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असम : बागजान में अब पानी से उठता है धुआं और आसमान में आग की लपटें

असम बागजान में दुर्घटना 27 मई को हुई थी, जब अहमदाबाद स्थित निजी फर्म 'जॉन एनर्जी' के श्रमिकों ने बागजान में तेल कुआं नंबर 5 पर काम शुरू किया. कुछ ही देर में तेल के कुएं से प्रोपेन, मीथेन, और प्रोपलीन सहित अन्य गैस लीक होने लगीं. गैस लीक होने के बाद वहां सफेद धुएं का गुब्बारा उठने लगा और लड़ाकू विमान की तरह एक गगनभेदी ध्वनि की आवाज सुनाई दी. आवाज के कारण लोग रात में सो नहीं पा रहे थे. असम में तेल के कुएं में लगी आग पर संजीब कुमार बरुआ की विशेष रिपोर्ट...

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Published : Jun 11, 2020, 10:05 PM IST

Updated : Jun 11, 2020, 10:31 PM IST

हैदराबाद : रॉक ग्रुप 'डीप पर्पल' बहुत खुश होता होगा कि कैसे उसका एक लोकप्रिय असंभव-सा गीत को शाब्दिक अभिव्यक्ति मिल गई, जब 'असम बागजान' में पानी से धुआं उठ रहा है और आकाश में भारी आग की लपटें उठ रही हैं.

'कभी मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन बागजान इस तरह दिखेगा,' अनिल उरांव ने कहा, जिसका घर ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) बागजान रिंग से लगभग दो किमी दूर है. यहां मंगलवार को आग लगी थी. कंडेनसेट से आकाश में आग की लपटें उठ रही हैं. आग के फैलने के कारण आसपास के हरे-भरे क्षेत्र में भी आग लग गई. इस कारण जल निकायों से धुआं उठता है.

केले के पेड़, 'तमुल' (सुपारी), झाड़ियां, फल-फूल वाले पेड़ और आसपास की कृषि भूमि काली पड़ गई है. कंडेनसेट, गैस और तेल बेहद ज्वलनशील होते हैं और लगभग 47 डिग्री तापमान पर आग पकड़ लेते हैं.

असम बागजान में दुर्घटना 27 मई को हुई थी, जब अहमदाबाद स्थित निजी फर्म 'जॉन एनर्जी' के श्रमिकों ने बागजान में तेल कुआं नंबर 5 पर काम शुरू किया. कुछ ही देर में तेल के कुएं से प्रोपेन, मीथेन, और प्रोपलीन सहित अन्य गैस लीक होने लगीं. गैस लीक होने के बाद वहां सफेद धुएं का गुब्बारा उठने लगा और लड़ाकू विमान की तरह एक गगनभेदी ध्वनि की आवाज सुनाई दी.

'वर्क ओवर' तेल या गैस कुओं में प्रमुख रखरखाव के लिए गतिविधि है. दरअसल 'ब्लो आउट' में कुएं से तेल या गैस का अनियंत्रित उछाल होता है.

अब तक दो ओआईएल दमकलकर्मियों की मौत हो गई है. लगभग छह घायल हो गए हैं और 8,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. 12 रहवासी क्षेत्र को खाली कर दिया गया है, जबकि संपत्ति, वनस्पति और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है.

'मगुरी मोटापुंग' वेटलैंड और डिब्रू-साइखोवा नेशनल पार्क के ठीक बगल में स्थित बागजन के निवासी इस समय खौफ में होंगे. उनके पैरों के नीचे लगभग 4,500 पीएसआई (प्रति वर्ग इंच पाउंड) में प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार है. इस क्षेत्र में सबसे अधिक खतरा है. बता दें कि चौपहिया वाहन में लगभग 33 पीएसआई होता है.

कुछ वर्ष पहले यह उल्फा उग्रवादियों के स्वतंत्र रूप से खतरनाक हथियारों ले जाने वाले गढ़ में आता था.

'संचालन प्रक्रिया बहुत अच्छी तरह से की जाती है. ऐसी घटनाएं बहुत दुर्लभ होती है और जब भी ऐसा होता है तो ज्यादातर समय मानवीय भूल होती है. मानवीय त्रुटि तब होती है जब काम करने के तरीके में खामियां आ जाती है. सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है,' एक विशेषज्ञ ने बताया. वह ओआईएल के साथ बागजान गैस क्षेत्र में काम कर चुका है.

'यह अब एक लंबी प्रक्रिया होगी. धांधली को दूर करना होगा. क्रेन जैसे ऑपरेटिंग उपकरण को उचित इन्सुलेशन के बाद लाना चाहिए. आसपास के क्षेत्र में एक जल निकाय खोदा जाना है. इसमें एक महीना या उससे भी अधिक का समय लग सकता है.' विशेषज्ञ ने कहा. इन्होंने 'वर्क ओवर’ ऑपरेशंस पर 32 वर्षों तक काम किया है.

हैदराबाद : रॉक ग्रुप 'डीप पर्पल' बहुत खुश होता होगा कि कैसे उसका एक लोकप्रिय असंभव-सा गीत को शाब्दिक अभिव्यक्ति मिल गई, जब 'असम बागजान' में पानी से धुआं उठ रहा है और आकाश में भारी आग की लपटें उठ रही हैं.

'कभी मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि एक दिन बागजान इस तरह दिखेगा,' अनिल उरांव ने कहा, जिसका घर ऑयल इंडिया लिमिटेड (OIL) बागजान रिंग से लगभग दो किमी दूर है. यहां मंगलवार को आग लगी थी. कंडेनसेट से आकाश में आग की लपटें उठ रही हैं. आग के फैलने के कारण आसपास के हरे-भरे क्षेत्र में भी आग लग गई. इस कारण जल निकायों से धुआं उठता है.

केले के पेड़, 'तमुल' (सुपारी), झाड़ियां, फल-फूल वाले पेड़ और आसपास की कृषि भूमि काली पड़ गई है. कंडेनसेट, गैस और तेल बेहद ज्वलनशील होते हैं और लगभग 47 डिग्री तापमान पर आग पकड़ लेते हैं.

असम बागजान में दुर्घटना 27 मई को हुई थी, जब अहमदाबाद स्थित निजी फर्म 'जॉन एनर्जी' के श्रमिकों ने बागजान में तेल कुआं नंबर 5 पर काम शुरू किया. कुछ ही देर में तेल के कुएं से प्रोपेन, मीथेन, और प्रोपलीन सहित अन्य गैस लीक होने लगीं. गैस लीक होने के बाद वहां सफेद धुएं का गुब्बारा उठने लगा और लड़ाकू विमान की तरह एक गगनभेदी ध्वनि की आवाज सुनाई दी.

'वर्क ओवर' तेल या गैस कुओं में प्रमुख रखरखाव के लिए गतिविधि है. दरअसल 'ब्लो आउट' में कुएं से तेल या गैस का अनियंत्रित उछाल होता है.

अब तक दो ओआईएल दमकलकर्मियों की मौत हो गई है. लगभग छह घायल हो गए हैं और 8,000 लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है. 12 रहवासी क्षेत्र को खाली कर दिया गया है, जबकि संपत्ति, वनस्पति और पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है.

'मगुरी मोटापुंग' वेटलैंड और डिब्रू-साइखोवा नेशनल पार्क के ठीक बगल में स्थित बागजन के निवासी इस समय खौफ में होंगे. उनके पैरों के नीचे लगभग 4,500 पीएसआई (प्रति वर्ग इंच पाउंड) में प्राकृतिक गैस का विशाल भंडार है. इस क्षेत्र में सबसे अधिक खतरा है. बता दें कि चौपहिया वाहन में लगभग 33 पीएसआई होता है.

कुछ वर्ष पहले यह उल्फा उग्रवादियों के स्वतंत्र रूप से खतरनाक हथियारों ले जाने वाले गढ़ में आता था.

'संचालन प्रक्रिया बहुत अच्छी तरह से की जाती है. ऐसी घटनाएं बहुत दुर्लभ होती है और जब भी ऐसा होता है तो ज्यादातर समय मानवीय भूल होती है. मानवीय त्रुटि तब होती है जब काम करने के तरीके में खामियां आ जाती है. सुरक्षा प्रोटोकॉल का पालन नहीं किया जाता है,' एक विशेषज्ञ ने बताया. वह ओआईएल के साथ बागजान गैस क्षेत्र में काम कर चुका है.

'यह अब एक लंबी प्रक्रिया होगी. धांधली को दूर करना होगा. क्रेन जैसे ऑपरेटिंग उपकरण को उचित इन्सुलेशन के बाद लाना चाहिए. आसपास के क्षेत्र में एक जल निकाय खोदा जाना है. इसमें एक महीना या उससे भी अधिक का समय लग सकता है.' विशेषज्ञ ने कहा. इन्होंने 'वर्क ओवर’ ऑपरेशंस पर 32 वर्षों तक काम किया है.

Last Updated : Jun 11, 2020, 10:31 PM IST
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