नई दिल्ली : सोनिया गांधी कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी. यह जानकारी सूत्रों ने दी है. इससे पहले कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्लूसी) की बैठक में नए कांग्रेस अध्यक्ष के नाम को लेकर व्यापक चर्चा की गई. बैठक में कांग्रेस के आंतरिक कलह की बात भी सामने आई. हालांकि, बाद में वरिष्ठ कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद और कपिल सिब्बल ने इस बात का खंडन भी किया. सीडब्लूसी की बैठक में हुई चर्चा के बारे में केसी वेणुगोपाल प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जानकारी दी.
पार्टी की बैठक खत्म होने कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल, शशि थरूर, मनीष तिवारी और मुकुल वासनिक गुलाम नबी आजाद से उनके आवास पर मुलाकात की.
कांग्रेसी नेता केसी वेणुगोपाल राव ने कहा कि कार्य समिति ने यह तय किया है कि पार्टी के आंतरिक मुद्दों को मीडिया या सार्वजनिक मंचों पर जानबूझकर न उठाया जाए. पार्टी के किसी भी सदस्य को अगर कोई दिक्कत है तो वह पार्टी के मंच पर उठा सकता है.
उन्होंने कहा कि पार्टी के किसी भी सदस्य को पार्टी के नेतृत्व को कमजोर करने की अनुमति नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्रवासियों के संकट से निपटने पर सोनिया गांधी के कठिन सवालों ने केंद्र सरकार सरकार को शर्मसार कर दिया. उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि कांग्रेस शासित राज्यों ने महामारी से प्रभावी ढंग से निपटा जाए और लोगों के सभी वर्गों को स्वास्थ्य सेवा और उपचार उपलब्ध कराया जाए.
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सरकार के खिलाफ लड़ाई का नेतृत्व किया.
वहीं रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी ने एकमत से सोनिया गांधी से निवेदन किया है कि कोरोना काल में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अगले अधिवेशन के बुलाए जाने तक वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की अध्यक्षा के गरिमामय पद पर नेतृत्व करें.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी जी द्वारा संगठन महासचिव को लिखे गए पत्र एवं कुछ कांग्रेस नेताओं द्वारा कांग्रेस अध्यक्षा को लिखे गए पत्र का संज्ञान लिया.
सुरजेवाला ने कहा कि कांग्रेस कार्यसमिति ने इन पत्रों पर गहन विचार-विमर्श किया और विस्तृत चर्चा के बाद निम्नलिखित निष्कर्ष निकाले.
पहला
पिछले छह महीनों में देश पर आई विपत्तियां में (1) कोरोना महामारी है, जो हजारों जिंदगी ले चुकी है. (2) तेजी से गिरती अर्थव्यवस्था; (3) करोड़ों रोजगारों का नुकसान एवं बढ़ती गरीबी. (4) चीन द्वारा भारतीय सीमा में घुसपैठ व कब्जे के दुस्साहस का संकट है.
दूसरा
इस चुनौतीपूर्ण समय में सरकार की हर मुद्दे पर संपूर्ण विफलता को उजागर करने व विभाजनकारी राजनीति एवं भ्रामक प्रचार-प्रसार का पर्दाफाश करने वाली सबसे ताकतवार आवाज सोनिया गांधी और राहुल गांधी की है.
प्रवासी मजदूरों की समस्याओं पर सोनिया गांधी के सटीक सवालों ने भाजपा सरकार की जवाबदेही सुनिश्चित की. उन्होंने सुनिश्चित किया कि कांग्रेस-शासित राज्यों में कोरोना महामारी को प्रभावशाली तरीके से संभाला जाए तथा हर वर्ग को स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हो सकें.
सुरजेवाला ने सोनिया गांधी के नेतृत्व ने उच्च पदों पर बैठे लोगों को झकझोरा भी और सच्चाई का आईना भी दिखाया. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने भाजपा सरकार के खिलाफ जनता की लड़ाई का दृढ़ता से नेतृत्व किया. कांग्रेस के हर कार्यकर्ता की व्यापक राय व इच्छा के मद्देनजर CWC सोनिया गांधी एवं राहुल गांधी के हाथों व प्रयासों को हर संभव तरीके से मजबूत करने का संकल्प लेती है.
सीडब्लूसी की राय है कि पार्टी एवं इसके नेतृत्व को कमजोर करने की अनुमति किसी को नहीं दी जा सकती है. हर कांग्रेसी कार्यकर्ता एवं नेता की जिम्मेदारी है कि वह भारत के लोकतंत्र, बहुलतावाद व विविधता पर मोदी सरकार द्वारा किए जा रहे कुत्सित हमलों का डटकर मुकाबला करे.
तीसरा
हमारे इन दोनों नेताओं की बुलंद आवाज ने कांग्रेस के अंदर व बाहर, भारतीयों को देशवासियों के साथ खड़ा होकर भाजपा सरकार से जवाबदेही मांगने व सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया है, जबकि सरकार जनता को अपने खोखले व स्वनिर्मित मुद्दों में उलझाकर रखना चाहती है.
इन दोनों नेताओं के नेतृत्व में करोड़ों कांग्रेसी कार्यकर्ता व समर्थक बाहर निकल पड़े, ताकि मौजूदा भाजपा सरकार के अधीन शासन की भारी कमियों की भरपाई हो, जिनकी वजह से गरीब व मध्यम परिवार के लोगों को अपने अधिकारों व आजीविका से वंचित होना पड़ा.
चौथा
सीडब्लूसी ने संज्ञान लिया कि पार्टी के अंदरूनी मामलों पर विचार विमर्श मीडिया या सार्वजनिक पटल पर नहीं किया जा सकता. सीडब्लूसी ने सबको राय दी कि पार्टी से संबंधित मुद्दे पार्टी के मंच पर ही रखे जाएं, ताकि उपयुक्त अनुशासन भी रहे और संगठन की गरिमा भी.
पांचवां
सीडब्लूसी कांग्रेस अध्यक्षा को अधिकृत करती है कि उपरोक्त चुनौतियों के समाधान हेतु जरूरी संगठनात्मक बदलाव के कदम उठाएं.
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव-2019 में मिली पराजय के बाद राहुल गांधी ने गांधी परिवार से अलग पार्टी अध्यक्ष बनाने की बात कहते हुए इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति ने सोनिया गांधी को पार्टी का अंतरिम प्रमुख चुना था. इसके बाद से ही पिछले लगभग एक वर्ष से सोनिया कांग्रेस पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष के रूप में बनी हुई हैं.
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