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एसएफजे के बंद को लेकर पंजाब पुलिस अलर्ट - एसएफजे

अलगाववादी संगठन सिख्स फॉर जस्टिस द्वारा कल पंजाब बंद के आह्वान के बाद पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर है. हर आने और जाने वाले वाहन की निगरानी और जांच की जा रही है.

एसएफजे के पंजाब बंद को लेकर पंजाब पुलिस अलर्ट
एसएफजे के पंजाब बंद को लेकर पंजाब पुलिस अलर्ट
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Published : Aug 30, 2020, 11:03 PM IST

चंडीगढ़ : अलगाववादी समूह सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा 31 अगस्त को पंजाब बंद के आह्वान के बाद पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर है. प्रत्येक आने और जाने वाले वाहनों की निगरानी और जांच की जा रही है.

बता दें कि एसएफजे ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की 25वीं जयंती मनाने के लिए 31 अगस्त को पंजाब बंद का आह्वान किया है. सुरक्षा एजेंसियों ने हाई अलर्ट जारी किया है और पंजाब पुलिस को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है.

एसएफजे के बंद को लेकर पंजाब पुलिस अलर्ट

सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बात करते हुए एएसआई मनजीत सिंह ने कहा कि कल पंजाब बंद के लिए एसएफजे के आह्वान को देखते हुए, पंजाब पुलिस ने सभी सुरक्षा इंतजाम किए हैं, सुरक्षा व्यवस्था को और भी बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोर्च पर है और प्रत्येक आने-जाने वाले वाहनों की जांच की जा रही थी.

कांग्रेस नेता बेअंत सिंह 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. 31 अगस्त, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को चंडीगढ़ के केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया था. उनके साथ इस आतंकी हमले में 16 अन्य लोगों की जान भी गई थी. इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी.

इससे पहले वर्ष 1992-95 के दौरान पंजाब की स्थिति पर एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पन्नू ने कहा था कि भाई शहीद दिलावर सिंह ने वास्तव में बेअंत के शासन के तहत सिखों के नरसंहार को रोक दिया था. हम 31 अगस्त को कौमी शहीद दिलावर सिंह के आदर देने के तौर पर पंजाब के लोगों से क्लीनिक और फार्मेसी जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी व्यवसायों को बंद करने का आग्रह करते हैं.

पंजाब की स्थिति पर एमनेस्टी इंटरनेशनल की 1995 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पन्नू ने कहा था कि पंजाब में खालिस्तान नामक राज्य में सिख मातृभूमि की स्थापना के लिए अक्सर हिंसक अभियान को दबाने के उनके प्रयासों में पंजाब में मानवाधिकारों का हनन किया गया है.

पन्नू ने अपनी अपील में उल्लेख किया था कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने 2012 में ज्ञानी गुरबचन सिंह को अकाल तख्त का जत्थेदार नियुक्त किया, जिन्होंने बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह को कौमी शहीद घोषित किया था.

उन्होंने दावा किया था कि इन उल्लंघनों में लोगों के गायब होने, हत्याएं, व्यापक अत्याचार और हिरासत में लिए जाने जैसी प्रताड़ना शामिल है. भारतीय एजेंसियों का कहना है कि अमेरिका स्थित एसएफजे संगठन का पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध है.

चंडीगढ़ : अलगाववादी समूह सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) द्वारा 31 अगस्त को पंजाब बंद के आह्वान के बाद पुलिस पूरी तरह से अलर्ट पर है. प्रत्येक आने और जाने वाले वाहनों की निगरानी और जांच की जा रही है.

बता दें कि एसएफजे ने पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह की 25वीं जयंती मनाने के लिए 31 अगस्त को पंजाब बंद का आह्वान किया है. सुरक्षा एजेंसियों ने हाई अलर्ट जारी किया है और पंजाब पुलिस को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराने को कहा है.

एसएफजे के बंद को लेकर पंजाब पुलिस अलर्ट

सुरक्षा व्यवस्था के बारे में बात करते हुए एएसआई मनजीत सिंह ने कहा कि कल पंजाब बंद के लिए एसएफजे के आह्वान को देखते हुए, पंजाब पुलिस ने सभी सुरक्षा इंतजाम किए हैं, सुरक्षा व्यवस्था को और भी बढ़ाया जा रहा है. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी मोर्च पर है और प्रत्येक आने-जाने वाले वाहनों की जांच की जा रही थी.

कांग्रेस नेता बेअंत सिंह 1992 से 1995 तक पंजाब के मुख्यमंत्री रहे थे. 31 अगस्त, 1995 को तत्कालीन मुख्यमंत्री बेअंत सिंह को चंडीगढ़ के केंद्रीय सचिवालय के बाहर एक बम धमाके में उड़ा दिया गया था. उनके साथ इस आतंकी हमले में 16 अन्य लोगों की जान भी गई थी. इस हमले में पंजाब पुलिस के कर्मचारी दिलावर सिंह ने मानव बम की भूमिका निभाई थी.

इससे पहले वर्ष 1992-95 के दौरान पंजाब की स्थिति पर एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट का हवाला देते हुए, पन्नू ने कहा था कि भाई शहीद दिलावर सिंह ने वास्तव में बेअंत के शासन के तहत सिखों के नरसंहार को रोक दिया था. हम 31 अगस्त को कौमी शहीद दिलावर सिंह के आदर देने के तौर पर पंजाब के लोगों से क्लीनिक और फार्मेसी जैसी आवश्यक सेवाओं को छोड़कर सभी व्यवसायों को बंद करने का आग्रह करते हैं.

पंजाब की स्थिति पर एमनेस्टी इंटरनेशनल की 1995 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए पन्नू ने कहा था कि पंजाब में खालिस्तान नामक राज्य में सिख मातृभूमि की स्थापना के लिए अक्सर हिंसक अभियान को दबाने के उनके प्रयासों में पंजाब में मानवाधिकारों का हनन किया गया है.

पन्नू ने अपनी अपील में उल्लेख किया था कि शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने 2012 में ज्ञानी गुरबचन सिंह को अकाल तख्त का जत्थेदार नियुक्त किया, जिन्होंने बेअंत सिंह के हत्यारे दिलावर सिंह को कौमी शहीद घोषित किया था.

उन्होंने दावा किया था कि इन उल्लंघनों में लोगों के गायब होने, हत्याएं, व्यापक अत्याचार और हिरासत में लिए जाने जैसी प्रताड़ना शामिल है. भारतीय एजेंसियों का कहना है कि अमेरिका स्थित एसएफजे संगठन का पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों के साथ संबंध है.

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