नई दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सोशल मीडिया के खातों को आधार के साथ जोड़ने को लेकर विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित याचिकाएं मंगलवार को अपने यहां स्थानांतरित कर लीं. अब इस मामले की सुनवाई उच्चतम न्यायालय जनवरी के अंतिम सप्ताह में करेगा.
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने फेसबुक, ट्विटर व ह्वाट्सऐप सरीखे सोशल मीडिया दिग्गजों द्वारा दाखिल याचिकाओं के मद्रास हाई कोर्ट एवं अन्य उच्च न्यायालयों से स्थानांतरण स्वीकार कर लिया. पीठ ने सभी पक्षों को निर्देश दिया कि इससे संबंधित सारे मामले पेश करे.
न्यायमूर्ति गुप्ता व न्यायमूर्ति बोस की पीठ ने यह भी कहा कि यह मामला प्रधान न्यायाधीश के समक्ष रखा जाएगा जो मामले की सुनवाई के लिए उचित बेंच का गठन करेंगे. इस मामले की सुनवाई जनवरी, 2020 के अंतिम सप्ताह में होगी, जब केंद्र बिचौलियों के लिए नये दिशानिर्देश तैयार करेगा।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को नियमों की अधिसूचना, जिसके तहत सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोका जा सके, जनवरी के पहले सप्ताह में जारी करने का निर्देश दिया है. साथ ही कहा कि ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि सोशल मीडिया का दुरुपयोग रोका जा सके और कूट संदेशों के लिए मध्यस्थों की जिम्मेदारी निर्धारित की जा सके.
मामले की सुनवाई के दौरान तमिलनाडु की ओर से अटार्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने विभिन्न उच्च न्यायालयों में इस विषय पर लंबित सारे मामले शीर्ष अदालत में स्थानांतरित करने की फेसबुक का विरोध छोड़ दिया. केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने स्पष्ट किया कि यह निजता में दखल देने का बहाना नहीं है, बल्कि यह राष्ट्र की सुरक्षा और सार्वभौमिकता का संरक्षण करने का प्रयास है.
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मेहता ने कुछ याचिकाकर्ताओं के इन आरोपों का खंडन किया है कि सरकार के विचाराधीन नियमों का मसौदा व्यक्तियों की निजता को कुचलने का प्रयास है. उनका कहना है ये नियम प्राधिकारियों को किसी विशेष संदेश या विवरण के मूल स्रोत का पता लगाने के लिए मध्यस्थों की जिम्मेदारी निर्धारित करने में मददगार होंगे.
न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता ने कहा कि अमेरिका जैसे देशों में बाहरी एजेंसी डिक्रिप्शन के लिए आती हैं और इसे रोकने के लिए ही सरकार को अपनी समिति बनानी है.
सोशल मीडिया की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि ऐसा कोई नियम नहीं है जो उन्हें चाभी प्रदान करने के लिए बाध्य करता है और उनके पास यह चाभी नहीं है कि वे इसे देंगे।