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बोडो समझौता : राष्ट्रपति से मिला APCC प्रतिनिधिमंडल, खंड 6.1 हटाने की मांग

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) ने बोडो समझौते के खंड 6.1 को रद करने की मांग की है, जो विशेष रूप से कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंग्लोंग और दीमा हसाओ के क्षेत्रों में पहाड़ियों पर रहने वाले बोडो और कचारियों को अनुसूचित जाति (पहाड़ी) का दर्जा देता है. एपीसीसी के सचिव डॉ. मोंगवे रोंगपी ने ईटीवी भारत से बातचीत में यह जानकारी दी. उन्होंने बताया कि एपीसीसी का एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिला और उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.पढ़ें पूरी खबर

ईटीवी भारत से बात करते मोंगवे रोंगपी
ईटीवी भारत से बात करते मोंगवे रोंगपी
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Published : Feb 10, 2020, 10:13 PM IST

Updated : Feb 29, 2020, 10:11 PM IST

नई दिल्ली : हाल ही में हुए असम समझौते को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि असम समझौता असम में शांति लाएगा. उनके इस बयान के ठीक एक दिन बाद कांग्रेस नेता रिपुन बोरा के नेतृत्व में असम कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में समझौते के खंड 6.1 का विरोध किया गया है.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के सचिव व प्रवक्ता डॉ. मोंगवे रोंगपी ने सोमवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हम बोडो समझौते के खंड 6.1 को रद करना चाहते हैं, जो विशेष रूप से कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंग्लोंग और दीमा हसाओ के क्षेत्रों में पहाड़ियों में रहने वाले बोडो और कचारियों को अनुसूचित जाति (पहाड़ी) का दर्जा देता है. समझौते का यह खंड गैर पहाड़ी समुदाय के लोगों को दोगुना लाभ पहुंचाता है.'

ईटीवी भारत से बात करते मोंगवे रोंगपी

रोंगपी ने कहा कि बोडों को पहले से ही अनुसूचित जाति का दर्जा मिल रहा है. उन्हे सभी राजनीतिक, आर्थिक और अन्य लाभ मिल रहे हैं. अगर बोडो समुदाय को एसटी (पहाड़ी) का दर्जा दिया जाता है, तो वहां स्थापित शांति बिगड़ सकती है.

उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह इस मामले पर बात करेंगे. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इस मामले पर गृह मंत्री अमित शाह से बात करने का भरोसा दिया है. हालांकि रोंगपी ने मामले पर कोई ठोस जवाब न मिलने पर खेद जताया है.

पढ़ें : बोडो समझौते पर असम में बोले पीएम मोदी- '21वीं सदी में पूर्वोत्तर की नई शुरुआत'

उन्होंने आगे कहा, 'अगर यह अकॉर्ड लागू किया जाता है तो इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (ए) को भी लागू किया जाना चाहिए. हम इसकी काफी समय से मांग कर रहे हैं.'

उल्लेखनीय है कि असम के कार्बी आंगलोंग जिले ने पहले ही बोडो को एसटी (पहाड़ी) का दर्जा देने के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया था. बोडो समझौते में सरकार ने असम के कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ जिलों में रहने वाले बोडो को एसटी (पहाडी) का दर्जा दिया है.

बोडो कचरियों को पहले ही एसटी (मैदानी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है और वे शिक्षा, रोजगार जैसे अन्य क्षेत्रों में 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा का आनंद लेते हैं.

नई दिल्ली : हाल ही में हुए असम समझौते को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि असम समझौता असम में शांति लाएगा. उनके इस बयान के ठीक एक दिन बाद कांग्रेस नेता रिपुन बोरा के नेतृत्व में असम कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन सौंपा है. इस ज्ञापन में समझौते के खंड 6.1 का विरोध किया गया है.

असम प्रदेश कांग्रेस कमेटी (APCC) के सचिव व प्रवक्ता डॉ. मोंगवे रोंगपी ने सोमवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा, 'हम बोडो समझौते के खंड 6.1 को रद करना चाहते हैं, जो विशेष रूप से कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंग्लोंग और दीमा हसाओ के क्षेत्रों में पहाड़ियों में रहने वाले बोडो और कचारियों को अनुसूचित जाति (पहाड़ी) का दर्जा देता है. समझौते का यह खंड गैर पहाड़ी समुदाय के लोगों को दोगुना लाभ पहुंचाता है.'

ईटीवी भारत से बात करते मोंगवे रोंगपी

रोंगपी ने कहा कि बोडों को पहले से ही अनुसूचित जाति का दर्जा मिल रहा है. उन्हे सभी राजनीतिक, आर्थिक और अन्य लाभ मिल रहे हैं. अगर बोडो समुदाय को एसटी (पहाड़ी) का दर्जा दिया जाता है, तो वहां स्थापित शांति बिगड़ सकती है.

उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति ने उन्हें आश्वासन दिया है कि वह इस मामले पर बात करेंगे. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने भी इस मामले पर गृह मंत्री अमित शाह से बात करने का भरोसा दिया है. हालांकि रोंगपी ने मामले पर कोई ठोस जवाब न मिलने पर खेद जताया है.

पढ़ें : बोडो समझौते पर असम में बोले पीएम मोदी- '21वीं सदी में पूर्वोत्तर की नई शुरुआत'

उन्होंने आगे कहा, 'अगर यह अकॉर्ड लागू किया जाता है तो इसमें भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 (ए) को भी लागू किया जाना चाहिए. हम इसकी काफी समय से मांग कर रहे हैं.'

उल्लेखनीय है कि असम के कार्बी आंगलोंग जिले ने पहले ही बोडो को एसटी (पहाड़ी) का दर्जा देने के विरोध में भारत बंद का आह्वान किया था. बोडो समझौते में सरकार ने असम के कार्बी आंगलोंग, पश्चिम कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ जिलों में रहने वाले बोडो को एसटी (पहाडी) का दर्जा दिया है.

बोडो कचरियों को पहले ही एसटी (मैदानी) के रूप में वर्गीकृत किया गया है और वे शिक्षा, रोजगार जैसे अन्य क्षेत्रों में 10 प्रतिशत आरक्षण कोटा का आनंद लेते हैं.

Intro:New Delhi: Days after Prime Minister Narendra Modi said that Bodo Accord would bring peace in Assam, a delegation from the state met President Ramnath Kovind and DoNER Minister Dr Jitendra Singh opposing Clause 6.1 of the historic Accord which gives Schedule Tribe (Hills) to the Bodos living in Karbi Anglong and Dima Hasao hill districts.


Body:"We want to revoke Clause 6.1 of the Bodo Accord which gives ST(H) status for Bodos and Kacharis living in Hills of Assam, especially Karbi Anglong, West Karbi Anglong and Dima Hasao areas," said Dr Mongve Rongpi, secretary and spokesperson, Assam Pradesh Congress Committee (APCC).

The delegations comprising leaders from the Congress called on President Kovind and DoNER Minister Dr Singh and lodged their protest against the Clause.

Rongpi said that Bodos are already getting ST (Plain) status and accordingly getting all the political, economic and other benefits.

"If they are allowed to get ST(H) status, it will destroy our demography...we will oppose the move," said.

The delegation said that the government decision will 'infringe upon the rights' enjoyed by the Karbis and Dimasas of the two hills district.


Conclusion:Rongpi, however, said that if Clause 6.1 is bestowed, "then we want a separate autonomous states under the constitution."

"We appeal the government to implement Article 244 (A) of the Indian Constitution which is the long standing demandof of the hill districts," said Rongpi.

Article 244 A empowers the Parliament to form an autonomous state in Assam and to create a body to function as a legislature for the autonomous state or a council of ministers.

It may be mentioned here that the Assam's Karbi Anglong district has already witnessed bandh in protest against giving ST (H) status to Bodos.

The government, in the Bodo Accord signed in New Delhi recently, gave ST (H) status to the Bodos living in Karbi Anglong, West Karbi Anglong and Dima Hasao districts of Assam.

Bodo Kacharis are already categorised as ST (plains) and enjoy a 10 percent reservation quota in all spheres such as education, employment among others.

end.
Last Updated : Feb 29, 2020, 10:11 PM IST
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