नई दिल्ली : हाल ही में हुए असम समझौते को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि असम समझौता असम में शांति लाएगा. उनके इस बयान के ठीक एक दिन बाद कांग्रेस नेता रिपुन बोरा के नेतृत्व में असम कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में समझौते के खंड 6.1 का विरोध किया गया है.
असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के सचिव व प्रवक्ता डॉ. मोंगवे रोंगपी ने सोमवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हम बोडो समझौते के खंड 6.1 को रद करना चाहते हैं, जो विशेष रूप से कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंग्लोंग और दीमा हसाओ के क्षेत्रों में पहाड़ियों में रहने वाले बोडो और कचारियों को अनुसूचित जाति (पहाड़ी) का दर्जा देता है. समझौते का यह खंड गैर पहाड़ी समुदाय के लोगों को दोगुना लाभ पहुंचाता है.'
रोंगपी ने कहा कि बोडों को पहले से ही अनुसूचित जाति का दर्जा मिल रहा है. उन्हे सभी राजनीतिक, आर्थिक और अन्य लाभ मिल रहे हैं. अगर बोडो समुदाय को एसटी (पहाड़ी) का दर्जा दिया जाता है, तो वहां स्थापित शांति बिगड़ सकती है.
उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह इस मामले पर बात करेंगे. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इस मामले पर गृह मंत्री अमित शाह से बात करने का भरोसा दिया है. हालांकि रोंगपी ने मामले पर कोई ठोस जवाब न मिलने पर खेद जताया है.
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उन्होंने आगे कहा, 'अगर यह अकॉर्ड लागू किया जाता है तो इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (ए) को भी लागू किया जाना चाहिए. हम इसकी काफी समय से मांग कर रहे हैं.'
उल्लेखनीय है कि असम के कार्बी आंगलोंग जिले ने पहले ही बोडो को एसटी (पहाड़ी) का दर्जा देने के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया था. बोडो समझौते में सरकार ने असम के कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ जिलों में रहने वाले बोडो को एसटी (पहाडी) का दर्जा दिया है.
बोडो कचरियों को पहले ही एसटी (मैदानी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है और वे शिक्षा, रोजगार जैसे अन्य क्षेत्रों में 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा का आनंद लेते हैं.