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17वें करमापा के सिक्किम दौरे को लेकर सीएम तमांग ने पीएम को लिखा पत्र

सिक्किम के मुख्यमंत्री ने 17 वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे के सिक्किम दौरे को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने पत्र में कहा कि सिक्किम के लोग 17 वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे के दर्शन करना चाहते हैं सभी चाहते हैं कि वे सिक्किम की यात्रा करें.

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करमापा
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Published : Aug 13, 2020, 8:45 AM IST

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे की भारत वापसी के लिए सुविधा देने का अनुरोध किया है.

तिब्बती बौद्ध धर्म के 900 साल पुराने कर्म काग्यू स्कूल के प्रमुख 35 वर्षीय करमापा 2017 से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते अमेरिका में हैं.

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सीएम तमांग ने पीएम को लिखा पत्र

भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जिसके बाद भारत-चीन के संबंध खराब होते चले गए. भारत ने चीनी समान पर प्रतिबंध लगा दिया, हांगकांग में पारित सुरक्षा कानून के खिलाफ भी आवाज उठाई. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने पीएम मोदी को 18 जुलाई को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा, सिक्किम के लोग 17 वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे के दर्शन करना चाहते हैं सभी चाहते हैं कि वे सिक्किम की यात्रा करें.

17 वें करमापा को तिब्बत से भागने के बाद सन् 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत में शरण दी थी. भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा चीनी जासूस होने के आरोपों के बाद उन पर लगाए गए प्रतिबंधों की अवधि खत्म होने के बाद करमापा लामा को सिक्किम की यात्रा सहित देश भर में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई थी. हालांकि, उनकी आधिकारिक गद्दी सिक्किम के रुमटेक मठ में है, जहां केंद्र सरकार ने उन्हें जाने की अनुमति नहीं दी है.

माना जा रहा है कि दलाई लामा के बाद करमापा लामा ही है जो तिब्बती प्रवासी लोगों पर प्रभाव डालेंगे. पिछले तीन वर्षों में करमापा ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ-साथ चीनी विरोधियों के साथ मंच साझा करके दलाई लामा का समर्थन किया है. निर्वासित तिब्बती सरकार ने सार्वजनिक रूप से 17 वें करमापा पर अपने विश्वास को स्वीकार किया है.

हालांकि 2018 के बाद से उनकी वापसी पर विचार-विमर्श चल रहा था. वे नवंबर 2018 में धर्मशाला में तिब्बती बौद्ध धर्म पर आयोजित 13 वें धार्मिक सम्मेलन के लिए आने वाले थे. बाद में सम्मेलन को निंगमपा परंपरा के सातवें प्रमुख, कथोक गेट्स रिनपोछे की मृत्यु के कारण स्थगित कर दिया गया था. भारतीय अधिकारियों का कहना था कि करमापा लामा ने वापसी के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए हैं.

पढ़ें :- लद्दाख-सिक्किम में भारतीय व चीनी सेना के बीच टकराव, दोनों देश खामोश क्यों...

इससे पहले एक वेबिनार को संबोधित करते हुए आरएडब्ल्यू के पूर्व विशेष सचिव अमिताभ माथुर, जिन्होंने तिब्बती मामलों पर भारत सरकार के सलाहकार के रूप में कार्य किया है, ने कहा कि करमापा लामा ही है जो तिब्बती प्रवासी लोगों पर प्रभाव डालेंगे वे दलाई लामा की पसंद हैं. यह तिब्बतियों को आश्वस्त करेगा.

भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में तिब्बत के बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में स्वतंत्र रूप से लौटने और रहने के लिए करमापा लामा के लिए एक अनुकूल माहौल की आवश्यकता है.

जानकारी के अनुसार कैबिनेट मंत्री सोनम लामा ने 17 वें करमापा को सिक्किम का दौरा करने के लिए एक निमंत्रण पत्र भेजा है.

(स्मिता शर्मा, -वरिष्ठ पत्रकार)

नई दिल्ली : वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन के साथ चल रहे तनाव के बीच, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे की भारत वापसी के लिए सुविधा देने का अनुरोध किया है.

तिब्बती बौद्ध धर्म के 900 साल पुराने कर्म काग्यू स्कूल के प्रमुख 35 वर्षीय करमापा 2017 से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के चलते अमेरिका में हैं.

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सीएम तमांग ने पीएम को लिखा पत्र

भारत-चीन के बीच गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प में भारत के 20 जवान शहीद हुए थे जिसके बाद भारत-चीन के संबंध खराब होते चले गए. भारत ने चीनी समान पर प्रतिबंध लगा दिया, हांगकांग में पारित सुरक्षा कानून के खिलाफ भी आवाज उठाई. मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने पीएम मोदी को 18 जुलाई को पत्र लिखा जिसमें उन्होंने कहा, सिक्किम के लोग 17 वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे के दर्शन करना चाहते हैं सभी चाहते हैं कि वे सिक्किम की यात्रा करें.

17 वें करमापा को तिब्बत से भागने के बाद सन् 2000 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भारत में शरण दी थी. भारतीय खुफिया एजेंसियों द्वारा चीनी जासूस होने के आरोपों के बाद उन पर लगाए गए प्रतिबंधों की अवधि खत्म होने के बाद करमापा लामा को सिक्किम की यात्रा सहित देश भर में स्वतंत्र रूप से घूमने की अनुमति दी गई थी. हालांकि, उनकी आधिकारिक गद्दी सिक्किम के रुमटेक मठ में है, जहां केंद्र सरकार ने उन्हें जाने की अनुमति नहीं दी है.

माना जा रहा है कि दलाई लामा के बाद करमापा लामा ही है जो तिब्बती प्रवासी लोगों पर प्रभाव डालेंगे. पिछले तीन वर्षों में करमापा ने केंद्रीय तिब्बती प्रशासन के प्रतिनिधियों के साथ-साथ चीनी विरोधियों के साथ मंच साझा करके दलाई लामा का समर्थन किया है. निर्वासित तिब्बती सरकार ने सार्वजनिक रूप से 17 वें करमापा पर अपने विश्वास को स्वीकार किया है.

हालांकि 2018 के बाद से उनकी वापसी पर विचार-विमर्श चल रहा था. वे नवंबर 2018 में धर्मशाला में तिब्बती बौद्ध धर्म पर आयोजित 13 वें धार्मिक सम्मेलन के लिए आने वाले थे. बाद में सम्मेलन को निंगमपा परंपरा के सातवें प्रमुख, कथोक गेट्स रिनपोछे की मृत्यु के कारण स्थगित कर दिया गया था. भारतीय अधिकारियों का कहना था कि करमापा लामा ने वापसी के लिए आवश्यक दस्तावेज नहीं दिए हैं.

पढ़ें :- लद्दाख-सिक्किम में भारतीय व चीनी सेना के बीच टकराव, दोनों देश खामोश क्यों...

इससे पहले एक वेबिनार को संबोधित करते हुए आरएडब्ल्यू के पूर्व विशेष सचिव अमिताभ माथुर, जिन्होंने तिब्बती मामलों पर भारत सरकार के सलाहकार के रूप में कार्य किया है, ने कहा कि करमापा लामा ही है जो तिब्बती प्रवासी लोगों पर प्रभाव डालेंगे वे दलाई लामा की पसंद हैं. यह तिब्बतियों को आश्वस्त करेगा.

भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में तिब्बत के बारे में आगे बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारत में स्वतंत्र रूप से लौटने और रहने के लिए करमापा लामा के लिए एक अनुकूल माहौल की आवश्यकता है.

जानकारी के अनुसार कैबिनेट मंत्री सोनम लामा ने 17 वें करमापा को सिक्किम का दौरा करने के लिए एक निमंत्रण पत्र भेजा है.

(स्मिता शर्मा, -वरिष्ठ पत्रकार)

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