नई दिल्ली: सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को दी जा रही एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली है. सिंह को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा मिलती रहेगी. अधिकारियों ने आज बताया कि 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे सिंह से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद किया गया है.
'जेड प्लस’ सुरक्षा केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ) द्वारा दिए जाने वाले उच्चतम सुरक्षा कवर में से एक है.
गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, 'वर्तमान सुरक्षा कवर समीक्षा खतरे की आशंका पर आधारित एक नियमित एवं पेशेवराना कवायद है जो विशुद्ध रूप से सुरक्षा एजेंसियों द्वारा पेशेवर मूल्यांकन पर आधारित है. डॉक्टर मनमोहन सिंह को ‘जेड प्लस’ सुरक्षा मिलती रहेगी.'
विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा वापस लेने का निर्णय कैबिनेट सचिवालय और गृह मंत्रालय की विभिन्न खुफिया एजेंसियों से मिली सूचनाओं के आधार सहित तीन महीने तक समीक्षा किए जाने के बाद लिया गया.
विशेष सुरक्षा समूह (एसपीजी) संरक्षण देश में दिया जाने वाला सर्वोच्च सुरक्षा कवच है.
सिंह की एसपीजी सुरक्षा हटाए जाने के बाद अब यह सुरक्षा कवर केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके पुत्र राहुल गांधी और पुत्री प्रियंका गांधी को ही प्राप्त है.
एसपीजी अधिनियम 1988 के अनुसार 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने के बाद सिंह को एक वर्ष तक एसपीजी सुरक्षा हासिल करने का अधिकार था.
सिंह और उनकी पत्नी गुरशरण कौर को पेश आ रहे खतरों की समीक्षा के बाद उसे वार्षिक तौर पर बढ़ाया गया था.
सिंह की बेटी ने 2014 में स्वेच्छा से एसपीजी सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया था.
1985 में एसपीजी का गठन किया गया
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1985 में एसपीजी का गठन किया गया था. प्रधानमंत्री की सुरक्षा के लिए संसद ने 1988 में एसपीजी विधेयक पारित किया और फिर उसके बाद यह कानून बना. उस समय अधिनियम के तहत पूर्व प्रधानमंत्रियों को एसपीजी सुरक्षा नहीं दी जाती थी.
इन नेताओं की हटाई गई थी एसपीजी सुक्षा
वीपी सिंह के 1989 में सत्ता में आने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा हटा दी गई थी.
राजीव गांधी की 1991 में हत्या किए जाने के बाद एसपीजी अधिनियम संशोधन किया गया, जिसके बाद सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवार को करीब 10 वर्ष तक एसपीजी सुरक्षा मिलने लगी.
इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने एसपीजी के कामकाज की समीक्षा की और पूर्व प्रधान मंत्री पी. वी. नरसिम्हा राव, एच. डी. देवेगौड़ा और आई. के. गुजराल से एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का निर्णय लिया.
वाजपेयी सरकार ने 2003 में एसपीजी अधिनियम में फिर संशोधन किया और पूर्व प्रधानमंत्रियों को पद छोड़ने के बाद 10 वर्ष की जगह केवल एक वर्ष तक एसपीजी संरक्षण मिलने लगा. इसके बाद सरकार द्वारा समीक्षा किए जाने के बाद इसे बढ़ाए जाने का निर्णय लिया जाने लगा.
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बता दें कि गृह मंत्रालय देश के कई बड़े नेताओं को मुहैया कराई जाने वाली सुरक्षा की समीक्षा के बाद इस तरह का फैसला करती है.