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यहां चर्म रोगों का इलाज करती हैं माता जोगणी, इस गुफा में समाए हैं कई रहस्य

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Published : Jan 19, 2020, 2:41 PM IST

हिमाचल के जिला मंडी स्थित करसोग क्षेत्र में जोगणी माता अपने चमत्कारों से लोगों के चर्म रोगों का अंत कर देती हैं. इसलिए इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से भी पुकारा जाता है. जानिए जोगणी माता को लेकर श्रद्धालुओं के बीच क्या मान्यताएं हैं.

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तीर्थस्थल की तस्वीर

शिमला : हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखता है और यहां की देव परंपराएं, रहस्य और पौराणिक कहानियां सबको अपनी ओर खींचती हैं. यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है और इसीलिए हिमाचल को देवभूमि भी कहा जाता है. ऐसी देवभूमि जहां लोग मानते हैं कि भगवान के दर पर हर मर्ज, हर दुख की दवा मिलती है. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता है.

मंडी के करसोग क्षेत्र के लोगों का दावा है कि माता जोगणी के दर पर हर बीमारी का इलाज होता है. जोगणी माता के मंदिर में ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिनको बड़े-बड़े अस्पतालों और डॉक्टरों के पास से निराशा हाथ लगती है. इसलिए स्थानीय लोग इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से जानते हैं. माता के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी बीमारी का इलाज ढूंढते हुए पहुंचते हैं. जोगणी माता से बीमारी को ठीक करने के लिए लोग मन्नतें मांगते हैं.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

मान्यता है कि माता के दर पर हर मर्ज का इलाज होता है और जब मरीज ठीक हो जाता है तो वो मंदिर में आटे और गुड़ से प्रसाद तैयार कर माता को भोग लगाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस दिन मंदिर के बाहर माता के भोग के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है तो वहां बड़ी तादाद में कौए पहुंच जाते हैं. मंदिर के पास कौओं की तादाद माता के प्रसन्न होने का प्रतीक माना जाता है. लोगों की मानें तो इस इलाके में दूर-दूर तक कौवो का कोई नामो निशान आम दिनों में नहीं दिखता, लेकिन माता को प्रसाद चढ़ाने वाले दिन कौवों की ये तादाद सबको हैरान कर देती है. यानि स्थानीय लोग इन कौवों को माता जोगणी देवी का दूत मानते हैं और माता को भोग लगाने के बाद कौवों को भी प्रसाद देते हैं.

ये भी पढ़ें: हिमाचल में मकर संक्रांति : एक ही बर्तन में बनी 1995 किलो खिचड़ी, कायम हुआ विश्व रिकॉर्ड

सदियों पहले इलाके में महामारी फैली थी. इस भयंकर बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इलाके के जाने-माने वैद्य भी बीमारी पर काबू पाने में नाकामयाब रहे. मान्यता है कि उस समय यहां माहूंनाग काकनो ने जोगणी माता को बीमारी पर काबू पाने के लिए प्रकट किया था. माता की चमत्कारिक शक्तियों से बीमारी कुछ ही दिनों में दूर हो गई थी, जिसके बाद नाग देवता ने माता जोगणी को अपने साथ रहने के लिए कहा, लेकिन जोगणी माता ने शराणीश्रेयो में छोटी सी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर के नीचे बनी छोटी सी गुफा को रहने के लिए चुना.

माता की यह गुफा सच में अपने भीतर कई रहस्यों को छिपाए बैठी है. लोगों की आस्था के आगे आज का विज्ञान भी अपने घुटने टेक देगा. यही वह कारण है, जो देवभूमि हिमाचल को सबसे अलग बनाता है.

शिमला : हिमाचल अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए दुनियाभर में अपनी अलग पहचान रखता है और यहां की देव परंपराएं, रहस्य और पौराणिक कहानियां सबको अपनी ओर खींचती हैं. यहां कण-कण में देवी-देवताओं का वास माना जाता है और इसीलिए हिमाचल को देवभूमि भी कहा जाता है. ऐसी देवभूमि जहां लोग मानते हैं कि भगवान के दर पर हर मर्ज, हर दुख की दवा मिलती है. ईटीवी भारत अपनी खास सीरीज 'रहस्य' में कुछ ऐसे ही अविश्वसनीय रहस्यों के बारे में आपको बताता है.

मंडी के करसोग क्षेत्र के लोगों का दावा है कि माता जोगणी के दर पर हर बीमारी का इलाज होता है. जोगणी माता के मंदिर में ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिनको बड़े-बड़े अस्पतालों और डॉक्टरों के पास से निराशा हाथ लगती है. इसलिए स्थानीय लोग इन्हें बीमारी का नाश करने वाली माता के नाम से जानते हैं. माता के दरबार में दूर-दूर से लोग अपनी बीमारी का इलाज ढूंढते हुए पहुंचते हैं. जोगणी माता से बीमारी को ठीक करने के लिए लोग मन्नतें मांगते हैं.

ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट.

मान्यता है कि माता के दर पर हर मर्ज का इलाज होता है और जब मरीज ठीक हो जाता है तो वो मंदिर में आटे और गुड़ से प्रसाद तैयार कर माता को भोग लगाता है. स्थानीय लोगों के मुताबिक जिस दिन मंदिर के बाहर माता के भोग के लिए प्रसाद तैयार किया जाता है तो वहां बड़ी तादाद में कौए पहुंच जाते हैं. मंदिर के पास कौओं की तादाद माता के प्रसन्न होने का प्रतीक माना जाता है. लोगों की मानें तो इस इलाके में दूर-दूर तक कौवो का कोई नामो निशान आम दिनों में नहीं दिखता, लेकिन माता को प्रसाद चढ़ाने वाले दिन कौवों की ये तादाद सबको हैरान कर देती है. यानि स्थानीय लोग इन कौवों को माता जोगणी देवी का दूत मानते हैं और माता को भोग लगाने के बाद कौवों को भी प्रसाद देते हैं.

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सदियों पहले इलाके में महामारी फैली थी. इस भयंकर बीमारी की चपेट में आने से हजारों लोगों की मौत हो गई थी. इलाके के जाने-माने वैद्य भी बीमारी पर काबू पाने में नाकामयाब रहे. मान्यता है कि उस समय यहां माहूंनाग काकनो ने जोगणी माता को बीमारी पर काबू पाने के लिए प्रकट किया था. माता की चमत्कारिक शक्तियों से बीमारी कुछ ही दिनों में दूर हो गई थी, जिसके बाद नाग देवता ने माता जोगणी को अपने साथ रहने के लिए कहा, लेकिन जोगणी माता ने शराणीश्रेयो में छोटी सी पहाड़ी पर एक बड़े पत्थर के नीचे बनी छोटी सी गुफा को रहने के लिए चुना.

माता की यह गुफा सच में अपने भीतर कई रहस्यों को छिपाए बैठी है. लोगों की आस्था के आगे आज का विज्ञान भी अपने घुटने टेक देगा. यही वह कारण है, जो देवभूमि हिमाचल को सबसे अलग बनाता है.

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