बलरामपुर : दिल्ली से गिरफ्तार किए गए आईएसआईएस आतंकी अबू यूसुफ को स्पेशल टीम द्वारा बलरामपुर लाने के बाद से लगातार खुलासे हो रहे हैं. इसी मामले को लेकर ईटीवी भारत ने अब तक संदिग्ध बताए जा रहे आतंकी की मां से बातचीत की, जिसमें उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि ये सब कैसे हो गया, मेरे बच्चे ने तो केवल गलती की है, कोई अपराध नहीं किया.
अबू यूसुफ की मां बोली...
संदिग्ध आतंकी अबू यूसुफ की मां ने अपने बेटे के बारे बताते हुए कहा कि वह अपनी शादी के बाद ही घर से अलग हो गया था. उन्होंने कहा कि उसे यहां के तमाम लोगों से कोई मतलब नहीं था. वह बस अपने आप से ही मतलब रखता था. वह अपने कमरे में सामान लाता था, वहीं दुकान खोलता था और आराम करता था. नमाज, कुरान की तिलावत करने के साथ ही यूसुफ अपने बीवी बच्चों में व्यस्त रहता था.
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ईटीवी भारत की टीम ने यूसुफ की बहन मुनीजा से भी बातचीत की. भाई के बारे में कई अहम खुलासे करते हुए मुनीजा ने बताया कि हम लोग पहले सुन्नी हुआ करते थे फिर बाद में देवबंदी हो गए और उसके बाद जब भाई सऊदी अरब से वापस आए तो हमने मुस्लिम धर्म का अहले हदीस फिरका अपना लिया.
मुनीजा ने बताया कि हम लोग पांच वक्त की नमाज अदा करते हैं, ज्यादा पर्दा करने के साथ ही घर से बाहर नहीं निकलते हैं. सामान्यत: खरीदारी के लिए नहीं जाते और केवल अल्लाह में अपना यकीन रखते हैं. हमारे भाई भी अल्लाह की बहुत इबादत करते थे और हर वक्त अल्लाह की हिजारत किया करते थे.
'भाई को नहीं थी दौलत की चाह'
आतंकी अबु युसूफ उर्फ मुस्तकीम के पैसे के सोर्स के बारे में मुनीजा ने बताया कि उन्हें पैसे से मोहब्बत नहीं थी. वह कभी नहीं चाहते थे कि उनके पास बहुत सारी दौलत हो जाए और वे बहुत बड़े आदमी बन जाएं. डिस्क की हड्डी खराब हो जाने की वजह से वे ज्यादातर बेड रेस्ट पर ही रहते थे. चार बच्चों और बीवी के भरण-पोषण के लिए जब कोई आमदनी नहीं थी तो मेरी भाभी की बहन घर के खर्च के लिए पैसा भेज दिया करती हैं. इसके साथ ही थोड़ा बहुत खर्च दुकान से भी चल जाता था. अबु युसूफ की बहन ने बताया कि मेरी भाभी की बहन सिलाई का काम करती हैं.
'पिता से अलग रहता था भाई'
अबु युसूफ की बहन मुनीजा ने बताया कि भाई और भाभी अब्बा से काफी समय पहले ही अलग हो गए थे. इनके भरण- पोषण के लिए मेरी भाभी की बहन पैसे भेजती थीं. फिर भी हम लोगों का परिवार बहुत ज्यादा अलग नहीं था. वह अपने पोर्शन में रहते थे और हम लोग अपने चाचू और अपने अब्बा के पोर्शन में रहा करते थे.
'भाभी ने मना किया पर वो नहीं मानें'
दहशतगर्दी के सामान के बारे में किए गए सवाल पर मुनीजा ने कहा कि भाई घर में काफी बड़े थे. इसलिए हम सभी लोग उनकी बहुत ही इज्जत किया करते थे. वह जब भी घर में आते थे तो हम लोग कभी भी उनका बैग या सामान चेक नहीं करते थे. वो जाकर अपनी बीवी को अपना बैग देते और वही उनका बैग रख दिया करती थीं. वह खाने-पीने का सामान लाते तो हम लोगों को भाभी दे देती थीं, लेकिन मेरी भाभी बताती हैं कि जब उन्हें इस तरह की कार्यशैली का एहसास हुआ तो उन्होंने भाई को काफी बार ऐसा न करने के लिये कहा.
मुनीजा ने बताया कि भाभी ने इसी ठंडक के मौसम के शुरुआत के पहले इस तरह की गतिविधियों में उन्हें संलिप्त होते देखा. तब उन्हें मना करने की कोशिश भी की. साथ ही बताया कि जब भाभी आयशा इस तरह के काम को करने से मना करती तो वह कहते थे कि मैं जो कर रहा हूं, मुझे करने दो. हम सबका अल्लाह ही मालिक है, वही हम सब का ख्याल रखेगा.
'इसलिए भाभी नहीं शेयर करती थीं ये बात'
यूसुफ की बहन मुनीजा बताती है कि भाभी आयशा जब भी मना करने की कोशिश करती तो वह उन्हें डांट दिया करते थे, क्योंकि वह बहुत अपने इरादों के बेहद पक्के रहने वाले इंसान हैं. भाई हमेशा भाभी को मना करते थे कि यह बात किसी को नहीं बतानी है. यही वजह है कि मेरी भाभी कैसे किसी से इस बात को शेयर कर सकती थीं.
नौ बजे पुलिस आई थी घर
पुलिस दिल्ली स्पेशल ब्रांच और एटीएस के बारे में बात करते हुए यूसुफ की बहन मुनीजा बताती है कि शनिवार सुबह तकरीबन नौ बजे पुलिस हमारे घर आई और रात तीन बजे तक अपनी तफ्तीश करती रही. इस दौरान घर के सभी सदस्यों से पूछताछ की गई और सभी कमरों की तलाशी भी ली गई, हम सभी से सवालात किए. वह बताती है कि मेरे भाई ने पुलिस से किसी तरह की कोई बात नहीं छिपाई, वे पुलिस के हर सवाल का जवाब सच्चाई के साथ देते रहे.
मुनीजा बताती है कि पुलिस की जांच में दो जैकेटें मिलीं, चार ठंडे तेल की बोतल में कुछ सामान भी भरा मिला. इसके साथ ही भाई के कमरे में एक सफेद रंग का बॉक्स बरामद किया गया है, जिसे यहां पर बाहर चौकी पर रखा गया था. इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी बहन मुनीजा अपने संदिग्ध आतंकी भाई यूसुफ के लिए दुआ कर रही है कि वह सही रास्ते पर आ जाए. यूसुफ की बहन मुनीजा का कहना है कि भाई को सजा देने के बाद माफ कर दिया जाए, जिससे वे फिर से अपने परिवार के साथ खुशी से रह सके.