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जानें क्या होता है प्रश्नकाल और क्या है इसका महत्व

संसद के मानसून सत्र में प्रश्नकाल नहीं होगा. इस दौरान न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे. यह निर्णय कोरोना महामारी के मद्देनजर लिया गया है. इसके अलावा कोरोना महामारी के कारण शून्य काल को भी सीमित कर दिया है.

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Published : Sep 3, 2020, 7:12 PM IST

हैदराबाद : संसद के मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे. लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है. कोरोना महामारी के कारण शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है.

मानसून सत्र में प्रश्नकाल खत्म करने पर भारी हंगामा हुआ है. इसके बाद सरकार ने कहा कि इस दौरान लिखित प्रश्न पूछे जा सकते हैं.

प्रश्नों के प्रकार-

प्रश्नकाल : संसद के प्रत्येक सत्र का पहला घंटा आम तौर पर प्रश्नों के उत्तर देने के लिए निर्धारित होता है.

तारांकित प्रश्न : ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की अनुमति होती है.

अतारांकित प्रश्न : ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा लिखित रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलता है.

अल्पसूचना प्रश्न : ऐसे प्रश्नों का संबंध किसी लोक महत्त्व के तात्कालिक विषय से होता है, इनका उत्तर भी मौखिक रूप से दिया जाता है एवं इस पर पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं.

निजी सदस्यों से पूछा जाने वाला प्रश्न : ऐसे प्रश्न उन सदस्यों से पूछे जाते हैं, जो मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं होते, किंतु किसी विधेयक, संकल्प या सदन के किसी विशेष कार्य के लिए उत्तरदायी होते हैं.

प्रश्नकाल का महत्व :

आमतौर पर संसद के सत्र में पहला घंटा प्रश्न पूछने के लिए निर्धारित होता है. इस घंटे को हम प्रश्नकाल के नाम से जानते हैं. संसद की कार्यवाही में इसका विशेष महत्व होता है.

प्रश्न पूछना सदस्यों का एक अंतर्निहित और अपरिवर्तित संसदीय अधिकार है. यह प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा या राज्यसभा सदस्य प्रशासन और सरकारी गतिविधि के हर पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं.

प्रश्नकाल के दौरान राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में सरकार की नीतियों पर जोर दिया जाता है, क्योंकि सदस्य इस दौरान प्रासंगिक जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं.

सरकार जैसा कि प्रश्नकाल के दौरान इसका परीक्षण किया गया था, और हर मंत्री, जिसके पास सवालों के जवाब देने के लिए है, को अपने और प्रशासन के चूक और कमीशन के कार्यों के लिए जवाब देना है.

प्रश्नकाल के जरिए केंद्र सरकार राष्ट्र की समस्या या कहें तो नब्ज को महसूस कर सकती है और उसके अनुसार अपनी नीतियों और कार्यों को अनुकूलित कर सकती है.

प्रश्नकाल के जरिए मंत्रालयों की नीतियां और प्रशासन की लोकप्रिय प्रतिक्रिया का अनुमान लगाया जा सकता है.

प्रश्नकाल के माध्यम से कई खामियां मंत्रियों की नजर में आती हैं, अक्सर इन खामियों पर किसी की नजर नहीं जाती है.

प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का एक दिलचस्प हिस्सा है. हालांकि एक प्रश्न मुख्य रूप से जानकारी मांगता है और किसी विशेष विषय पर तथ्यों को जानने की कोशिश करता है, लेकिन सदस्यों और मंत्रियों से जवाब मांगने वाले सदस्यों के बीच कई बार जीवंत और त्वरित प्रतिक्रिया होती है.

हैदराबाद : संसद के मानसून सत्र में न तो प्रश्न काल होगा और न ही गैर सरकारी विधेयक लाए जा सकेंगे. लोकसभा और राज्यसभा सचिवालय ने यह फैसला लिया है. कोरोना महामारी के कारण शून्य काल को भी सीमित कर दिया गया है.

मानसून सत्र में प्रश्नकाल खत्म करने पर भारी हंगामा हुआ है. इसके बाद सरकार ने कहा कि इस दौरान लिखित प्रश्न पूछे जा सकते हैं.

प्रश्नों के प्रकार-

प्रश्नकाल : संसद के प्रत्येक सत्र का पहला घंटा आम तौर पर प्रश्नों के उत्तर देने के लिए निर्धारित होता है.

तारांकित प्रश्न : ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा मौखिक रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछे जाने की अनुमति होती है.

अतारांकित प्रश्न : ऐसे प्रश्नों का उत्तर मंत्री द्वारा लिखित रूप में दिया जाता है एवं इन प्रश्नों पर अनुपूरक प्रश्न पूछने का अवसर नहीं मिलता है.

अल्पसूचना प्रश्न : ऐसे प्रश्नों का संबंध किसी लोक महत्त्व के तात्कालिक विषय से होता है, इनका उत्तर भी मौखिक रूप से दिया जाता है एवं इस पर पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं.

निजी सदस्यों से पूछा जाने वाला प्रश्न : ऐसे प्रश्न उन सदस्यों से पूछे जाते हैं, जो मंत्रिपरिषद के सदस्य नहीं होते, किंतु किसी विधेयक, संकल्प या सदन के किसी विशेष कार्य के लिए उत्तरदायी होते हैं.

प्रश्नकाल का महत्व :

आमतौर पर संसद के सत्र में पहला घंटा प्रश्न पूछने के लिए निर्धारित होता है. इस घंटे को हम प्रश्नकाल के नाम से जानते हैं. संसद की कार्यवाही में इसका विशेष महत्व होता है.

प्रश्न पूछना सदस्यों का एक अंतर्निहित और अपरिवर्तित संसदीय अधिकार है. यह प्रश्नकाल के दौरान लोकसभा या राज्यसभा सदस्य प्रशासन और सरकारी गतिविधि के हर पहलू पर प्रश्न पूछ सकते हैं.

प्रश्नकाल के दौरान राष्ट्रीय के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय क्षेत्रों में सरकार की नीतियों पर जोर दिया जाता है, क्योंकि सदस्य इस दौरान प्रासंगिक जानकारी हासिल करने की कोशिश करते हैं.

सरकार जैसा कि प्रश्नकाल के दौरान इसका परीक्षण किया गया था, और हर मंत्री, जिसके पास सवालों के जवाब देने के लिए है, को अपने और प्रशासन के चूक और कमीशन के कार्यों के लिए जवाब देना है.

प्रश्नकाल के जरिए केंद्र सरकार राष्ट्र की समस्या या कहें तो नब्ज को महसूस कर सकती है और उसके अनुसार अपनी नीतियों और कार्यों को अनुकूलित कर सकती है.

प्रश्नकाल के जरिए मंत्रालयों की नीतियां और प्रशासन की लोकप्रिय प्रतिक्रिया का अनुमान लगाया जा सकता है.

प्रश्नकाल के माध्यम से कई खामियां मंत्रियों की नजर में आती हैं, अक्सर इन खामियों पर किसी की नजर नहीं जाती है.

प्रश्नकाल संसदीय कार्यवाही का एक दिलचस्प हिस्सा है. हालांकि एक प्रश्न मुख्य रूप से जानकारी मांगता है और किसी विशेष विषय पर तथ्यों को जानने की कोशिश करता है, लेकिन सदस्यों और मंत्रियों से जवाब मांगने वाले सदस्यों के बीच कई बार जीवंत और त्वरित प्रतिक्रिया होती है.

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