भुवनेश्वर : जहां चाह है, वहां राह है! इस बात को भुवनेश्वर के कुमार बिस्वरंजन ने यूपीएससी की परीक्षा में 183वीं रैंक हासिल कर सच कर दिखाया है. कुमार ने बताया है कि अगर मजबूत इच्छा शक्ति और समर्पण हो तो हर बाधा को पार किया जा सकता है. अपने सपने को जिया जा सकता है.
यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले कुमार का यह तीसरा प्रयास था. उनकी मां मिनाती एक दर्जी हैं और पिता बेनुधर भोई राज्य राजधानी भुवनेश्वर में एक छोटा कपड़े का व्यवसाय करते हैं.
आईआईटी गोवाहाटी से पास आउट बिसवरंजन ने पिछले वर्ष भी परीक्षा में 391वीं रैंक हासिल की थी, लेकिन वह सेवा की प्राथमिकता से संतुष्ट नहीं थे और इसलिए उन्होंने और कड़ी मेहनत की और यह मुकाम हासिल किया.
यूपीएससी परीक्षाओं के लिए बिश्वराजन ने परीक्षा से पहले छह महीने तक लगातार प्रतिदिन 10 से 12 घंटे अध्ययन किया.
उनका परिवार शहर के निलाद्री विहार में किराए के एक मकान में रह रहता है. बिस्वरंजन के छोटे भाई ने भी हाल ही में अपना बीटेक पूरा किया.
बेटे की सफलता को लेकर पिता बेनुधर का कहना है कि हमारे परिवार की दशा और स्थिति को देखते हुए उनके (बिसरंजन) के लिए दृढ़ संकल्प और कड़ी मेहनत के बिना परीक्षा को क्रैक करना संभव नहीं था.
वहीं उनकी मां मिनाती का कहना है कि महामारी के इस समय के दौरान पूरा व्यवसाय बंद हो गया है और इससे परिवार के लिए वित्तीय संकट आया, लेकिन हमने कभी भी कुमार को हमारे आर्थिक संकट का एहसास नहीं होने दिया.
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अपनी सफलता के लेकर कुमार ने कहा कि यह लंबा सफर था, हालांकि यह कोई आसान परीक्षा नहीं थी. एक साल की कड़ी मेहनत का फल तब मिलता है, जब आप इसे पास करते हैं और यह आपको उपलब्धि की भावना प्रदान करती है.
उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान आप एक ही समय में कई बाधाओं से गुजरते हैं और आपके व्यक्तित्व के अंतर्गत कई सकारात्मक बदलाव होते हैं.