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यूपी : 21 साल से मालखाने में कैद है नेताजी की प्रतिमा, जानें पूरा मामला - सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को रिहाई का इंतजार

केंद्र सरकार नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रही है, लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में सच्चाई बिल्कुल उलट है. शहर के मालखाने में नेताजी की प्रतिमा को 21 सालों से कैद करके रखा गया है. विस्तार से पढ़ें यह विशेष रिपोर्ट...

नेताजी सुभाष चंद्र बोस
नेताजी सुभाष चंद्र बोस
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Published : Jan 23, 2021, 6:13 PM IST

हरदोई : पूरा देश स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. केंद्र सरकार ने आज से नेताजी की जंयती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है, लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आज भी देश की आजादी में महती भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को रिहाई का इंतजार है.

नेताजी की प्रतिमा को रिहाई का इंतजार.

शिव सैनिकों को भेजा गया था जेल
वर्ष 2000 में शिवसेना नेता रामवीर द्विवेदी ने शहर के मौनी बाबा मंदिर चौराहे पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित की थी. 23 जनवरी, 2000 को शिव सैनिक नेताजी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी जयंती मना रहे थे, तभी अचानक पहुंची कोतवाली शहर पुलिस ने रामवीर द्विवेदी और उनके साथी को हिरासत में लेकर दोनों का धारा 151 के तहत चालान कर दिया था.

वहीं, नेताजी की प्रतिमा को फाउंडेशन से उखाड़ कर सदर मालखाने में रखवा दिया. तब से आज तक नेताजी की प्रतिमा यहीं पर कैद है.

नगर पालिका ने प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव किया था पास
शिव सैनिकों का दावा है कि 28 दिसंबर, 1998 को हरदोई नगर पालिका परिषद ने बोर्ड की मीटिंग में शिवसैनिकों की मांग पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा मौनी बाबा मंदिर चौराहे पर स्थापित करने का प्रस्ताव पास किया था. इसके बावजूद भी प्रतिमा स्थापित करने के बाद पुलिस को शांति भंग की आशंका महसूस हुई और पुलिस ने प्रतिमा को उखाड़कर सदर माल खाने में रखवा दिया.

नेताजी की प्रतिमा.
नेताजी की प्रतिमा.

नतीजतन आज भी नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी. दोबारा 2003 में पुराने प्रस्ताव का हवाला देकर नगर पालिका ने प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दी, लेकिन नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी.

प्रतिमा रिलीज करने के लिए जिला जज ने दिया था निर्देश
नेताजी की प्रतिमा मालखाने से आजाद कराने को लेकर शिव सैनिकों ने लंबा प्रयास किया, जिसके लिए 2015 में शिव सैनिकों ने भूख हड़ताल की. इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद शिव सैनिकों ने जिला जज की कोर्ट में अर्जी दी. जिला जज ने जिलाधिकारी को नेताजी की प्रतिमा रिलीज करने का निर्देश दिया.

इस मामले में 5 मार्च, 2020 को सिटी मजिस्ट्रेट के यहां शांति भंग में कैद नेताजी की प्रतिमा को रिलीज कराने का आवेदन शिव सैनिकों ने किया और प्रतिमा को आजाद कराने की मांग की, लेकिन नेताजी की प्रतिमा आजाद नहीं हुई.

फाइल हुई गुम, जांच में जुटा प्रशासन और पुलिस
शिव सैनिकों का दावा है कि प्रशासन ने उनसे फाइल गुम होने की बात कही. इस मामले की शिकायत उन्होंने दोबारा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से की, जिसके बाद अब पूरे मामले की जांच अपर जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह और सीओ सिटी विकास जायसवाल के द्वारा की जा रही है.

पढ़ें- नेताजी का डलहौजी से है खास नाता, बावड़ी के पानी से हुए थे स्वस्थ्य

फिलहाल, नेताजी की प्रतिमा को सदर मालखाने की कैद से आजादी नहीं मिल सकी है. सरकारी तिकड़म बाजी के चलते आज भी 'नेताजी' को आजादी का इंतजार है.

इस बारे में सिटी मजिस्ट्रेट जंग बहादुर यादव ने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा सदर मालखाने में कैद है. प्रतिमा को स्थापित कराने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है. शासन से अनुमति मिलने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित कराई जाएगी.

हरदोई : पूरा देश स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मना रहा है. केंद्र सरकार ने आज से नेताजी की जंयती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है, लेकिन उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में आज भी देश की आजादी में महती भूमिका निभाने वाले नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा को रिहाई का इंतजार है.

नेताजी की प्रतिमा को रिहाई का इंतजार.

शिव सैनिकों को भेजा गया था जेल
वर्ष 2000 में शिवसेना नेता रामवीर द्विवेदी ने शहर के मौनी बाबा मंदिर चौराहे पर नेताजी की प्रतिमा स्थापित की थी. 23 जनवरी, 2000 को शिव सैनिक नेताजी की प्रतिमा स्थापित कर उनकी जयंती मना रहे थे, तभी अचानक पहुंची कोतवाली शहर पुलिस ने रामवीर द्विवेदी और उनके साथी को हिरासत में लेकर दोनों का धारा 151 के तहत चालान कर दिया था.

वहीं, नेताजी की प्रतिमा को फाउंडेशन से उखाड़ कर सदर मालखाने में रखवा दिया. तब से आज तक नेताजी की प्रतिमा यहीं पर कैद है.

नगर पालिका ने प्रतिमा लगाने का प्रस्ताव किया था पास
शिव सैनिकों का दावा है कि 28 दिसंबर, 1998 को हरदोई नगर पालिका परिषद ने बोर्ड की मीटिंग में शिवसैनिकों की मांग पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा मौनी बाबा मंदिर चौराहे पर स्थापित करने का प्रस्ताव पास किया था. इसके बावजूद भी प्रतिमा स्थापित करने के बाद पुलिस को शांति भंग की आशंका महसूस हुई और पुलिस ने प्रतिमा को उखाड़कर सदर माल खाने में रखवा दिया.

नेताजी की प्रतिमा.
नेताजी की प्रतिमा.

नतीजतन आज भी नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी. दोबारा 2003 में पुराने प्रस्ताव का हवाला देकर नगर पालिका ने प्रतिमा स्थापित करने की अनुमति दी, लेकिन नेताजी की प्रतिमा स्थापित नहीं हो सकी.

प्रतिमा रिलीज करने के लिए जिला जज ने दिया था निर्देश
नेताजी की प्रतिमा मालखाने से आजाद कराने को लेकर शिव सैनिकों ने लंबा प्रयास किया, जिसके लिए 2015 में शिव सैनिकों ने भूख हड़ताल की. इसका भी कोई नतीजा नहीं निकला, जिसके बाद शिव सैनिकों ने जिला जज की कोर्ट में अर्जी दी. जिला जज ने जिलाधिकारी को नेताजी की प्रतिमा रिलीज करने का निर्देश दिया.

इस मामले में 5 मार्च, 2020 को सिटी मजिस्ट्रेट के यहां शांति भंग में कैद नेताजी की प्रतिमा को रिलीज कराने का आवेदन शिव सैनिकों ने किया और प्रतिमा को आजाद कराने की मांग की, लेकिन नेताजी की प्रतिमा आजाद नहीं हुई.

फाइल हुई गुम, जांच में जुटा प्रशासन और पुलिस
शिव सैनिकों का दावा है कि प्रशासन ने उनसे फाइल गुम होने की बात कही. इस मामले की शिकायत उन्होंने दोबारा डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट से की, जिसके बाद अब पूरे मामले की जांच अपर जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह और सीओ सिटी विकास जायसवाल के द्वारा की जा रही है.

पढ़ें- नेताजी का डलहौजी से है खास नाता, बावड़ी के पानी से हुए थे स्वस्थ्य

फिलहाल, नेताजी की प्रतिमा को सदर मालखाने की कैद से आजादी नहीं मिल सकी है. सरकारी तिकड़म बाजी के चलते आज भी 'नेताजी' को आजादी का इंतजार है.

इस बारे में सिटी मजिस्ट्रेट जंग बहादुर यादव ने बताया कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा सदर मालखाने में कैद है. प्रतिमा को स्थापित कराने के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है. शासन से अनुमति मिलने के बाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा स्थापित कराई जाएगी.

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