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मुंबई: औरंगाबाद का नाम बदलने पर शिवसेना अडिग, बताया पार्टी का एजेंडा - औरंगाबाद का नाम बदलने की राजनीति

महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर करने को लेकर राजनीति गर्मा गई है. महाविकास अघाड़ी में शामिल घटक दल कांग्रेस भी औरंगाबाद का नाम बदलने का विरोध कर रही है. कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने नाम बदलने का मुद्दा सीधे तौर पर महानिदेशालय में उठाया है. वहीं शिवसेना भी यह कह रही है कि नाम बदला जा चुका है और बस कागजी प्रक्रिया बाकी है.

shiv sena adamant on renaming aurangabad
शिवसेना ने दिया बयान
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Published : Jan 9, 2021, 7:33 PM IST

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलने की राजनीति पिछले कई दिनों से राज्य में गरमा रही है. संभाजीनगर के नामकरण में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी की तीन पार्टियों की अलग-अलग भूमिकाएं हैं. महाविकास की सरकार धर्मनिरपेक्षता पर जोर देने के साथ कम से कम एक समान कार्यक्रम चला रही है इसलिए, कांग्रेस-एनसीपी ने इस नाम बदलने का विरोध किया है. हालांकि, शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि यह हमारा एजेंडा है. शिवसेना सांसद संजय राउत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी स्पष्ट किया है कि शिवसेना का उद्देश्य औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रखना है.

कांग्रेस-एनसीपी का धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का प्रयास

राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार की कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय ने जानकारी दी कि शहर को संभाजीनगर के रूप में संदर्भित किया गया है, हालांकि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना की विचारधाराएं अलग-अलग हैं. विभाग ने बताया कि इस सरकार का धर्मनिरपेक्षता और समग्र विकास पर जोर था, लेकिन अब कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के प्रमुख दलों ने नाम बदलने के मुद्दे को दरकिनार करने की कोशिश की है.

इस संबंध में बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने कहा कि कि शहरों के नए बदलाव के साथ क्या होगा. यह स्पष्ट किया गया है कि कांग्रेस ने हमेशा शहरों के नाम बदलने का विरोध किया है. इसलिए कांग्रेस का खुला विरोध हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर एनसीपी नेता और मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने बहुत संयमित रुख अपनाते हुए कहा कि नाम बदलने के मुद्दे पर चर्चा नहीं की जाएगी क्योंकि यह महाविकास अगाड़ी के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है. इसलिए कहा जा रहा है कि यह किसी पार्टी का अलग एजेंडा हो सकता है.

धर्मनिरपेक्ष नहीं था औरंगजेब

शिवसेना नेताओं का रुख अक्सर इस मामले पर बदलता रहता है. शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि शिवसेना कई सालों से औरंगाबाद को संभाजीनगर का नाम देने का मुद्दा उठा रही है और इसमें बदलाव नहीं होगा. दूसरी ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाविकास अगाड़ी में पार्टी के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया है. यदि कम से कम एक ही कार्यक्रम में धर्मनिरपेक्षता महत्वपूर्ण है, तो औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था. इस तरह का साहसिक बयान देकर मुख्यमंत्री ठाकरे ने स्पष्ट किया कि औरंगाबाद का नाम बदलना शिवसेना के एजेंडे का एक अभिन्न हिस्सा है. सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने भी संभाजीनगर का उल्लेख किया है और मैं कुछ अलग नहीं कर रहा हूं, इसलिए उसने अपने सहयोगियों को चेतावनी दी है कि पार्टी अब नहीं झुकेगी.

पढ़ें: महाराष्ट्र : औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस का विरोध

की जा रही पार्टी मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश

हालाकि, औरंगाबाद संभाजीनगर बनाने को लेकर महाविकास अघाड़ी के गठबंधन में मतभेद की बात है, लेकिन प्रत्येक पार्टी इस मुद्दे पर अपने मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश करती दिख रही है. कांग्रेस-एनसीपी ने धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा उठाया. दूसरी ओर, शिवसेना ने यह भी स्पष्ट करके हिंदुत्व के मुद्दे को जीवित रखने की कोशिश की है कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं है और औरंगाबाद का नाम बदलना हमारा एजेंडा है.

महाराष्ट्र : महाराष्ट्र में औरंगाबाद का नाम बदलने की राजनीति पिछले कई दिनों से राज्य में गरमा रही है. संभाजीनगर के नामकरण में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी की तीन पार्टियों की अलग-अलग भूमिकाएं हैं. महाविकास की सरकार धर्मनिरपेक्षता पर जोर देने के साथ कम से कम एक समान कार्यक्रम चला रही है इसलिए, कांग्रेस-एनसीपी ने इस नाम बदलने का विरोध किया है. हालांकि, शिवसेना ने स्पष्ट कर दिया है कि यह हमारा एजेंडा है. शिवसेना सांसद संजय राउत के बाद मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने भी स्पष्ट किया है कि शिवसेना का उद्देश्य औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजीनगर रखना है.

कांग्रेस-एनसीपी का धर्मनिरपेक्षता की रक्षा का प्रयास

राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार की कैबिनेट बैठक में लिए गए निर्णयों की जानकारी देते हुए सूचना और जनसंपर्क महानिदेशालय ने जानकारी दी कि शहर को संभाजीनगर के रूप में संदर्भित किया गया है, हालांकि कांग्रेस, राकांपा और शिवसेना की विचारधाराएं अलग-अलग हैं. विभाग ने बताया कि इस सरकार का धर्मनिरपेक्षता और समग्र विकास पर जोर था, लेकिन अब कांग्रेस और एनसीपी गठबंधन के प्रमुख दलों ने नाम बदलने के मुद्दे को दरकिनार करने की कोशिश की है.

इस संबंध में बात करते हुए कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहेब थोरात ने कहा कि कि शहरों के नए बदलाव के साथ क्या होगा. यह स्पष्ट किया गया है कि कांग्रेस ने हमेशा शहरों के नाम बदलने का विरोध किया है. इसलिए कांग्रेस का खुला विरोध हो रहा है. वहीं, दूसरी ओर एनसीपी नेता और मुख्य प्रवक्ता नवाब मलिक ने बहुत संयमित रुख अपनाते हुए कहा कि नाम बदलने के मुद्दे पर चर्चा नहीं की जाएगी क्योंकि यह महाविकास अगाड़ी के कार्यक्रम का हिस्सा नहीं है. इसलिए कहा जा रहा है कि यह किसी पार्टी का अलग एजेंडा हो सकता है.

धर्मनिरपेक्ष नहीं था औरंगजेब

शिवसेना नेताओं का रुख अक्सर इस मामले पर बदलता रहता है. शिवसेना के संजय राउत ने कहा कि शिवसेना कई सालों से औरंगाबाद को संभाजीनगर का नाम देने का मुद्दा उठा रही है और इसमें बदलाव नहीं होगा. दूसरी ओर मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने महाविकास अगाड़ी में पार्टी के प्रति अपना विरोध व्यक्त किया है. यदि कम से कम एक ही कार्यक्रम में धर्मनिरपेक्षता महत्वपूर्ण है, तो औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं था. इस तरह का साहसिक बयान देकर मुख्यमंत्री ठाकरे ने स्पष्ट किया कि औरंगाबाद का नाम बदलना शिवसेना के एजेंडे का एक अभिन्न हिस्सा है. सीएम उद्धव ठाकरे ने कहा कि दिवंगत शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने भी संभाजीनगर का उल्लेख किया है और मैं कुछ अलग नहीं कर रहा हूं, इसलिए उसने अपने सहयोगियों को चेतावनी दी है कि पार्टी अब नहीं झुकेगी.

पढ़ें: महाराष्ट्र : औरंगाबाद का नाम बदलने को लेकर कांग्रेस का विरोध

की जा रही पार्टी मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश

हालाकि, औरंगाबाद संभाजीनगर बनाने को लेकर महाविकास अघाड़ी के गठबंधन में मतभेद की बात है, लेकिन प्रत्येक पार्टी इस मुद्दे पर अपने मूल्यों को बनाए रखने की कोशिश करती दिख रही है. कांग्रेस-एनसीपी ने धर्मनिरपेक्षता का मुद्दा उठाया. दूसरी ओर, शिवसेना ने यह भी स्पष्ट करके हिंदुत्व के मुद्दे को जीवित रखने की कोशिश की है कि औरंगजेब धर्मनिरपेक्ष नहीं है और औरंगाबाद का नाम बदलना हमारा एजेंडा है.

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