अहमदाबाद : अयोध्या में भव्य मंदिर की नींव के निर्माण के लिए एक विशेष तकनीकी समिति गठित की गई. यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि राम मंदिर की नींव अगले 1000 वर्ष तक टिकी रहे. इसको लेकर यह समिति जरूरी भूवैज्ञानिक दिशानिर्देश जारी करेगी.
समिति के सदस्यों में सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक शैलेश गांधी भी शामिल हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर की नींव के बारे में जानकारी दी. उन्होंने नींव के लेकर हो रहे शोध के बारे में भी जानकार दी.
उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण में स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही उसे ऐसे बनाया जाएगा कि वह 1000 वर्ष तक टिका रहेगा. भावनगर के रहने वाले शैलेश गांधी एक सिविल इंजीनियर हैं.
ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि नींव को मजबूत बनाने के लिए जो भी कारक हैं उनपर विचार विमर्ष किया जा रहा है. अगले दो सप्ताह में नींव का डिजाइन ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा.
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गांधी ने बताया कि सामान्य इमारतों में स्टील और कांक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि इसमें स्टील का प्रयोग नहीं किया जाएगा और कंक्रीट के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन मंदिरों की तरह इसमें भी चूने का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि वह राम जन्मभूमि के क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना पर भी अध्ययन कर रहे हैं.