, 2020, 8:00 PM IST

देहरादून : प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती, दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो मंजिल मिल ही जाती है. भारत युवाओं का देश है और युवा वर्ग अपने टेलेंट से हर क्षेत्र में लोहा मनवा रहे हैं. ऐसा ही कमाल उत्तराखंड में रुड़की के होनहार छात्र देवांश भारद्वाज ने कर दिखाया है.

बता दें इस छात्र ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे डस्टबिन में कूड़ा भर जाने के बाद स्वयं सफाई कर्मी को कॉल लग जाएगी.

आठवीं कक्षा के छात्र ने बनाया अनोखा इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन.

गौरतलब है कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान’ द्वारा ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जिसमें ग्रीनवे मॉडर्न स्कूल के आठवीं के छात्र देवांश के प्रोजेक्ट स्मार्ट डस्टबिन का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए किया गया.

ये भी पढ़े: 'सुषमा स्वराज के आदर्श, महिला राजनीतिज्ञों के लिए प्रेरणा'

देवांश के पिता प्रदीप त्यागी उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष और नॉर्दन रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य हैं. प्रदीप के बेटे देवांश ने सार्वजनिक स्थानों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और कार्यालयों के लिए उपयोगी एक 'स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन' तैयार किया है.

डस्टबिन कि खास बात यह है कि भरने के बाद फोन कॉल के द्वारा संबंधित सफाई कर्मचारियों को स्वयं ही सूचित करेगा. छात्र के इस मॉडल का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता हेतु किया गया है, जिसके तहत केंद्र सरकार द्वारा छात्र को दस हजार रुपये भी दिए गए हैं.

वहीं, छात्र देवांश ने अपनी इस कामयाबी के लिए प्रधानाचार्य माला चौहान, विज्ञान शिक्षिका मुक्ता जैन और विक्रांत माहेश्वरी को श्रेय दिया है.

देहरादून : प्रतिभा किसी उम्र की मोहताज नहीं होती, दिल में कुछ कर गुजरने की इच्छा हो तो मंजिल मिल ही जाती है. भारत युवाओं का देश है और युवा वर्ग अपने टेलेंट से हर क्षेत्र में लोहा मनवा रहे हैं. ऐसा ही कमाल उत्तराखंड में रुड़की के होनहार छात्र देवांश भारद्वाज ने कर दिखाया है.

बता दें इस छात्र ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर तैयार किया है, जिससे डस्टबिन में कूड़ा भर जाने के बाद स्वयं सफाई कर्मी को कॉल लग जाएगी.

आठवीं कक्षा के छात्र ने बनाया अनोखा इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन.

गौरतलब है कि केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान’ द्वारा ऑनलाइन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था. जिसमें ग्रीनवे मॉडर्न स्कूल के आठवीं के छात्र देवांश के प्रोजेक्ट स्मार्ट डस्टबिन का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए किया गया.

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देवांश के पिता प्रदीप त्यागी उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष और नॉर्दन रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य हैं. प्रदीप के बेटे देवांश ने सार्वजनिक स्थानों, रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड और कार्यालयों के लिए उपयोगी एक 'स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन' तैयार किया है.

डस्टबिन कि खास बात यह है कि भरने के बाद फोन कॉल के द्वारा संबंधित सफाई कर्मचारियों को स्वयं ही सूचित करेगा. छात्र के इस मॉडल का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता हेतु किया गया है, जिसके तहत केंद्र सरकार द्वारा छात्र को दस हजार रुपये भी दिए गए हैं.

वहीं, छात्र देवांश ने अपनी इस कामयाबी के लिए प्रधानाचार्य माला चौहान, विज्ञान शिक्षिका मुक्ता जैन और विक्रांत माहेश्वरी को श्रेय दिया है.

Intro:रुड़की

रुड़की: जब सोच बड़ी हो कुछ कर दिखाने का अलग जज़्बा हो तो सब कुछ सम्भव है। ऐसा ही कमाल रुड़की के होनहार छात्र ने कर दिखाया है। छात्र ने एक ऐसा सॉफ्टवेयर बनाया है जिससे डस्टबिन कूड़ा भर जाने के बाद स्वयं सफाई कर्मी को कॉल कर देगा। दरअसल केंद्रीय विज्ञान व प्रौद्योगिकी मंत्रालय के ‘राष्ट्रीय नवप्रवर्तन प्रतिष्ठान’ द्वारा आयोजित ऑनलाइन प्रतियोगिता में ग्रीनवे मॉडर्न स्कूल के कक्षा आठ के छात्र देवांश भारद्वाज के प्रोजेक्ट स्मार्ट डस्टबिन का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ है।

Body:उत्तराखंड माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष व नॉर्दन रेलवे सलाहकार समिति के सदस्य प्रदीप त्यागी के बेटे देवांश भारद्वाज ने सार्वजनिक स्थानों,रेलवे स्टेशन,बस स्टैंड व कार्यालयों के लिए उपयोगी एक “स्मार्ट इलेक्ट्रॉनिक डस्टबिन” तैयार किया है। जो भरने के उपरांत विसिल एवं फोन कॉल के द्वारा संबंधित सफाई कर्मचारियों को स्वयं ही सूचित करेगा। उनके इस मॉडल का चयन जिला स्तरीय प्रतियोगिता हेतु किया गया है। जिसके तहत केंद्र सरकार द्वारा छात्र को दस हजार रुपये भी दिये गए हैं। देवांश भारद्वाज ने इसके लिए अपनी प्रधानाचार्य माला चौहान,विज्ञान शिक्षिका मुक्ता जैन व विक्रांत माहेश्वरी को श्रेय दिया है।

फोटो - देवांश भारद्वाजConclusion:
Last Updated : Feb 28, 2020, 8:00 PM IST
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