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अयोध्या राम मंदिर के नींव निर्माण पर भूवैज्ञानिक दिशानिर्देश देगी विशेषज्ञ समिति

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण से पहले मंदिर के ट्रस्ट ने एल एंड टी कंपनी से 1000 वर्ष तक मंदिर की बुनियाद की मजबूती की गारंटी मांगी थी. इसी दिशा में आगे बढ़ते हुए मंदिर की नींव के निर्माण के लिए एक विशेष तकनीकी समिति गठित की गई है. यह समिति जरूरी भूवैज्ञानिक दिशानिर्देश जारी करेगी, जो यह सुनिश्चित करेंगे की मंदिर 1000 वर्ष तक टिका रहेगा.

Shailesh gandhi
Shailesh gandhi
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Published : Dec 20, 2020, 4:41 PM IST

Updated : Dec 20, 2020, 5:49 PM IST

अहमदाबाद : अयोध्या में भव्य मंदिर की नींव के निर्माण के लिए एक विशेष तकनीकी समिति गठित की गई. यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि राम मंदिर की नींव अगले 1000 वर्ष तक टिकी रहे. इसको लेकर यह समिति जरूरी भूवैज्ञानिक दिशानिर्देश जारी करेगी.

समिति के सदस्यों में सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक शैलेश गांधी भी शामिल हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर की नींव के बारे में जानकारी दी. उन्होंने नींव के लेकर हो रहे शोध के बारे में भी जानकार दी.

उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण में स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही उसे ऐसे बनाया जाएगा कि वह 1000 वर्ष तक टिका रहेगा. भावनगर के रहने वाले शैलेश गांधी एक सिविल इंजीनियर हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि नींव को मजबूत बनाने के लिए जो भी कारक हैं उनपर विचार विमर्ष किया जा रहा है. अगले दो सप्ताह में नींव का डिजाइन ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें-1000 साल तक राम मंदिर के टिके रहने पर हुआ मंथन

गांधी ने बताया कि सामान्य इमारतों में स्टील और कांक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि इसमें स्टील का प्रयोग नहीं किया जाएगा और कंक्रीट के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन मंदिरों की तरह इसमें भी चूने का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि वह राम जन्मभूमि के क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना पर भी अध्ययन कर रहे हैं.

अहमदाबाद : अयोध्या में भव्य मंदिर की नींव के निर्माण के लिए एक विशेष तकनीकी समिति गठित की गई. यह समिति यह सुनिश्चित करेगी कि राम मंदिर की नींव अगले 1000 वर्ष तक टिकी रहे. इसको लेकर यह समिति जरूरी भूवैज्ञानिक दिशानिर्देश जारी करेगी.

समिति के सदस्यों में सरदार वल्लभभाई राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान के निदेशक शैलेश गांधी भी शामिल हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में मंदिर की नींव के बारे में जानकारी दी. उन्होंने नींव के लेकर हो रहे शोध के बारे में भी जानकार दी.

उन्होंने बताया कि मंदिर के निर्माण में स्टील का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसके साथ ही उसे ऐसे बनाया जाएगा कि वह 1000 वर्ष तक टिका रहेगा. भावनगर के रहने वाले शैलेश गांधी एक सिविल इंजीनियर हैं.

ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने बताया कि नींव को मजबूत बनाने के लिए जो भी कारक हैं उनपर विचार विमर्ष किया जा रहा है. अगले दो सप्ताह में नींव का डिजाइन ट्रस्ट को सौंप दिया जाएगा.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट

पढ़ें-1000 साल तक राम मंदिर के टिके रहने पर हुआ मंथन

गांधी ने बताया कि सामान्य इमारतों में स्टील और कांक्रीट का इस्तेमाल किया जाता है. हालांकि इसमें स्टील का प्रयोग नहीं किया जाएगा और कंक्रीट के इस्तेमाल पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि प्राचीन मंदिरों की तरह इसमें भी चूने का इस्तेमाल करने पर विचार किया जा रहा है. उन्होंने यह भी बताया कि वह राम जन्मभूमि के क्षेत्र में भूकंप आने की संभावना पर भी अध्ययन कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 20, 2020, 5:49 PM IST
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