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हिम तेंदुओं की संख्या एक दशक में दोगुना करने का लक्ष्य : जावड़ेकर - हिम तेंदुओं की संख्या

हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को हिम तेंदुओं के संरक्षण के लिए कार्यक्रम की शुरुआत की. जानें इस दौरान बाघों की संख्या को लेकर जावड़ेकर ने क्या कुछ कहा...

केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावडेकर
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Published : Oct 23, 2019, 3:26 PM IST

Updated : Oct 23, 2019, 4:21 PM IST

नई दिल्ली : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हिम तेंदुआ दिवस के अवसर पर जीएसएलईपी कार्यक्रम की शुरुआत की.

दरअसल बाघ संरक्षण अभियान की सफलता की तर्ज पर हिम तेंदुओं की संख्या बढ़ाने के लिए नेपाल, मंगोलिया और रूस सहित अन्य देशों के साथ मिल कर अभियान की शुरुआत की गई है.

बाघों की संख्या को दोगुना करने की प्रतिबद्धता
इसी अभियान के तहत केंद्रीय मंत्री ने अगले एक दशक में बाघों की संख्या को दोगुना तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.

गौरतलब है कि जावड़ेकर ने बुधवार को हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर बफीर्ले पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस तेंदुए के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए वैश्विक स्तर पर साझा कार्यक्रम ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड ईको सिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (जीएसएलईपी) की शुरुआत की.

भारत ने किया बाघों को गणना में शामिल
इस दौरान उन्होंने कहा कि 20 साल पहले बाघ की गणना करना एक कठिन काम माना जाता था, लेकिन भारत ने इसे संभव कर दिखाते हुए देश में प्रत्येक बाघ को गणना में शामिल कर लिया है.

बाघों की संख्या 2976
इस साल भारत में बाघों की संख्या 2976 हो गयी है. यह दुनिया में बाघों की कुल आबादी का 77 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा कि हिम तेंदुआ पाये जाने वाले क्षेत्रों में शामिल भारत, नेपाल, रूस, मंगोलिया और किर्गिस्तान सहित अन्य देशों की साझा पहल पर हिम तेंदुओं की गणना के लिए प्रोटोकॉल शुरू किया गया है.

जावड़ेकर ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि बाघ संरक्षण की तर्ज पर स्नो लेपर्ड रेंज के हम सभी सहयोगी देश मिलकर अगले एक दशक में हिम तेंदुओं की संख्या को दोगुना करने में सफल होंगे.'

यह भी पढ़ें : बंगाल में कार से घायल हुआ तेंदुआ, एक शख्स पर किया जानलेवा हमला

सबसे ज्यादा हिम तेंदुए चीन और मंगोलिया में
उल्लेखनीय है कि चीन और मंगोलिया क्षेत्र में सबसे ज्यादा हिम तेंदुए पाये जाते हैं. भारत में हिमालय क्षेत्र के चार राज्यों - हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और केन्द्र शासित क्षेत्र जम्मू एवं लद्दाख में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 के बीच है.

जावड़ेकर ने इनकी गणना के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि जीव जंतुओं की वास्तविक संख्या का पता चलने पर इसमें बढ़ोतरी की स्वत:स्फूर्त लालसा मन में पैदा होती है. बाघों की संख्या को दो गुना करने में भी यही सोच मददगार बनी.

उन्होंने इसी तर्ज पर हिम तेंदुओं के संरक्षण की दिशा में इनकी वास्तविक संख्या का पता करने को पहला और अनिवार्य कदम बताया.

हिम तेंदुओं की भूमिका अहम
जावड़ेकर ने हिमालय क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावास को बेहतर बनाने में हिम तेंदुओं की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि हिम तेंदुआ संरक्षण कार्यक्रम की दो दिवसीय बैठक में इससे जुड़े सभी पहलुओं पर आधारित प्रोटोकॉल को लागू करने की कार्ययोजना तय की जाएगी.

नई दिल्ली : पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हिम तेंदुआ दिवस के अवसर पर जीएसएलईपी कार्यक्रम की शुरुआत की.

दरअसल बाघ संरक्षण अभियान की सफलता की तर्ज पर हिम तेंदुओं की संख्या बढ़ाने के लिए नेपाल, मंगोलिया और रूस सहित अन्य देशों के साथ मिल कर अभियान की शुरुआत की गई है.

बाघों की संख्या को दोगुना करने की प्रतिबद्धता
इसी अभियान के तहत केंद्रीय मंत्री ने अगले एक दशक में बाघों की संख्या को दोगुना तक बढ़ाने की प्रतिबद्धता व्यक्त की.

गौरतलब है कि जावड़ेकर ने बुधवार को हिम तेंदुआ दिवस के मौके पर बफीर्ले पर्वतीय क्षेत्रों में पाये जाने वाले इस तेंदुए के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए वैश्विक स्तर पर साझा कार्यक्रम ग्लोबल स्नो लेपर्ड एंड ईको सिस्टम प्रोटेक्शन प्रोग्राम (जीएसएलईपी) की शुरुआत की.

भारत ने किया बाघों को गणना में शामिल
इस दौरान उन्होंने कहा कि 20 साल पहले बाघ की गणना करना एक कठिन काम माना जाता था, लेकिन भारत ने इसे संभव कर दिखाते हुए देश में प्रत्येक बाघ को गणना में शामिल कर लिया है.

बाघों की संख्या 2976
इस साल भारत में बाघों की संख्या 2976 हो गयी है. यह दुनिया में बाघों की कुल आबादी का 77 प्रतिशत है.

उन्होंने कहा कि हिम तेंदुआ पाये जाने वाले क्षेत्रों में शामिल भारत, नेपाल, रूस, मंगोलिया और किर्गिस्तान सहित अन्य देशों की साझा पहल पर हिम तेंदुओं की गणना के लिए प्रोटोकॉल शुरू किया गया है.

जावड़ेकर ने कहा, 'मुझे विश्वास है कि बाघ संरक्षण की तर्ज पर स्नो लेपर्ड रेंज के हम सभी सहयोगी देश मिलकर अगले एक दशक में हिम तेंदुओं की संख्या को दोगुना करने में सफल होंगे.'

यह भी पढ़ें : बंगाल में कार से घायल हुआ तेंदुआ, एक शख्स पर किया जानलेवा हमला

सबसे ज्यादा हिम तेंदुए चीन और मंगोलिया में
उल्लेखनीय है कि चीन और मंगोलिया क्षेत्र में सबसे ज्यादा हिम तेंदुए पाये जाते हैं. भारत में हिमालय क्षेत्र के चार राज्यों - हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश और केन्द्र शासित क्षेत्र जम्मू एवं लद्दाख में हिम तेंदुओं की संख्या 400 से 700 के बीच है.

जावड़ेकर ने इनकी गणना के महत्व का जिक्र करते हुए कहा कि जीव जंतुओं की वास्तविक संख्या का पता चलने पर इसमें बढ़ोतरी की स्वत:स्फूर्त लालसा मन में पैदा होती है. बाघों की संख्या को दो गुना करने में भी यही सोच मददगार बनी.

उन्होंने इसी तर्ज पर हिम तेंदुओं के संरक्षण की दिशा में इनकी वास्तविक संख्या का पता करने को पहला और अनिवार्य कदम बताया.

हिम तेंदुओं की भूमिका अहम
जावड़ेकर ने हिमालय क्षेत्र के प्राकृतिक पर्यावास को बेहतर बनाने में हिम तेंदुओं की अहम भूमिका का जिक्र करते हुए कहा कि हिम तेंदुआ संरक्षण कार्यक्रम की दो दिवसीय बैठक में इससे जुड़े सभी पहलुओं पर आधारित प्रोटोकॉल को लागू करने की कार्ययोजना तय की जाएगी.

Intro:Feed has been sent through camera. Kindly attach the file. Slug: GSLEP meeting

New Delhi: The Union Minister of Environment, Prakash Javadekar, on Wednesday, said that a protocol has been decided among the 12 partner countries of Global Smow Leopard and Ecosystem Protection (GSLEP), over the roadmap for enumeration of snow leopards.

He also said that once the enumeration has been completed, it is planned to double the number of snow leopards in the world within a decade.


Body:The Union Minister addressed the inaugural session of 4th Steering committee meeting of GSLEP. While addressing the event, he gave example of India's achievement of contributing 77 percent of the world's tiger population in the world.

He also said that India will have a separate programme on snow leopards to include green pathways in the Himalayan region where they create an ecosystem and also assist in livelihood.

GSLEP seeks to address high mountain development issues using the conservation of endangered snow leopards as a flagship, under which the Bishek Declaration 2017 was adopted by 12 range countries during the International Snow Leopard and Ecosystem Conservation Forum in August 2017.

"Discissions, deliberations and cooperation will help the countries to move ahead on nature conservation. The countries then need to think about capacity building in nature issues and conservation of snow leopards," he added.


Conclusion:The 4th Steering Committee meeting of GSLEP program has been organized in New Delhi, in which an update about conservation, sustainable economic development and capacity building efforts made so far in snow leopard habitats in each country will be discussed.

The 12 countries which will be participating in this meeting includes, China, Russia, Afganistan, Tajikistan, Mongolia, Pakistan, Kyrgyzstan, Nepal, Bhutan, Uzbekistan and Kazakhstan.
Last Updated : Oct 23, 2019, 4:21 PM IST
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