चेन्नई: मद्रास उच्च न्यायालय ने ऑनलाइन जालसाजी और साइबर अपराध का आसानी से पता लगाने के लिए सोशल मीडिया खातों को आधार कार्ड से जोड़ने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई 19 सितंबर तक स्थगित कर दी.
न्यायमूर्ति एस मणिकुमार और न्यायमूर्ति सुब्रह्मण्यम प्रसाद की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि वह सोशल मीडिया खातों को आधार से जोड़ने की याचिका पर सुनवाई के लिए इच्छुक नहीं है. सोशल मीडिया कंपनियों के सहयोग से ऑनलाइन अपराध पर लगाम लगाने के तरीके खोजने की कोशिश कर रही है.
पीठ ने कहा कि वह इस पर 19 सितंबर को सुनवाई करेगी. उच्चतम न्यायालय ने ऐसे सभी मामलों को शीर्ष न्यायालय में स्थानांतरित करने की फेसबुक की याचिका को 13 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया है.
सोशल मीडिया खातों को आधार से जोड़ने वाली याचिका सुनवाई के लिए बुधवार को पेश की गई.
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फेसबुक की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुनवाई करना उच्च न्यायालय के लिए समय बर्बाद करना होगा, क्योंकि सर्वोच्च न्यायालय ने कोई अंतिम आदेश पारित करने से रोका हुआ है.
महाधिवक्ता विजय नारायण ने इसका विरोध करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय के लिए इसमें कोई बाधा नहीं है, क्योंकि शीर्ष न्यायालय ने स्पष्ट किया है. उच्च न्यायालय सुनवाई कर सकता है, हालांकि कोई अंतिम आदेश पारित नहीं कर सकता.
इस पर पीठ ने कहा कि अगर उच्चतम न्यायालय ने ऐसे सभी मुदकमों को स्थानांतरित करने का फैसला किया है तो इस मामले में आगे सुनवाई व्यर्थ होगी.
गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने फेसबुक की याचिका पर मंगलवार को केंद्र, गूगल, व्हाट्सएप, टि्वटर, यूट्यूब और अन्यों से जवाब मांगा. फेसबुक ने मांग की है कि अलग-अलग उच्च न्यायालयों में सोशल मीडिया खातों को आधार से जोड़ने से संबंधित लंबित मुकदमों को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित किया जाए.