नई दिल्ली: माकपा के महासचिव सीताराम येचुरी और भाकपा के महासचिव डी राजा को शुक्रवार को जम्मू कश्मीर जाने की अनुमति नहीं दिये जाने के बाद वामदलों ने शुक्रवार को केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि अगर स्थिति सामान्य थी तो दोनों नेताओं को श्रीनगर हवाईअड्डे पर क्यों रोका गया.
वापस भेजे जाने के बाद संवाददातओं से बात करते हुए येचुरी ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के प्रसिद्ध बयान को याद किया जिसमें उन्होंने- 'जम्हूरियत, इंसानियत, कश्मीरियत' का जिक्र किया था और कहा कि यह विडंबना है कि भाजपा घाटी की समस्या के समाधान के लिये अपने ही नेता की सलाह भूल गई.
येचुरी ने पूछा, 'हम न्यायिक और पुलिस हिरासत में थे. उनके पास हमारे नाम का आदेश था जो उन्होंने मुझे दिखाया और कहा कि हमें उसी विमान से वापस जाना होगा जिससे हम आए हैं. हमने इससे इनकार कर दिया और चार घंटे तक वहां बैठे रहे. हमनें उन्हें अपने दौरे के बारे में पूर्व सूचना दी थी. हमें हिरासत में लेने का कोई कारण नहीं था. जम्मू-कश्मीर का असली सच सामने नहीं आया. अगर सबकुछ ठीक है तो फिर हमें क्यों रोका गया?'
येचुरी और राजा ने राज्यपाल सत्यपाल मलिक को बृहस्पतिवार को पत्र लिखकर अपनी यात्रा की सूचना दी थी और उनसे अनुरोध किया था कि उन्हें प्रवेश की अनुमति दी जाए.
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येचुरी ने कहा था, 'हम दोनों ने जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल को पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि हमारी यात्रा में कोई बाधा नहीं आनी चाहिए... इसके बावजूद हमें हिरासत में ले लिया गया. मैं अपने बीमार सहकर्मी और यहां मौजूद हमारे सहयोगियों से मिलना चाहता था.'
दोनों नेताओं ने कहा कि कश्मीर भारत का हिस्सा है और कश्मीरी भी. एक के बिना दूसरा संभव नहीं है.
नेताओं ने कहा कि जैसे ही वे हवाईअड्डे पर पहुंचे उनके बैग उनसे ले लिये गए और उन्हें एक कमरे में ले जाया गया जहां उनसे उसी विमान से वापस दिल्ली लौट जाने के लिये कहा गया.
उनके इनकार करने पर बताया गया कि एक मजिस्ट्रेट को बुलाया गया है जिसने उन्हें हिरासत में लेने और हवाईअड्डे से हटाने का आदेश दिया. आदेश में यह भी कहा गया कि उन्हें पुलिसकर्मियों के साथ भी शहर में नहीं भेजा जा सकता क्योंकि 'कानून-व्यवस्था की स्थिति' बन सकती है.
इससे पहले कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद को बृहस्पतिवार को हिरासत में लिया गया था और श्रीनगर हवाईअड्डे से दिल्ली वापस भेज दिया गया था.