पालमपुर/कांगड़ा : हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं, ऋषि मुनियों और पीर-पैगंबरों की धरती है. यही वजह है कि प्रदेश को देवभूमि के नाम से जाना जाता है. यहां स्थित शक्तिपीठों और मंदिरों पर लोगों की अटूट आस्था, तो है ही साथ ही कई मंदिरों में लोगों के शारीरिक कष्ट और बीमारियों से निजात दिलाने के दावे भी किए जाते हैं.
ऐसा ही एक दावा जाहरवीर गुगा जी महाराज के मंदिर में भी किया जाता है. पालमपुर से लगभग 10 किलोमीटर दूरी पर पठानकोट-मंडी राष्ट्रीय उच्च मार्ग स्थित ग्राम पंचायत सलोह में यह मंदिर है. यहां लोग शारीरिक कष्टों जैसे सर्पदंश, मानसिक बीमारियों, भूत-प्रेत और अन्य बीमारियों से छुटकारा पाने के लिए आते हैं. हिमाचल के साथ-साथ बाहरी राज्यों से भी वो लोग यहां आते हैं. यह सिलसिला 160 सालों से चला आ रहा है.
गुग्गा मन्दिर की परिक्रमा लगाने से ठीक होते हैं लोग!
ऐसी मान्यता है कि जाहरवीर गुग्गा जी महाराज यहां के पुजारी पफुउ राम के साथ आए और यहां विराजमान हो गए. तब से प्रति वर्ष रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक 10 दिनों तक यहां उत्सव मनाया जाता है. माना जाता है कि 10 दिनों में यहां पर जाहरवीर गुग्गा जी महाराज की सबसे अधिक शक्ति देखी जाती है. जानकार बताते हैं यहां श्रद्धालु 10 दिनों तक रुकते हैं और मन्दिर के भीतर या बाहर परिक्रमा लगाने से ठीक होकर अपने-अपने घरों को खुशी-खुशी जाते हैं.
रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक गांव के लोग संन्यासी की तरह करते हैं जीवनयापन
रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक गांव सलोह और कथियाड़ा के आस-पास के ग्रामीण संन्यासी की तरह जीवनयापन करते हैं. गांव के लोग इन दिनों नंगे पांव रहते हैं और सोने के लिए भूमि आसन का प्रयोग किया जाता है. यहां पर हिमाचल के अलावा अन्य राज्यों के लोग माथा टेकने और अपने कष्टों का निवारण करने पहुंचते हैं. लोगों का कहना है कि दवाखाने, अस्पताल, नीम हकीम के दरवाजे से निराश होकर लौटे लोगों का कष्ट यहां पर दूर हो जाता है.
क्या कहना है मंदिर पुजारी वेद प्रकाश का
मंदिर पुजारी वेद प्रकाश ने कहा कि ऐसी भी मान्यता है कि जिन लोगों को सर्पदंश, मानसिक, शारीरिक और भूत-प्रेत आदि का कष्ट हो, तो रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक के 10 दिनों में मन्दिर की परिक्रमा लगाने से ठीक हो जाते हैं. साथ में मन्दिर के प्रांगण में स्थित प्राचीन अलिया (कनियारा) पेड़ के चक्कर लगाने से भी लोग ठीक होते हैं. ऐसे में मन्दिर में लोग काफी संख्या में आते हैं, परन्तु रक्षाबंधन से जन्माष्टमी तक 10 दिनों में लोगों की भीड़ बहुत ज्यादा होती है.
पुजारी वेद प्रकाश ने कहा कि काेरोना काल में मन्दिर को सरकार के दिशा-निर्देश अनुसार बंद रखा गया था. अब प्रशासन की अनुमति लेने के बाद ही मन्दिर को लोगों के लिए खोल दिया गया है. धीरे-धीरे लोगों का मन्दिर में आना शुरू हो गया है.
क्या कहना है श्रद्धालु शुभम कटोच का
श्रद्धालु शुभम कटोच का कहना है कि लोग शारीरिक कष्टों की जैसे सर्पदंश, मानसिक बीमारियों, भूत-प्रेत और अन्य बीमारियों से ग्रसित हों, वो लोग इन बिमारियों से छुटकारा पाने के लिए यहां आते हैं. ठीक होकर अपने घरों को खुशी-खुशी लौट जाते हैं.